ऑपरेशन 'टारगेट अल्फा बंदर' के साथ खौफ खत्म, 20 से जयादा लोगों को काटा-चार कुत्ते भी मार दिए
लखनऊ स्थित गोमतीनगर विस्तार में बंदर की दहशत जिससे घबरा गई वन विभाग की टीम भी। मैदान छोड़ दो टीम भाग खड़ी हुई तो तीसरी टीम लगाया गया।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। 'टारगेट आतंकी बंदर' खौफजदा करने वाला ऑपरेशन रहा। इसे अंजाम देने के लिए लगाई गई दो टीमें दहशत के मारे मैदान छोड़ भागीं। आखिरकार, तमाम जिद्दोजहद करके तीसरी टीम ने कामयाबी पाई। इसके साथ गोमतीनगर विस्तार- एक में कई दिनों से पसरा खौफ खत्म हुआ।
नाम के मुताबिक, यह ऑपरेशन एक ऐसे बंदर को पकड़ने के लिए छेड़ा गया था, जो अपने मिजाज से इलाके में आतंक का सबब बन गया था। वन विभाग के लिए इस बंदर को पकड़ना किसी बाघ या तेंदुए को पकड़ने से ज्यादा डरावना रहा।
आक्रामक बंदर से हारकर दो टीमों को भागना पड़ा। दो कर्मचारियों के शरीर पर बंदर ने अपने दांत के कई निशान भी दे दिए। आक्रामक बंदर को पकड़ने के लिए अधिकारियों को बैठक तक करनी पड़ गई। विशेषज्ञों से सुझाव तक लिए गए। अभियान का नाम 'टारगेट आतंकी बंदर' दिया गया। दो बार के विफल प्रयास के बाद मंगलवार देर शाम वह पिंजड़े में कैद हो पाया। इस बार मजबूत पिंजड़ा लगाया गया था, पहले वाले पिंजड़े को उसने तोड़ दिया था। अल्फा श्रेणी का यह बंदर तीन बंदरों के बराबर था और करीब सौ बंदरों का लीडर था।
करीब पंद्रह दिन से इस बंदर की गोमतीनगर विस्तार-एक में दहशत थी। करीब बीस से अधिक लोगों को काट चुका था। चार कुत्तों ने भी बंदर को डराना चाहा तो उसने उन्हें भी ठिकाने लगा दिया और हमेशा के लिए उनकी आवाज को बंद कर दिया। पांच दिन पहले वन विभाग की टीम पहुंची और साधारण बंदर समझकर उसे पकड़ने का जाल बुना, लेकिन बंदर ने उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया।
दूसरी टीम बंदर को पकड़ने के लिए तीन दिन पहले लगाई गई थी। किसी तरह बंदर पिंजड़े में तो आ गया, लेकिन उसने पिंजड़े को ही तोड़ दिया और वन कर्मियों को मैदान छोड़कर भागना पड़ा। तीसरी टीम वन दरोगा अतिजीत जोशी और वन दारोगा अनीस की अगुआई में बनाई गई। इसके बाद वह मंगलवार शाम को वह पकड़ में आ सका। डीएफओ डॉ.आरके सिंह का कहना था कि यह साधारण बंदरों की तरह नहीं है। वह तीन बंदरों के बराबर साइज का है। गोमतीनगर विस्तार-एक में वह तमाम लोगों को काट चुका था। कई कुत्तों को मार चुका था। उसे पकड़कर सुलतानपुर रोड पर मोहनलालगंज पर वन विभाग के जंगल में छोड़ा गया है। मादा को भी उसके साथ भेजा गया है। उस पर निगरानी की जा रही है कि वह शहरी सीमा की तरफ न आ पाए।
क्या है अल्फा श्रेणी का बंदर?
डीएफओ कहते हैं कि बंदरों की तीन श्रेणी होती है। पहला अल्फा, मतलब आसपास रहने वाले बंदरों का लीडर होता है और उसकी कदकाठी भी अलग ही दिखती है। दूसरी श्रेणी गामा, जिसमें कम आक्रामक बंदर होते हैं और तीसरी श्रेणी बीटा है, जो शांत होती है। डीएफओ कहते हैं कि दो साल में पहली बार इस तरह के बंदर की शिकायत उनके पास आई है।