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Lucknow Illegal Property Case: माफिया से लेकर नेता व बिजनेसमैन...सबने कब्जाई जमीन सरकारी

Lucknow Illegal Property Case निष्‍कांत संपत्तियों की जांच से कई सफेदपोश हों सकते हैं बेनकाब। शत्रु और सिंचाई विभाग की जमीन पर भी खडी इमारतें।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 12:02 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 02:59 PM (IST)
Lucknow Illegal Property Case: माफिया से लेकर नेता व बिजनेसमैन...सबने कब्जाई जमीन सरकारी
Lucknow Illegal Property Case: माफिया से लेकर नेता व बिजनेसमैन...सबने कब्जाई जमीन सरकारी

लखनऊ [राजीव बाजपेयी]।  Lucknow Illegal Property Case: माफिया मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण ढहाने का क्रम जो शुरू हुआ है , उसमें दूसरे रसूखदार भी बेनकाब हो सकते हैं। इसमें नेता से लेकर कारोबारी तक शामिल हैं। निष्‍कांत संपत्तियों के अलावा शत्रु संपत्ति और सरकारी विभागों की जमीनों पर भी कब्‍जे हैं। इनपर निर्माण कराने वाले रसूख के चलते अब तक बचे रहे, लेकिन मुख्‍तार के सहारे अगर शासन द्वारा गठित कमेटी ने सही दिशा में वार किया कई बडी मछलियां जाल में होंगी।

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हजरतगंज में डालीबाग, बालूअडडा, जियामॉउ और आसपास में करीब डेढ सौ सरकारी संपत्त्यिां हैं। बालू अडडे पर ही सरकारी जमीन पर शहर के कददावर बिजनेसमैन का कांपलेक्‍स खडा है। हालांकि प्रशासन ने इस पर रोक लगा रखी है लेकिन सत्‍ता में दखल के कारण अब तक कांपलेक्‍स खडा है। वहीं गोमती से सटी तमाम जमीनों को एक एमएलसी अपना बता रहे हैं। इस पर वह मुआवजा भी उठा चुके हैं। डालीबाग में ही शहर के बडे वकील ने भी सरकारी जमीन पर अपना भवन बना रखा है। प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि जब मुख्‍तार अंसारी के परिवार का नाम खतौनी पर चढा था उसी दरमयान कई जमीनों के रिकॉर्ड में खेल किया गया। कमेटी अब इसी तरह के मामलों की तह तक जाएगी। प्रशासन ने कल एक हाईप्रोफाइल कमेटी का गठन किया हैं, जिसमें अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमर पाल सिंह, अपर नगर आयुक्‍त अर्चना द्विवेदी, एलडीए की संयुक्‍त सचिव रितु सुहास, तहसीलदार सदर शंभूशरण और एलडीए के तहसीलदार असलम को शामिल किया गया है।

नियम दरकिनार कर मूल स्‍वरूप ही बदल डाला  

फर्जीवाडे के साथ ही सरकारी संपत्तियों का जमकर बंदरबांट किया गया। हजरतगंज में अधिकांश शत्रु संपत्तियों में नियमों को दरकिनार कर पहले उनका मूल स्‍वरूप बिगाडा गया फिर किराये पर उठाया गया। यही नहीं प्रशासन की नोटिस के बावजूद अब तक तमाम किरायेदारों ने सालों से किराया तक नहीं जमा किया है। मंडलायुक्‍त ने जिला प्रशासन प्रशासन को इस बाबत कदम उठाने को अलर्ट कर दिया है।    

क्या कहते हैं मंडलायुक्‍त ?

मंडलायुक्‍त मुकेश मेश्राम का कहना है कि इन जमीनों के अभिलेख दशकों पुराने हैं जिनकी जांच करना आसान नही है। पिफर भी हमारी कोशिश है कि जो भी सरकारी जमीन है वह अतिक्रमण से मुक्‍त हो। जिन लोगों ने सरकारी संपत्तियों के मूल स्‍वरूप से बगैर अनुमति छेडछाड की है उसकी भी जांच होगी। बिना अनुमति निष्‍कांत और शत्रु संपत्तियों के स्‍वरूप से कैसे खिलवाड़ की गयी।    


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