लोहिया संस्थान में कर्मचारी ने बेची नॉट फॉर सेल दवा, जांच के आदेश
लोहिया संस्थान के फार्मेसी काउंटर पर उजागर हुआ निश्शुल्क दवा बेचने का मामला निदेशक ने जांच के दिए आदेश।
लखनऊ, जेएनएन। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में दवा बिक्री में खेल पकड़ा गया। फार्मेसी में काउंटर पर तैनात कर्मी मुफ्त की दवा बेच रहे थे। ऐसे में निदेशक ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
लोहिया संस्थान में एचआरएफ (हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड) की फार्मेसी संचालित हैं। इन पर सीधे कंपनियों से दवा खरीदी जाती है। ऐसे में बाजार दर से 60 फीसद तक सस्ती दवाएं मरीजों को उपलब्ध कराई जाती हैं। हर रोज दो से ढाई हजार मरीज फार्मेसी से दवा खरीद रहे हैं। वहीं हाल ही में एक दर्द निवारक जेल की बिक्री पर नया बखेड़ा खड़ा हो गया। जेल पर नॉट फॉर सेल लिखा था। साथ ही उस पर शुल्क भी नहीं दिया था। इसके बावजूद जेल की पैकिंग पर लोहिया संस्थान की मुहर लगाकर मरीज से पैसे वसूल लिए गए। मुफ्त के जेल पर बिल कटने का मामला जब निदेशक के पास पहुंचा तब उन्होंने जांच के आदेश दिए।
जेल की बिक्री पर लगी रोक
मरीज की शिकायत के बाद निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी ने संबंधित जेल की बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी है। साथ ही एचआरएफ इंचार्ज डॉ. पीके दास से मामले पर रिपोर्ट तलब की।
मिलीभगत की आशंका
तर्क है कि अस्पताल में दवा की जरूरत थी। ऐसे में कंपनी को ऑर्डर दिया गया था, लेकिन उसने नॉट फॉर सेल लिखी दवा भेज दी। साथ ही दवा की सूची में उसके रेट पहले से तय थे। ऐसे में उसी रेट पर दवा बेची जा रही है। वहीं दूसरी तरफ फार्मेसी स्टाफ, कंपनी और खरीदारों की मिलीभगत की भी आशंका है। जब संस्थान को कंपनी को तय मूल्य पर ही भुगतान करना है, तो नॉटफॉर सेल दवा क्यूं ली गई। दूसरा यदि दवा मुफ्त थी, तो मुहर लगाकर उसे मरीज को क्यूं बेचा जा रहा था। उसके बिल कैसे कट रहे थे।