मेजर 1500 में आैर 2500 में बनते हैं फर्जी कर्नल, संभल कर कहीं आपके साथ भी न हो ऐसा
लखनऊ की छावनी में खुले आम बिक रही हैं वर्दियां और साजो सामान, यूनिटों में नहीं बिक पा रही वर्दियां!
लखनऊ(जेएनएन)। सेना के जवानों और अफसरों की ओलिव ग्रीन डेस हो या फिर ऑपरेशन के समय पहनने वाली कॉम्बैट ड्रेस। उसपर बेल्ट, टोपी, नेम प्लेट, रिबन, फार्मेशन साइन और लाइन यार्ड को सजाने का सारा सामान कैंट में मिल जाएगा। सर्दी हुई तो कॉम्बैट जैकेट भी हाजिर। कीमत 1500 से 2500 रुपये के बीच। इनसे फर्जी मेजर व कर्नल बना जा सकता है। आए दिन मिल रहे फर्जी अफसरों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
दरअसल नियम है कि जवानों और अफसरों को यूनिटों से ही आर्डिनेंस कोर से मिलने वाली ड्रेस का कपड़ा मुहैया कराया जाए। साथ ही उनकी सिलाई कराने के भी उचित प्रबंध हों। यह नियम रक्षा मंत्रलय सख्ती से लागू नहीं करा पा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि मांग की अपेक्षा वर्दी की आपूर्ति कम हो रही है, साथ ही उनकी गुणवत्ता पर भी आए दिन सवाल उठते हैं। इसे देखते हुए स्थानीय सैन्य स्टेशन की ओर से कुछ दुकानों को चिन्हित किया गया है। जहां दुकानदार कंपनियों से वर्दी का कपड़ा लाकर उसे सिलते हैं। हालांकि नियम यह भी है कि जिन अफसर और जवान की वर्दी की सिलाई होगी, उनके पहचान पत्र की छायाप्रति लेकर एक रजिस्टर में उनको दर्ज करना होगा। यह रिकॉर्ड स्थानीय सैन्य स्टेशन को जांच के लिए दिखाना होगा। लेकिन इस नियम का पालन नहीं हो रहा है।
ये है मामला
गौरतलब हो कि साइबर क्राइम सेल और हजरतगंज पुलिस ने बुधवार को एक फर्जी लेफ्टीनेंट कर्नल को गिरफ्तार किया है। एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक, मूलरूप से बहराइच निवासी आरोपित अरविंद मिश्र लड़कियों को लुभाने के लिए फर्जी लेफ्टीनेंट कर्नल बना था। यह सेना की वर्दी में गाड़ी से टहलता था और लोगों पर रौब झाड़ता था। आर्मी इंटेलिजेंस, एटीएस और एलआइयू समेत तमाम खुफिया एजेंसियों ने आरोपित से पूछताछ की है।
साइबर सेल के नोडल अधिकारी व सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र ने बताया कि आरोपित ने दो शादी की थी। पहली शादी वर्ष 2003 में देहरादून निवासी कविता भसीन से की थी। वर्ष 2009 में कविता से तलाक के बाद वर्ष 2017 में सैनिक कॉलोनी जम्मू निवासी हिना जमवाल से दूसरी शादी की। वर्तमान में हिना से अरविंद का मनभेद चल रहा है। आरोपित ने पूछताछ में बताया कि वर्ष 1997 से 2003 तक उसने लगातार एनडीए और सीडीएस की परीक्षा दी थी। वह पास भी हुआ था और इलाहाबाद तथा भोपाल में कांफ्रेस में भी शामिल हुआ था। हालांकि उसका चयन नहीं हो सका था। इसके बाद वह फर्जी आर्मी अफसर बन गया था।
पत्नी को हुआ था शक
जम्मू व कश्मीर की लड़की से शादी के समय उसने पत्नी को बताया था कि वह लखनऊ की 11 गोरखा राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर में तैनात है। उसके ऑफिस जाने का कोई समय नहीं था। जब वह पीटी में भी शामिल नहीं हुआ तो पत्नी ने छावनी की एक यूनिट में इस फर्जी अफसर की तहकीकात की। पता चला कि इस नाम का कोई ले. कर्नल यहां तैनात ही नहीं है। अरविंद मिश्र को लेकर कई शहरों से सेना को इनपुट भी मिले थे।