किफायती बिजली खरीद कर उत्तर प्रदेश में सालाना 900 करोड़ बचा सकती हैं कंपनियां
सीईईडब्लू का कहना है कि मेरिट ऑर्डर डिस्पैच का कठोर अनुपालन करके उत्तर प्रदेश के सभी डिस्कॉम सालाना 900 करोड़ रुपये की बचत कर सकते हैं।
लखनऊ, जेएनएन। नीतियों पर शोध करने वाली संस्था काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरंमेंट एंड वाटर (सीईईडब्लू) का कहना है कि मेरिट ऑर्डर डिस्पैच (एमओडी) का कठोर अनुपालन करके उत्तर प्रदेश के सभी डिस्कॉम सालाना 900 करोड़ रुपये की बचत कर सकते हैं। सीईईडब्लू की ओर से मंगलवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। एमओडी की प्रक्रिया के तहत डिस्कॉम सबसे किफायती प्लांट से बिजली खरीद को प्राथमिकता देते हैं।
मौजूदा समय में डिस्कॉम अनेक समस्याओं के चलते एमओडी का पालन नहीं कर पाते हैं। इसके कई कारण हैं जैसे कि कुछ लो-कॉस्ट जेनरेटिंग स्टेशनों पर पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध न होना, अकुशल ऑपरेशनल शेड्यूलिंग और लचीली भुगतान शर्तों के चलते राज्य के स्वामित्व के जेनरेटर डिस्पैच को प्राथमिकता दी जाती है। उत्तर प्रदेश के डिस्कॉम्स ने चालू वित्तीय वर्ष के वार्षिक राजस्व में 4500 करोड़ रुपये की कमी की बात कही है।
बिजली खरीद का खर्च उत्तर प्रदेश के सभी डिस्कॉम के कुल वार्षिक खर्च का 75 से 85 प्रतिशत है। बिजली खरीद के खर्च को कम करके, खासकर एमओडी का पालन करके राजस्व में आने वाली कमी को कम किया जा सकता है। उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) योजना के आंकलन के आधार पर, सीईईडब्लू ने पाया कि उत्तर प्रदेश के डिस्कॉम ने पिछले वर्षों में बेची गई हर यूनिट बिजली पर 80 पैसे से ज्यादा का नुकसान उठाया है।
सीईईडब्लू के रिसर्च फेलो कार्तिक गणेशन का कहना है कि राजस्व बढ़ाने की कठिन चुनौती के कारण डिस्कॉम्स के पास लागत में कटौती करने के अलावा दूसरा चारा नहीं है। एक महत्वपूर्ण कदम यह होगा कि उन विभिन्न संयंत्रों में कोयले का आवंटन पुन: सुनिश्चित किया जाए जहां से राज्य बिजली खरीदता है। इसकी वजह से सबसे ज्यादा किफायती प्लांट उतनी बिजली उत्पन्न कर सकेंगे, जितनी तकनीकी दृष्टि से उत्पन्न किया जाना संभव है।
सीईईडब्लू के अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि उत्तर प्रदेश के डिस्कॉम ने हाल ही में अनुबंधित तीन उत्पादन स्रोतों को स्ट्रैन्डेड फिक्स्ड शुल्क के रूप में वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3000 करोड़ रुपये खर्च किए जो उनकी कुल खरीद लागत का लगभग छह प्रतिशत है। यह भुगतान नए जेनरेशन के लिए क्षमता बढ़ाने के प्लान के साथ वर्ष 2023 तक 10,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। राज्य के सभी डिस्कॉम को मौजूदा परिसंपत्तियों का बेहतर उपयोग करना होगा। पड़ोसी राज्यों से अतिरिक्त बिजली खरीदने पर विचार करना होगा। नई क्षमता को कमीशन या अनुबंध करने से पहले ऐसे अन्य विकल्प तलाशने होंगे।