Environment Day 2020: लखनऊ के एक पार्क में हरदिल अजीज, नाजुक बदन, हुस्नआरा...
विराटखंड-2 का यह आम पार्क पर्यावरण प्रेमियों के लिए खास है। आम की तमाम किस्मों के अलावा लौंग दालचीनी तेजपत्ता हल्दी कपूर अंजीर जामुन अंगूर अमरूद लीची कटहल भी।
लखनऊ, (अजय श्रीवास्तव)। शहर के विराटखंड-2 का यह आम पार्क पर्यावरण प्रेमियों को खास एहसास से भर देता है। हरियाली से ठसाठस और ताजा, स्वच्छ हवा से भरपूर। उस पर, हर साल मीठे-रसीले आमों की दावत मुफ्त। यानी आम के आम और गुठलियों के दाम...। आपको पर्यावरण से प्यार है और बाग-बगीचे भाते हैं, मगर शहरी जीवन में रमे तो गुल-गुलशन गुम हो गए, यदि ऐसा है, तो आपको यह आम पार्क खास आइडिया देता है कि कैसे अपने साधारण से कम्युनिटी पार्क को आप भी आम से खास में तब्दील कर सकते हैं। आम तौर पर शहर में बाग-बगीचे के लिए जगह नहीं होती।
मुहल्ले में पार्क का स्थान तो होता है, लेकिन कम जगह के चलते लोग यहां बड़े वृक्षों के पौधे रोपने से बचते हैं। ऐसे में पार्क में हरियाली तो रहती है, लेकिन बगीचों सी रौनक नहीं रह पाती। विराज खंड का 'आम पार्क' इस धारणा को तोड़ता है। कम जगह के बावजूद यहां घने वृक्षों पर परिंदों का कलरव सुनने को मिलता है। गुलों संग इस गुलशन में गुलफाम की तरह आम की अनेक किस्में दमकती-महकती मिल जाती हैं।
करीब आठ हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल में फैले इस पार्क को इसी खासियत के कारण सुंदर पार्क का खिताब भी मिल चुका है। शहर का यह पार्क किसी सरकारी प्रयास से गुलशन में तब्दील नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे व्यक्ति विशेष के जज्बे और संघर्ष की कहानी है। शहर के पार्कों को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लडऩे वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता बीके सिंह की मेहनत ने इस पार्क को मौजूदा स्वरूप दिया है। उन्होंने कॉलोनी के पार्क को चमकाने के लिए आसपास के घरों से सब्जी और फलों के अवशेष मंगाए। इससे पार्क में जैविक खाद तैयार की गई। इसका इस्तेमाल पार्क को चमकाने के लिए किया गया। फिर दशहरी का पौधा लगाया गया। उसमें फल आने लगे तब रहमानखेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण एवं बागवानी संस्थान की मदद से एक आम पर कई कलमें लगवाईं। हर साल आम के सीजन में यहां पैदा होने वाले फलों की दावत होती है। इस बार लॉकडाउन के चलते दावत की जगह फल घर-घर बंटवाए जाएंगे।
बीके सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि एक बारिश के बाद अधिकतर आम पकने लगेंगे। यहां स्थित एक पेड़ पर ही दशहरी, मल्लिका, अरुणिका, अंबिका, आम्रपाली और लंगड़ा लटक रहे हैं। इसके अलावा नाजुक बदन, हुस्नआरा, हरदिल अजीज, रोमी, गुलाब खास, चौसा, सफेदा, वनराज, केसर, देशी लंबौरी, अंगूरदाना जैसी कई किस्में इस पार्क की शोभा बढ़ाती हैं। इस पार्क में आम ही नहीं कटहल के पेड़ भी हैं। इस बार यहां करीब ढाई सौ कटहल तैयार हुए, जो लॉकडाउन में काम आ गए। लौंग, दालचीनी, तेजपत्ता, हल्दी, कपूर, अंजीर, जामुन, अंगूर, अमरूद, लीची भी इस पार्क की पहचान हैं।