दुश्मनों की पनडुब्बियों पर कहर बरपाएगी वरुणा नक्षत्र मिसाइल
आवाज सुनकर पनडुब्बी को निशाना लगाने में सक्षम है यह मिसाइल, लागत दो करोड़ की लागत से तैयार मिसाइल २० किमी तक अचूक वार कर सकती है!
लखनऊ (अंशू दीक्षित)। दुश्मनों की पनडुब्बियों की आवाज सुनकर उनको टारगेट करने वाली मिसाइल डीआरडीओ की नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेट्री ने खोज निकाली है। वरुणा नक्षत्र शिप लांच हैवीवेट टॉरपेडो एक बार में पूरी पनडुब्बी को नष्ट करने की क्षमता रखता है। इसके अचूक वार से बचना नामुमकिन है। बीस किलो मीटर तक अचूक वार करने वाली वरुणा नक्षत्र मिसाइल को बनाने में दो करोड़ की लागत आई है। लगभग दो टन के वजन वाली यह मिसाइल पूरी तरह से बैट्री संचालित है।
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के नेवल लैबोरेट्री से जुड़े अफसरों का दावा है कि यह मिसाइल अधिक गहराई में जाकर निशाना साधने में सक्षम है। राडार की जद में न आने वाली यह मिसाइल दुश्मनों के लिए चुनौती बनी हुई है। जल्द ही इससे एक पनडुब्बी से दूसरी पनडुब्बी या फिर शिप को निशाना बनाया जा सकेगा। इसके लिए भी डीआरडीओ की नेवल विंग ने काम करना शुरू कर दिया है।
हेलीकाप्टर से कर सकते हैं टारगेट
शिप व हेलीकॉप्टर से लाइट टारपेडो को लॉन्च कर सकते हैं। यह कई मीटर पानी में जाकर पनडुब्बी को भारी नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। डीआरडीओ इसका हर स्तर पर ट्रायल कर चुका है।
रास्ता भ्रमित करने में सक्षम है डिकॉय
दुश्मनों की टॉरपेडो को भ्रमित करने के लिए डिकॉय नाम का लांचर इजाद किया है। यह डिकॉय पनडुब्बी की तरह आवाज निकालता है और दुश्मनों द्वारा छोड़ी गई हैवी वेट की टारपेडो को इसकी ओर खींच लाता है। इससे जो मिसाइल पनडुब्बी की आवाज सुनकर छोड़ी जाती है वह रास्ता भटक जाती है और इस डिकॉय की ओर मुड़ जाती है।
सेना का मजबूत हथियार बना एसडीआर
सेना के लिए डीआरडीओ की डिफेंस इलेक्ट्रानिक्स एप्लीकेशन लैब्रोरेट्री ने सॉफ्टवेयर डिवाइस रेडियो (एसडीआर) बनाया है। यह सेना के लिए मजबूत हथियार साबित हो रहा है। इसके जरिए सेना अपना मैसेज, डाटा और फोटो ग्राफ सुरक्षित गंतव्य तक भेज सकेगा। पानी में कई घंटे तक पड़ा रहने के बाद भी यह खराब नहीं होता। दुश्मन के हाथ भी लग जाए तो बिना आई बटन के इसे खुल नहीं जा सकता है। अगर दुश्मन खोलकर डाटा निकालने की कोशिश करता है तो डाटा स्वत: नष्ट हो जाएगा।
केरोसीन नहीं सोलर स्नो से गर्म होगा पानी
सियाचीन जैसे दुर्गम बर्फीले पहाड़ों पर पानी गरम करने के लिए सेना को चंद लीटर केरोसीन पहुंचाने के लिए लाखों रुपये का पेट्रोल फूंकना पड़ता है। अब जवानों को सोलर स्नो मीटर दिए जाएंगे, जो चंद मिनट में पांच से सात लीटर बर्फ को गरम पानी में तब्दील कर देगा। इससे जवानों को दैनिक कार्यों में राहत मिलेगी।
एलोकेल क्रीम बनेगी संजीवनी बूटी
उच्च पहाड़ी और अत्याधिक ठंडे इलाके में जहां जवानों की माइनस तापमान होने पर हाथ पैर व अंगुलियां गलने लगती है, वहंा एलोवीरा से तैयार एलोकेल क्रीम संजीवनी बूटी की तरह काम करेगी।