लखनऊ नगर निगम के कोष को मंदी का रोग, कर्मचारियों के वेतन के भी लाले Lucknow News
विकास कार्यों की फाइलों को बजट सील का इंतजार। 270 करोड़ की देनदारी के चलते विकास की गाड़ी पटरी से उतरी।
लखनऊ, जेएनएन। शहर की सरकार माने जाने वाले नगर निगम के कोष को दीमक लग गया है। आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और विकास कार्यों पर ग्रहण सा लगा हुआ है। पेंशन बांटने तक के लाले हैं तो कर्मचारियों को वेतन भी दस-दस दिन बाद ही मिल पा रहा है।
270 करोड़ की देनदारी के चलते विकास की गाड़ी पटरी उतर गई है। तैयार हो चुकी पत्रावलियों को रफ्तार पकडऩे के लिए नगर निगम की मुहर (बजट सील) का इंतजार है। लंबित भुगतान को लेकर आए दिन कर्मचारी और ठेकेदार बांह चढ़ाकर खड़े हो जाते हैं। पार्षद भी हंगामा करते रहते हैं। हर माह साढ़े सात हजार रुपये मानदेय पर काम करने वाले संविदा कर्मियों को चार माह से भुगतान नहीं हुआ है। यही हाल संविदा सफाई कर्मचारियों का है, जो भुगतान के लिए नगर निगम की चौखट पर आकर विरोध दर्ज कराते हैं।
शहर में सड़कों के गड्ढों को भरने के लिए योजना तो बनी, लेकिन बजट के अभाव में सभी सड़कों पर पैच लंबित भुगतान न होने से ठेकेदारों से आए दिन हाय-हाय किचकिच हो रही है। एक ठेकेदार एसपी सिंह ने तो भुगतान न होने पर नगर आयुक्त डॉ.इंद्रमणि त्रिपाठी से अभद्रता तक कर दी थी।
नगर निगम का बजट
- हर माह कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर बीस करोड़ जरूरत होती है।
- राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली राशि से सात करोड़ की कटौती कर देने से नगर निगम की हालत और पतली हो गई है।
- कर्मचारियों के पीएफ का साढ़े चार करोड़ बाकी है। सितंबर से पीएफ नहीं गया है।
- पेंशन, एरियर और ग्रेज्युटी का 11 करोड़ की देनदारी है।
- कर्मचारियों के अर्जित अवकाश का चार करोड़ बाकी है
- एसीपी की देनदारी पचास लाख है।
- सातवें वेतनमान का एक जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2016 तक का सात करोड़ बाकी है।
- सड़क, नाला, पार्क और नालियों के निर्माण की 270 करोड़ की देनदारी है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
- नगर निगम मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी महामिलिंद लाल के मुताबिक, देनदारी पहले से कम हुई हैं, लेकिन अभी 270 करोड़ नगर निगम को देना है। हाउस टैक्स ही आय का मुख्य आधार है और वसूली तेज करने के निर्देश नगर आयुक्त ने कर विभाग को दिया है। वेतन व कर्मचारियों के लंबित भुगतान के लिए राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली राशि में सात करोड़ की कटौती से वेतन वितरण में परेशानी हुई थी।
- महापौर संयुक्ता भाटिया के मुताबिक, वित्तीय प्रबंधन के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। बजट में भी सुधार लाने की कोशिश की गई है। खर्चों को कम किया गया है, जिससे देनदारी कम हो सके।