LokSabha Election 2019: चुनाव प्रचार पर करनी होगी जेब ढीली, 20 फीसद बढ़ी महंगाई
लखनऊ में चुनाव प्रचार सामग्री 20 फीसद महंगी हुई।
लखनऊ,[अजय श्रीवास्तव]। अगर आप सामान्य कागज पर चुनाव प्रचार छपवा रहे हैं तो बीस प्रतिशत महंगाई झेलने को तैयार रहिए। कहीं आपने रंगीन कागज पर इसे छपवाया तो और अधिक रकम खर्च करनी पड़ सकती है। ऐसे में चुनावी दंगल में उतर रहे महारथियों को अब अपने बजट प्रबंधन में बदलाव करना पड़ सकता है। सामान्य कागज पर 17 प्रतिशत महंगाई की मार है तो रंगीन कागज पर यह 25 फीसद तक है। इसके अलावा 12 प्रतिशत जीएसटी भी उम्मीदवारों को ही झेलना होगा, जबकि पिछले चुनाव में वैट पांच प्रतिशत ही था।
चुनाव में अधिकांश प्रचार सामग्री कागज से ही तैयार होती है। उम्मीदवार का घोषणा पत्र, विकास के दावे, पोस्टर, कार्ड, मतदान पत्र समेत बिल्ले में कागज का ही उपयोग होता है। पर्यावरण की दृष्टि से प्लास्टिक से बनी प्रचार सामग्री पर प्रतिबंध होने से अब कागज की झंडियां भी बनाई जाती है।
महंगाई और जीएसटी मिलाकर कागज से बनी प्रचार सामग्री करीब बीस प्रतिशत तक महंगी हो गई है। हालांकि प्रिटिंग के दाम में कोई वृद्धि नहीं हुई है। लखनऊ प्रिंटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जवाहर लाल भार्गव कहते हैं कि कागज के दामों में बीस प्रतिशत तक महंगाई बढ़ गई थी, जो अब घटकर 17 प्रतिशत तक हो गई है। इसी तरह रंगीन कागज भी 25 प्रतिशत तक महंगा हो गया है। अगर रंगीन कागज का उपयोग प्रचार सामग्री पर होगा तो उम्मीदवारों को और अधिक रकम खर्च करनी पड़ेगी। पहले कागज पर वैट पांच प्रतिशत था, जबकि अब जीएसटी 12 प्रतिशत हो गया है। भार्गव कहते हैं कि अब उम्मीदवार पहले के बजाय कम चुनाव सामग्री ही छपवाएंगे, जिससे बजट संतुलित रहे।
बिल्ला, पोस्टर पर दिखेगी कंजूसी वैसे तो चुनाव में बेतहाशा प्रचार सामग्री खर्च होती है। दीवारों को पोस्टर से पाट दिया जाता है तो जमीनों पर कागज से बने बिल्ले, कार्ड और पम्पलेट बिखरे नजर आते हैं, लेकिन अब शायद ऐसा नजारा न दिखे।
उम्मीदवार चुनाव आयोग की तरफ से निर्धारित खर्च की रकम को संतुलित रखने के लिए कम मात्रा में ही प्रचार सामग्री को खपाने का तंत्र अपनाएंगे। एक राजीनीतिक दल से जुड़े पदाधिकारी बताते हैं कि कागज से बनी चुनाव सामग्री महंगी हो गई लिहाजा बजट को संतुलित रखा जाएगा, जिससे बेवजह प्रचार सामग्री का दुरुपयोग न हो।