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लखनऊ : संबंधाें में मां का, साहित्य में शास्त्र और प्राणी जगत में आचार्य का कोई व‍िकल्‍प नहीं

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय मंत्री शिव कुमार कि स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन विद्या भारती रूपी पौधे का रोपण सन् 1952 में हुआ था जिसने आज वटवृक्ष का रूप ले लिया है। विद्या भारती का उद्देश्य भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार शिक्षा प्रदान करना है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 04:15 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 04:15 PM (IST)
लखनऊ : संबंधाें में मां का, साहित्य में शास्त्र और प्राणी जगत में आचार्य का कोई व‍िकल्‍प नहीं
सरस्वती कुंज निराला नगर में आचार्य तकनीकी प्रशिक्षण पंचम सत्र का समापन।

लखनऊ, जेएनएन। तीन चीजों का कोई विकल्प नहीं हो सकता है। संबंधाें में मां का, साहित्य में शास्त्र और प्राणी जगत में आचार्य का। इन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए। कोविड-19 का समय है। ऐसे में विद्यार्थियों के समक्ष प्रत्यक्ष उपस्थित होकर शिक्षा देना संभव नहीं है। विद्याभारती ने कक्षा शिक्षण के जो विषय रहते हैं उन सभी को इस डिजिटल माध्यम का प्रयोग कर बच्चाें को प्रभावी रूप से जोड़ने का प्रयास किया है। विषय का ज्ञान देना एक बात है लेकिन विद्या भारती ने एजुकेशनल ज्ञान के साथ-साथ नॉलेजेबिल विद्यार्थी और विजडम प्लेटफार्म दिया है जिससे विवेकशील विद्यार्थी बन सकें।

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ये बातें शुक्रवार को विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय मंत्री शिव कुमार ने कहीं। वे आज प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया उच्च तकनीकी डिजिटल तकनीकी सूचना संवाद केंद्र सरस्वती कुंज निराला नगर में आचार्य तकनीकी प्रशिक्षण पंचम सत्र के समापन अवसर में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन विद्या भारती रूपी पौधे का रोपण सन् 1952 में हुआ था, जिसने आज वटवृक्ष का रूप ले लिया है। विद्या भारती का उद्देश्य भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार शिक्षा प्रदान करना है। ये ऐसा दृष्टिकोण है, जिसका स्वरूप नहीं बदल सकता है। हमें बच्चों को कैसे शिक्षा देनी है, इससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि उन्हें हमें क्या शिक्षा देनी है। हमें अपने देश के नागरिकों को भारतोन्मुखी बनाना है।

भारत के लिए उपयोगी और आवश्यक शिक्षा को बनाया आधार

उन्होंने कहा कि विद्या भारती देश भर में शिक्षा क्षेत्र में 1952 से काम कर रही है। देशभर में 13,000 विद्यालय, 36 लाख विद्यार्थी और डेढ़ लाख से अधिक आचार्य हैं। डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग कर अधिकांश विद्यार्थियों को जोड़ने का प्रयास किया गया है। देश के सभी विद्यालय अपने-अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं। लेकिन हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की उस भारत केंद्रित शिक्षा नीति के विषय को केंद्र में रखकर भारत के लिए उपयोगी और आवश्यक शिक्षा को आधार बनाया है। एजुकेशनल विषय का ज्ञान देना एक बात है लेकिन विद्या भारती ने एजुकेशनल ज्ञान के साथ-साथ नॉलेजेबिल विद्यार्थी और विजडम प्लेटफार्म दिया है जिससे विवेकशील विद्यार्थी बन सकें।

मुख्य वक्ता ने आचार्यों के पीपीटी प्रशिक्षण पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि डिजिटल लर्निंग और प्रत्यक्ष शिक्षा पद्धति में अधिक भिन्नता नहीं होती है, लेकिन जब आप तकनीक के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं तो आपको शिक्षक और छात्र दोनों बनकर पढ़ाना होता है।डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शिक्षण कार्य से पहले आपको विशेष तैयारियां करनी पड़ती है। यह सोचना पड़ता है कि जो विषय को हम पढ़ाने वाले हैं, उसको लेकर छात्रों के मन में कौन से प्रश्न उठेंगे और हमें कैसे उन प्रश्नों का शिक्षण के समय ही उत्तर देकर छात्रों की जिज्ञासा दूर करनी है।

अपडेट और अपग्रेड होना नितांत जरूरी

उन्होंने कहा कि आज के समय में अपडेट और अपग्रेड होना जरूरी है। केवल विषय की जानकारी होने से काम नही चलेगा विश्व के पटल पर अद्यतन क्या चल रहा है उन सभी प्रकार की बातों को हमें आज के परिप्रेक्ष्य में देखना होगा। डिजिटल प्लेटफार्म में रीटेक का मौका नहीं होता है।वीडियो रिकार्डिंग के वक्त हम विद्यार्थी भी होते हैं और शिक्षक भी। निरंतर अभ्यास से समस्या और उसका निस्तारण भी हमें देना हाेता है।कार्यक्रम अध्यक्ष सदानंद गुप्त ने कहा कि विद्या भारती ने तकनीक को माध्यम बनाया है, जिससे हम उन विद्यार्थियों को शिक्षा दे पा रहे हैं, जिन तक हम पहुंच नहीं सकते हैं। उन्होंने कहा कि आचार्य का कोई विकल्प नहीं हो सकता, वह शिक्षा का आधार है। तकनीक तो सिर्फ एक शिक्षा का माध्यम है। उन्होंने कहा कि भारत शक्तिशाली देश बन सकता है, दुनिया को व्यापक अनुभव दे सकता है और भारतीय संस्कृति विश्व संस्कृति का नेतृत्व कर सकती है। यह बात विद्या भारती के मूल उद्देश्य में है।

आज जो अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय खुल गए हैं, वो हमारे छात्रों को भारत विमुख बना रहे हैं। उसका सबसे बड़ा कारण भाषा है, क्योंकि भाषा के माध्यम से ही संस्कृति की रक्षा होती है। इस दौरान उन्होंने देश में हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी के साथ-साथ भारत की अन्य भाषाओं को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने पर जोर दिया।

पांच दिन चले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में चयनित किए गए आचार्यों को बुलाया गया। उन्होंने आज अपना प्रेजेंटेशन दिया। पीपीटी बनाने, स्पेसिफिकेशन के आधार पर आचार्य को डिजिटल तकनीकी माध्यम का उपयोग करते हुए कैसे बच्चों के साथ प्रभावशाली तरीके से जोड़ने की जानकारी दी गई।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि सीईओ एवं साउथ ईस्ट एशिया के मैनेजिंग पार्टनर बारनिक चित्रण मैत्रा ने विद्या भारती के द्वारा शुरू किए गए एलएमएस (लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम) की सराहना की। कोरोना संकट के समय में विद्या भारती के द्वारा तकनीक के जरिये आचार्यों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, वह देश के लिए नया और अभूतपूर्व योगदान है। उन्होंने रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख सौरभ ने विद्या भारती एलएमएस और विद्या प्रबोधन एप के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एलएमएस एप एक ऐसा वर्चुअल स्कूल है, जहां सभी विषयों से जुड़ी जानकारी उपलब्ध है। पूरे देश में विद्या भारती ही ऐसा संस्थान है जो एप के जरिए छात्रों को त्रिस्तरीय शिक्षा मुहैया करा रहा है।

इस व्यवस्था को जरिए छात्रों को विषय वस्तु की गहनता से जानकारी हो सकेगी। विद्या भारती ने छात्रों को गुणवत्तापरक और रोजगारपरक शिक्षा देने के संकल्प के साथ विद्या प्रबोधन एप को भी शुरू किया है, जिसका फायदा लाखों छात्रों को मिलेगा। इस मौके पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद, सीएम के ओएसडी अभिषेक कौशिक, विशिष्ट अतिथि लखनऊ के महाप्रबंधक मोबाइल सेवाएं आलोक मिश्रा, विकास शुक्ला, संचालन भारतीय शिक्षा परिषद के सचिव दिनेश कुमार सिंह, विद्या भारती पूर्वी उप्र के सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, विद्या भारती पूर्वी उप्र. के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र, बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्रा, वरिष्ठ प्रचारक रजनीश पाठक,एलएमएस के तकनीकी निदेशक अमिताभ बनर्जी, शक्ति सिंह समेत कई विद्वतजनों ने संबोधित किया। कार्यक्रम में सत्यानंद पांडेय और कृष्णा सिंह द्वारा सैनिटाइजर और मास्क वितरित किए गए। 


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