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पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह की सख्ती से नहीं मिली थी गायत्री प्रजापति को रिहाई

पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह ने विशेष जज ओम प्रकाश मिश्र को बुलाकर पॉक्सो एक्ट में प्रजापति की जमानत टालने को कहा था। विशेष जज ने बताया था कि वह जमानत संबंधी आदेश पारित कर चुके हैं। राजेन्द्र सिंह खासे नाराज हुए थे और मामले की जांच शुरू करा दी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 06:24 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 06:24 PM (IST)
पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह की सख्ती से नहीं मिली थी गायत्री प्रजापति को रिहाई
मंजूरशुदा जमानत पर रोक लगाते हुए उसे बाद में खारिज कर दिया था

लखनऊ, जेएनएन। अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को सामूहिक दुष्कर्म में एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने दो साथियों समेत उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस मामले के विचारण के दौरान गायत्री प्रजापति को जमानत नहीं मिल सकी। एक बार पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत ने गायत्री को जमानत दे दी थी, किंतु हाई कोर्ट ने तत्काल ही उनकी मंजूरशुदा जमानत पर रोक लगाते हुए उसे बाद में खारिज कर दिया था।

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गायत्री को जमानत देने के इस मामले में पॉक्सो एक्ट के विशेष जज पर उंगलियां उठी थीं। इसके बाद में हाई कोर्ट की प्रशासनिक जांच से मामले की तस्वीर साफ हो ही गई। इस जांच में साफ हो गया कि पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह के सख्त रुख से ही उस मामले में गायत्री प्रजापति की जमानत पर रिहाई रुकी थी। हाई कोर्ट की जांच के बाद पॉक्सो कोर्ट के विशेष जज ओपी मिश्र की इस पूरे मामले में संलिप्तता सिद्ध हुई, जिसके बाद उनपर कड़ी कार्रवाई भी की गई।

गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत देने के प्रकरण की तस्वीर इलाहाबाद हाईकोर्ट की जांच के बाद बिल्कुल साफ हो गई। इस जांच के बाद दोषी पॉक्सो कोर्ट के विशेष जज ओपी मिश्र की पेंशन रोक दी गई है तथा स्पष्ट हो गया कि पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह का गायत्री प्रसाद प्रजापति को इस केस में जल्दबाजी में जमानत देने के प्रकरण से कोई वास्ता नहीं था।

पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह ने मामले को गंभीरता से लिया

पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह ने खुद विशेष जज ओम प्रकाश मिश्र को बुलाकर पॉक्सो एक्ट में प्रजापति की जमानत टालने को कहा था। इस दौरान विशेष जज ने पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह को बताया था कि वह जमानत संबंधी आदेश पारित कर चुके हैं। इस बात पर राजेन्द्र सिंह खासे नाराज हुए थे और मामले की जांच शुरू करा दी थी। इससे पहले उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि किसी प्रकार भी गायत्री की जमानत के आधार पर जेल से तत्काल रिहाई न हो सके। गायत्री को जमानत देने की जानकारी होने के बाद शाम को ही पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह ने अधिकारियों से बात की थी। इसके बाद उन्हें मालूम हुआ कि पूर्व मंत्री मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां अन्य मामलों में वांछित चल रहे हैं। इस केस की जानकारी मिलते ही पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह ने पूर्व मंत्री प्रजापति को अगले दिन ही जेल से तलब कर वारंट बनाया। इसकी वजह से ही जमानत मिलने के बाद भी पूर्व मंत्री की रिहाई नहीं हो पाई।

राजेन्द्र सिंह के पत्र के आधार पर जांच

पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह ने मामले को तुरंत इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रेषित किया था और उनके पत्र के आधार पर तत्कालीन पॉक्सो जज ओपी मिश्र के विरुद्ध जांच के आदेश दिए गए और उनके रिटायर होने के एक दिन पहले ही निलंबित कर उन्हें आरोप पत्र प्राप्त कराया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो जज के खिलाफ जांच का निर्देश दिया। जस्टिस विवेक चौधरी को जांच अधिकारी नियुक्त किया, जिनकी जांच रिपोर्ट आने के बाद 11 दिसंबर 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की फुल कोर्ट ने पॉक्सो जज ओपी मिश्र की पूरी पेंशन धनराशि को जांच रिपोर्ट के आधार पर रोक दिया और उप्र शासन को इस संबंध में कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट जज की प्रशासनिक जांच में गायत्री को विशेष जज के जमानत देने के मामले में तत्कालीन जिला जज राजेन्द्र सिंह की कोई भी भूमिका नहीं मिली।

पूरा प्रकरण विशेष जज से ही जुड़ा मिला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की जांच के बाद यह साफ हो गया था कि पूरा प्रकरण विशेष जज ओपी मिश्र से जुड़ा हुआ था। इसमें पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह की कोई भूमिका ही नहीं थी। इस मामले में किसी भी रूप में उनकी संलिप्तता नहीं मिली। इसके साथ यह भी स्पष्ट हुआ कि पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह की ओर से खुद पूर्व मंत्री पर शिकंजा कसा गया। जांच रिपेार्ट पर कार्रवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की फुल कोर्ट ने दोषी ओम प्रकाश मिश्र की पूरी पेंशन गत वर्ष रोक दी।

जिस समयावधि में पूर्व मंत्री की रिहाई का मामला उठा था और आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ था, तब सूत्रों के आधार पर तमाम अखबारों के साथ साथ जागरण डॉट काम और दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट समाचार पत्र में भी एक खबर प्रकाशित हुई थी। जिसमें पूर्व जिला जज राजेन्द्र सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए थे। हाई कोर्ट की प्रशासनिक जांच रिपेार्ट आने के बाद तस्वीर साफ हुई, तो पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह पर दोषारोपण का तथ्य गलत पाया गया और पॉक्सो एक्ट के जज को दोषी पाकर उन पर कार्यवाही की गयी। जागरण डॉट कॉम और दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट समाचार पत्र जज राजेंद्र सिंह पर तत्समय उठाए गए सवालों को लेकर खेद व्यक्त करता है। 20 जून (2017) को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट में छपी खबर को रिपोर्टर को लिखने से पहले तथ्यों की परख कर लेनी चाहिए थी। समाचार पत्र खेद व्यक्त करने के साथ ही उन्हें आश्वस्त करता है कि बिना ठोस सुबूत हाथ में आए खबर का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। पूर्व जिला जज की पैरवी करने वाले अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने बताया कि जज राजेन्द्र सिंह वर्तमान में राज्य उपभोक्ता आयोग में सदस्य हैं। 


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