Move to Jagran APP

15 करोड़ रुपये खर्च, फिर भी नहीं घटा मौतों का आंकड़ा

जागरूकता कार्यक्रम भी नहीं बदल पाए तस्वीर, नहीं घट सके हादसे। दुर्घटनाओं में 11.17 फीसद, मृतकों की संख्या में 13.38 का इजाफा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 08:07 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 08:07 AM (IST)
15 करोड़ रुपये खर्च, फिर भी नहीं घटा मौतों का आंकड़ा
15 करोड़ रुपये खर्च, फिर भी नहीं घटा मौतों का आंकड़ा

लखनऊ, (नीरज मिश्र)। सड़क सुरक्षा के प्रचार, प्रसार और जागरूकता कार्यक्रमों की होड़ के बाद भी तस्वीर बदली नहीं। बीते तीन वर्षों में सड़क सुरक्षा निधि के 15 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी न तो हादसों में कमी आई और न ही दुर्घटना से हुई मौतों का आंकड़ा गिरा। बीते नौ माह की आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ। बीते वर्ष की तुलना में इस बार सड़क दुर्घटनाओं में 11.17 फीसद और मृतकों की संख्या में 13.38 और घायलों की संख्या में साढ़े नौ प्रतिशत का इजाफा हुआ है। गौर करने की बात यह है कि पिछले साल दुर्घटना से हुई मौतों की संख्या में 4.3 फीसद थी। जो इस वर्ष बढ़कर 13.38 प्रतिशत हो गई।

loksabha election banner

यह हाल तब है जब जिला और मंडलों में गोष्ठियां की गईं। मंडलवार निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित हुईं। जागरूकता अभियान, प्रचार करतीं पब्लिसिटी वैन समेत तमाम कार्यक्रमों इस दौरान लगातार चलाए जाते रहे। जनसूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के अनुसार मिले आंकड़े  दुर्घटनाओं और मृतकों की संख्या में निरंतर वृद्धि का साफ संकेत दे रहे हैं कि महकमे की पहल बेनतीजा दिख रही है।

जागरूकता कार्यक्रम में खर्च हो गए करोड़ों

सड़क सुरक्षा का नियम पढ़ाने को लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, आगरा, कानपुर और बरेली क्षेत्र में दर्जन भर पब्लिसिटी वैन चलाई गईं। इन पर करीब एक करोड़ आठ लाख रुपया व्यय किया गया। निबंध प्रतियोगिता में विजेताओं को सूबे के हर जिले में हजारों की नगदी बांटी गई। पूरे सूबे में निबंध प्रतियोगिता और गोष्ठियां आयोजित की गईं। इनमें अव्वल आए युवाओं को हर जिले में पचास हजार से अधिक की रकम वितरित की गई। इसके अलावा पंफलेट, स्टीकर समेत विभिन्न आयोजन हुए अलग से।

मिलकर नहीं कर पाए काम

सड़क सुरक्षा को लेकर लोनिवि, स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात, पुलिस और परिवहन विभाग को मिलाकर एक कमेटी गठित हुई। इसमें थ्री-ई (एजूकेशन, इंजीनियरिंग और इन्फोर्समेंट) फार्मूला बना। तय हुआ कि पूरी टीम एक साथ काम कर ठोस परिणाम देगी। लेकिन चाहे वह ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए जाने के बाद सड़क इंजीनियरिंग की खामियां हों या फिर शिक्षा का मसला। तीसरा हिस्सा प्रवर्तन का। पर सबसे अहम इसी हिस्से में प्रवर्तन की कार्रवाई महज औपचारिकताएं के रूप में नजर आती हैं।

सूबे का तुलनात्मक नौ माह का आंकड़ा(जनवरी से सितंबर-2017)

दुर्घटनाएं-28,397

मृतक-14,654

घायल-20,370

सूबे का तुलनात्मक नौ माह का आंकड़ा(जनवरी से सितंबर-2018)

दुर्घटनाएं-31,731

मृतक-16,614

घायल-22,306


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.