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उत्पादन में विदेशी कोयले की अनुमति से महंगी होगी बिजली, केंद्र से फैसले को वापस लेने की मांग

देश में कोयला संकट को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा तापीय बिजली उत्पादन परियोजनाओं को 15 फीसद तक विदेशी कोयले की अनुमति दिए जाने से बिजली महंगी होने की आशंका जताई जा रही है। केंद्र सरकार से फैसले को वापस लेने की मांग की गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 01:12 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 01:12 AM (IST)
उत्पादन में विदेशी कोयले की अनुमति से महंगी होगी बिजली, केंद्र से फैसले को वापस लेने की मांग
उत्पादन में विदेशी कोयले की अनुमति से महंगी बिजली होगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। देश में कोयला संकट को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा तापीय बिजली उत्पादन परियोजनाओं को 15 फीसद तक विदेशी कोयले की अनुमति दिए जाने से बिजली महंगी होने की आशंका जताई जा रही है। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विदेशी कोयले की अनुमति का विरोध जताते हुए केंद्र सरकार से फैसले को वापस लेने की मांग की है। इस संबंध में फेडरेशन जहां केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र लिख रहा है वहीं परिषद ने देश में कोयले संकट पर ही सवाल उठाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की है।

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पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे का कहना है कि बिजली घरों के लिए महंगे विदेशी कोयले की अनुमति देना, ऊर्जा क्षेत्र के लिए कतई ठीक नहीं है। इसका सीधा फायदा निजी घरानों को होगा और विदयुत उपभोक्ताओं की बिजली और महंगी होगी। दुबे ने बताया कि फैसले का विरोध करते हुए शनिवार को वह केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके ङ्क्षसह को पत्र लिखेंगे। आदेश का हर स्तर पर विरोध होगा। दुबे का कहना है कि केंद्र, एक्सचेंज की बिजली दर भी अधिकतम पांच रुपये यूनिट सुनिश्चित करे।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने भी फैसले का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि देश में 135 तापीय परियोजनाओं में कोयले का संकट होने पर पहले एक्सचेंज से बेहद महंगी बिजली बेची गई और अब विदेशी कोयले की अनुमति दी गई है। वर्मा का दावा है कि देश के दो निजी घरानों की विदेश में कोयला खदानें हैं। विदेशी कोयले का मूल्य हाल ही में 60 से 200 डालर प्रति टन तक बढ़ा है। अभी ज्यादातर बिजली घरों में विदेशी कोयले का इस्तेमाल नहीं होता है इसलिए बिजली दर पर कोई खास असर की उम्मीद नहीं थी। अब तापीय बिजली घरों को 15 फीसद तक विदेशी कोयले के इस्तेमाल की अनुमति से बिजली महंगी होना तय है जिसका खामियाजा अंतत आम उपभोक्ता को ही भुगतना पड़ेगा।

परिषद अध्यक्ष ने सभी उपभोक्ता संगठनों का आह्वान किया है कि उपभोक्ताओं के हित में वे एक मंच पर आकर केंद्र के इस फैसले का विरोध करें। वर्मा का कहना है कि अब तक केंद्रीय ऊर्जा मंत्री कह रहे थे कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है। देश में पर्याप्त कोयला है और अब कोयला संकट बताकर विदेशी कोयले की अनुमति दी गई है। परिषद अध्यक्ष ने इस संबंध में श्वेत पत्र जारी करने के साथ ही प्रधानमंत्री से कोयले संकट की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है।


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