Engineers Day: आपदा के दौरान नवाचारों के साथ कदमताल कर रहे भावी इंजीनियर
Engineers Day अस्पतालों में वेंटीलेटर की कमी की समस्या को देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय के छात्र ने एक सस्ते मैकेनिकल वेंटीलेटर का मॉडल तैयार किया।
लखनऊ (पुलक त्रिपाठी)। Engineers Day नवाचारों के लिए किसी डिग्री य योग्यता की जरूरत नहीं। पढ़ाई के दौरान भी नव प्रयोगों से समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है। बस इसके लिए जरूरत है खुद में एक नई सोच सोच को पैदा करने की। जिसने अलग नजरिये से कुछ सोचा और उसे कर दिखाया, वही एक कामयाब हुनरमंद है। कुछ ऐसे ही भावी इंजीनियरों की ओर से किए गए नवाचारों की पेश है रिपोर्ट
कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी व टेक्नोलॉजी संकाय के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के छात्र शुभम कुमार एवं सत्येंद्र प्रजापति ने जून में इंजीनियर अभिजीत मौर्य के गाइडेंस में सैनिटाइजिंग चेंबर तैयार किया। शुभम कुमार के अनुसार इस सैनिटाइजिंग चेंबर की कुल लागत बाजार में उपलब्ध सैनिटाइजिंग चेंबर की तुलना में बहुत कम है। इसे बनाने में बायोसेंसर, मिस्ट नोजेल, प्लास्टिक पाइप, मोटर, पंप, शीट मेटल व फोम सीट का प्रयोग हुआ हैं। सत्येंद्र प्रजापति बताते हैं कि सैनिटाइजर विलयन के रूप में हाइपोक्लोराइट का तनु विलियन इस्तेमाल किया गया है। इस सैनिटाइजिंग चेंबर से पूरे शरीर के साथ जूते भी सैनिटाइज होते हैं।
यूवी डॉक्यूमेंट सैनिटाइजर
लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन के छात्र हिमांशु मौर्य एवं कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्र प्रतीक मिश्रा ने कार्यालयो में फाइलों के द्वारा कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए यू.वी. डॉक्यूमेंट सैनिटाइजिंग चेंबर तैयार कर डाला।
मैकेनिकल वेंटीलेटर
कोरोना काल में अस्पतालों में वेंटीलेटर की कमी की समस्या को देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय के छात्र कृष्णकांत ने इंजीनियर अभिजीत मौर्य के मार्गदर्शन में एक सस्ते मैकेनिकल वेंटीलेटर का मॉडल तैयार किया। यह मैकेनिकल वेंटिलेटर एक वाइपर मोटर,जो कि कार में प्रयोग होता है, के माध्यम से बनाया जा सकता है| इस मैकेनिकल वेंटीलेटर में सिंगल स्लाइडर मैकेनिजम के सिद्धांत का प्रयोग होगा। इस वेंटिलेटर को बनाने में लकड़ी और वाइपर मोटर का प्रयोग होगा।यह वेंटीलेटर पिस्टन द्वारा ए.एम.बी.यू बैग को दबायेगा, जो एक ट्यूब द्वारा रोगी से जुड़ा रहेगा। यह ट्यूब रोगी के मुंह, नाक या गले में श्वास नली में रखी जाएगी।इस वेंटीलेटर को बनाने में मात्र पांच हज़ार रुपये तक का खर्च आएगा।
निधि ने तैयार किया हैंड फ्री सोप डिवाइस
लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रा निधि सिंह ने घरेलू सामान के उपयोग से 'हैंड्स फ्री सोप डिवाइस' का निर्माण कर डाला। उन्होंने जब पुलिस स्टेशनों एवं अस्पतालों में कार्यरत कर्मियों द्वारा सामान्यतः एक ही हैंडवाश का उपयोग किए जाते हुए देखा तो उनके मन में इस तरह की डिवाइस निर्माण करने का विचार आया। विभिन्न लोगों द्वारा हैंडवाश का हाथों से उपयोग करने में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इस डिवाइस की सहायता से हैंड वॉश को बिना छुए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह डिवाइस लिवर मैकेनिज्म पर आधारित है, जिसमें पैरों की सहायता से लिवर पर बल का प्रयोग करके हैंडवॉश से सोप को निकाला जा सकता है। इस डिवाइस को घर में भी बनाकर उपयोग में लाया जा सकता है। लखनऊ विश्वविद्यालय के द्वितीय परिसर एवं कई सार्वजनिक स्थलों पर इस डिवाइस का उपयोग किया जा रहा है।
एयर प्यूरीफायर
राजकीय महिला पॉलीटेक्निक की भावी इंजीनियर छात्राओं ने ऑटोमेटिक एयर प्यूरीफायर बनाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर इसका मॉडल तैयार किया। इंस्ट्रूमेंटेशन ट्रेड की छात्राओं के इस मॉडल को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने भी सराहा है। मॉडल बनाने की टीम की सदस्य प्रिया पांडेय ने बताया कि यह मॉडल बाजार में बिकने वाले मॉडल ने आधे दाम में तैयार हो जाता है। सुरक्षा के मामले में यह आम प्यूरीफायर से 100 गुना सुरक्षित है। इसके अंदर एयर कंवर्टर लगा है तो खतरनाक गैस को कंवर्ट कर अंदर की हवा को सुरक्षित बनाता है। कमरे के अंदर की हवा को शुद्ध करने के साथ ही अंदर की गर्म हवा की मात्रा को भी कम करता है। इंवर्टर की बिजली के साथ ही सोलर एनर्जी से भी आसानी से इसका संचालन होता है। प्रधानाचार्य एसके श्रीवास्तव के निर्देशन में दिव्यांशी, यशी, अर्चना व प्रिया शर्मा ने मिलकर मॉडल को तैयार किया है।
बढ़ाता है ऑक्सीजन की मात्रा
100 वर्ग फीट के क्षेत्र के लिए प्यूरीफायर बनाने में 1000 से 1200 रुपये खर्च आता है जबकि बाजार में बिकने वाले प्यूरीफायर के लिए दो से तीन हजार रूपये खर्च करने पड़ते हैं। इसमे यूरो-सिक्स सिस्टम लगा है जो कमरे की कार्बनडाई ऑक्साइड को बाहर कर ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने का काम करता है। बड़ों के साथ ही बच्चों के लिए भी यह मॉडल सुरक्षित है। धूल के कड़ों को भी कमरे के अंदर से बाहर निकालने में कारगर है। सोलर का प्रयोग कर ऊर्जा भी बचाई जा सकती है।