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आरती पूजन के साथ मना हनुमान सेतु मंदिर का स्थापना दिवस, बाबा नीब करौरी ने 1967 में कराया था निर्माण

Hanuman Setu temple कोरोना संक्रमण के प्रतिबंधों के बीच बुधवार को लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर का स्थापना दिवस मनाया गया। मंदिर के पुजारियों ने आरती और पूजन कर हनुमान जी का ध्यान किया। बताया जाता है कि यहां श्रद्धालु पत्र भेजकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

By Vikas MishraEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 09:06 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:25 AM (IST)
आरती पूजन के साथ मना हनुमान सेतु मंदिर का स्थापना दिवस, बाबा नीब करौरी ने 1967 में कराया था निर्माण
आचार्य ने बताया कि 26 जनवरी 1967 में बाबा नीब करौरी ने हनुमान सेतु मंदिर का निर्माण कराया।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के प्रतिबंधों के बीच बुधवार को आरती पूजन के साथ सादगी से हनुमान सेतु मंदिर का स्थापना दिवस मनाया गया। हनुमान सेतु मंदिर के आचार्य चंद्रकांत द्विवेदी के संयाेजन में मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सदाकांत और सचिव दिवाकर त्रिपाठी ने पूजन कर कोरोना मुक्ति की कामना की। आचार्य ने बताया कि 26 जनवरी 1967 में बाबा नीब करौरी ने हनुमान सेतु मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर की खास बात यह है कि यहां श्रद्धालु पत्र भेजकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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बड़े मंगल पर हर साल हजारों पत्र आते हैं जो हनुमान जी के चढ़ाने के बाद भूमि विसिर्जित कर दिए जाते हैं। बाबा नीब करौरी या नीम करौरी ने मंदिर निर्माण के दौरान कहा था कि हनुमान जी के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। यदि कोई श्रद्धालु दर्शन के लिए नहींं आ पाता तो वह यदि सच्चे मन से बजरंग बली को पत्र भेजकर कामना करेगा तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। 

बाबा ने लोगों को बचाया था बाढ़ की त्रासदी सेः आचार्य चद्रकांत द्विपेदी ने बताया कि बाबा ने 70 के दशक में लखनऊ के लोगों को बाढ़ की त्रासदी से बचाया था। गोमती नदी के उफान को मंदिर निर्माण ने बचा लिया था और बाबा ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाढ़ के सैलाब को शांत किया था। नदी पर पुल निर्माण के लिए भी बाबा का योगदान रहा है। पुल बनता और बार-बार गिर जाता था तो बाबा ने अधिकारियों से मंदिर निर्माण कराने को कहा। कोलकाता के एक बिल्डर ने पुल के साथ मंदिर का निर्माण कराया।

26 जनवरी 1967 को मंदिर बनकर तैयार होने के साथ दर्शन शुरू हो गए। सिद्ध संत के रूप में ख्याति प्राप्त बाबा नीब करौरी का प्राकट्य उत्सव भी 21 दिसंबर को मनाया जाता है। बाबा नीब करौरी का जन्म 1900 के करीब माना जाता है। मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी को उनका जन्म हुआ था। हनुमान सेतु मंदिर की स्थापना के बाद 11 सितंबर 1973 में उनका निधन हुआ था।


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