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लखनऊ में चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच सम्पन्न हुआ जुलूस ए मदहे सहाबा और 'जुलूसे मोहम्मदी'

लखनऊ अमीनाबाद झंडेवाला पार्क से निकला मदहे सहाबा का जूलूस। शाही अंदाज में दरगाह शाहमीना शाह से निकाला गया जुलूस-ए-मोहम्मदी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 07:43 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 10:19 PM (IST)
लखनऊ में चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच सम्पन्न हुआ जुलूस ए मदहे सहाबा और 'जुलूसे मोहम्मदी'
लखनऊ में चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच सम्पन्न हुआ जुलूस ए मदहे सहाबा और 'जुलूसे मोहम्मदी'

लखनऊ, जेएनएन। सहाबा का परचम उठाए चला चल, कदम अपने आगे बढ़ाए चला चल...। सहाबा की मदहे ख्वानी में कारवां आगे बढ़ा, तो पीछे-पीछे अंजुमन देश के तिरंगे के साथ मजहबी झंडे व परचम लेकर नात, मनकबत व दुरुद ओ सलाम पेश करती साथ हो चलीं। ईद-ए-मिलादुन्नबी पर रविवार को अमीनाबाद झंडेवाला पार्क से मदहे सहाबा का जुलूस निकाला गया। उसके बाद शहर में जुलूस-ए-मुहम्मदी का सिलसिला शुरू हुआ, तो शहर के विभिन्न इलाकों से आई करीब 200 अंजुमन अपने-अपने परचम व झंडों के साथ दुरुद ओ सलाम पढ़ती जुलूस के साथ हो चली।

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पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब की जिंदगी पर डाली रोशनी 

मदहे सहाबा का जुलूस केे दौरान सबसे पहले मजलिस तहफ्फुजे नामूसे सहाबा के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल अलीम फारुखी ने पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब की जिंदगी पर विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि नबी पाक की शिक्षाओं पर चलकर ही मुसलमान न केवल अपनी जिदंगी को बेहतर बना सकता है, बल्कि इस्लामी पैगाम को दुनिया में आम करके समाज की बुराईयों से भी छुटकारा पा सकता है। मौलाना ने परचम कुशाई की रस्म अदा की, तो अंजुमन उमर फारुख ने परचम-ए-तराना पेश किया। अंजुमन जैश-ए-ओसामा व अंजुमन पासदार-ए-इस्लाम की अगुवाई में जुलूस के बढऩे का सिलसिला शुरू हुआ, तो शहर की करीब 200 अंजुमन अपने झंडे व परचम के साथ आगे बढ़ी। 

इस बीच रसूल की आमद की खुशी में पूरा इलाका नारों से गूंज उठा। अंजुमन के इंतजार में जुलूस मार्ग पर सड़क किनारे खड़े जायरीनों ने पूरे रास्ते फूलों की बारिश कर इस्तकबाल किया, तो कई धार्मिक संगठन ने जुलूस में शामिल लोगों को फूलों का हार पहनाकर मुबारकबाद दी। जुलूस अपने निर्धारित मार्ग अमीनाबाद से मौलवीगंज, रकाबगंज, नादान महल रोड, नक्खास तिराहा, टूडिय़ागंज, हैदरगंज चौराहे से होता हुआ ऐशबाग ईदगाह पहुंचा। इस बीच पूरे जुलूस में मजलिस के महासचिव मौलाना अजीम फारुखी, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली व मौलाना मुश्ताक नदवी सहित कई मौलाना शामिल रहे। 

जुलूस से फंसा रहा जाम 

मदहे सहाबा के जुलूस की वजह से डालीगंज पुल, सिटी स्टेशन पर घंटों जाम रहा। पुलिस प्रशासन और रूट डायवर्जन के बाद भी गाड़ियां जाम में फंस गई। जुलूस के निकलने के बाद किसी तरह से जाम छूटा। वहीं बालागंज, जल निगम रोड, नक्खास, चौक, सिटी स्टेशन, अमीनाबाद और मौलवीगंज से भी जुलूस निकला। 

यहां से निकला जुलूसे मदहे सहाबा

जुलूसे मदहे सहाबा रविवार सुबह 11 बजे झंडेवाले पार्क से शुरू होकर मौलवीगंज, रकाबगंज, नादान महल रोड, यहियागंज तिराहा, नक्खास तिराहे से बाएं मुड़कर टुडियागंज तिराहे से बाजारखाला थाने के सामने से होकर लाल माधव (हैदरगंज) तिराहे से बाएं मुड़कर ऐशबाग ईदगाह में शाम करीब छह बजे सकुशल संपन्न हुआ।

गूंजते नारों के बीच जुलूस-ए-मुहम्मदी का सिलसिला शुरू 

या नबी सलाम अलैका, या रसूल सलाम अलैका...। फिजाओं में गूंजते नारों के बीच जुलूस-ए-मुहम्मदी का सिलसिला शुरू हुआ, तो शहर के विभिन्न इलाकों से आई करीब 200 अंजुमन अपने-अपने परचम व झंडों के साथ दुरुद ओ सलाम पढ़ती जुलूस के साथ हो चली। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की विलादत पर रविवार को शाही अंदाज में जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला गया। शाही बग्घियों के साथ जुलूस में शामिल गाडिय़ों पर बैठे लोगों की नात व मनकबत पूरे इलाके में गूंज रही थी।

चौक स्थित दरगाह हजरत मख्दूम शाहमीना शाह में काजी-ए-शहर मुफ्ती इरफान मियां फरंगी महली ने परचम कुशाई की रस्म अदा कराई, तो चाहने वालों ने नात-ए-पाक पेश की। सबसे आगे काजी-ए-शहर की शाही सवारी, जिसके पीछे बाकी अंजुमन हुजूर की शान में सलाम पढ़ती चल रही थी। रास्ते में कई जगह लोगों ने फूलों की बारिश कर अंजुमन का इस्तकबाल किया। जुलूस दरगाह से चरक चौराहा होता हुआ चंद कदम दूर ज्योतिबा फूले पार्क पहुंच कर जश्न-ए-मिलादुन्नबी में बदल गया। जहां जुलूस-ए-मुहम्मदी में शामिल होने वाली कई अंजुमन को सम्मानित किया गया।

जलसे को खिताब करते हुए काजी-ए-शहर मुफ्ती इरफान मियां फरंगी महली ने कहा कि अल्लाह ने सबसे पहले मुहम्मद साहब के नूर को बनाया, फिर उसी नूर से पूरी कायनात को बनाया। इसलिए पूरी इंसानियत के लिए 12 रबीउल अव्वल का दिन रहमतों व बरकतों वाला है। ऑल इंडिया मुहम्मदी मिशन के अध्यक्ष मौलाना अय्यूब अशरफ ने नबी पाक की जिंदगी पर रोशनी डालकर उनके बताए रास्तों पर अमल करने की अपील की। इस बीच मौलाना मोहम्मद अफ्फान मियां फरंगी महली, शेख शाकिर अली मिनाई, डॉ. सैयद इकबाल हाशिमी व मोहम्मद फैजान अतीक फरंगी महली सहित कई लोग शामिल रहे।  

नबी पाक को इंसानों की रहनुमाई के लिए भेजा: फरंगी महली

वहीं, ऐशबाग ईदगाह में जलसा सीरतुन्नबी व प्याम-ए-अमन का आयोजन के दौरान इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अल्लाह ने पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब को इंसानों की रहनुमाई के लिए भेजा। नबी की शिक्षाओं पर अमल कर इंसान न केवल अपनी जिंदगी, बल्कि एक बेहतर समाज बना सकता है। जरूरत इस बात कि हैं कि मुसलमान नबी-ए-करीम की शिक्षाओं को घर-घर तक पहुंचाए। 

इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से ऐशबाग ईदगाह में जलसा सीरतुन्नबी व प्याम-ए-अमन की महफिल सजी। कारी कमरुद्दीन ने कुरआन शरीफ की तिलावत कर जलसे का आगाज किया। इसके बाद मौलाना खालिद रशीद ने मदहे सहाबा का जुलूस शांतिपूर्वक निकलवाने के लिए जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी को शॉल पहनाकर सम्मानित किया। डीएम व एसएसपी ने मौलाना का शुक्रिया अदा किया। कहा कि पुलिस-प्रशासन को जब अवाम का साथ मिल जाता है तो बड़े से बड़ा मसला हल हो जाता है। लखनऊ की यही खासियत है कि शहर की अवाम का पूरा सहयोग मिलता है। इसके बाद मौलाना अब्दुल अलीम फारुखी ने कहा कि हजरत मुहम्मद साहब ने सच्चे सहाबा-ए-कराम की जमात तैयार की थी, जिन्होंने नबी का पैगाम दुनिया तक पहुंचाया। इस मौके पर मौलाना जफरुद्दीन नदवी, मौलाना मोहम्मद मुश्ताक सहित कई मौलाना मौजूद रहे। देर रात तक सजी महफिल में कई शायरों ने अपने कलाम सुनाकर नबी-ए-करीम की बारगाह में नजराना पेश किया।

चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच सकुशल सम्पन्न हुआ जुलूस

लखनऊ में 'ईद-ए-मिलादुन्नबी जुलूसे मदहे सहाबा' व 'जुलूसे मोहम्मदी' चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच सकुशल सम्पन्न हुआ। जमीन पर सुरक्षा बल और आसमान से ड्रोन कैमरों के जरिये जुलूस मार्ग के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही थी। इसके अतिरिक्त जुलूस के प्रत्येक गतिविधि की वीडियों रिकॉर्डिंग हुई। 250 संवेदनशील और अतिसंवेदनशील स्थानों पर स्थायी सीसी कैमरे लगाए गये थे।

बड़ी इमारतों के छत से पुलिस बल दूरबीन और वीडियों कैमरे से निगरानी कर रहे थे। पूरे जुलूस की एसएसपी कलानिधि नैथानी, एएसपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी अगुवाई कर रहे थे। एसएसपी ने ऐशबाग ईदगाह से आपसी सौहार्द का संदेश दिया। जुलूस के दौरान राजधानी को 6 जोन व 22 सेक्टरों में विभाजित किया गया।प्रत्येक जोन में एएसपी व प्रत्येक सेक्टर में सीओ स्तर के अधिकारी ड्यूटी पर रहे। 43 थानों पर उपलब्ध मोबाइलों के अतिरिक्त 40 स्पेशल मोबाइल पर एक-एक दारोगा व चार-चार सिपाही व 78 बाइकों पर सशस्त्र सिपाहियों की ड्यिूटी रही।  

संवेदनशील स्थानों पर विशेष सक्रियता

संवेदनशील/अतिसंवेदनशील स्थलों के आस-पास इमारतों पर सशस्त्र पुलिस बल टीयर गैस, रबर बुलेट व ड्रैगन लाईट से लैस था। प्रमुख स्थानों पर थाना व चौकी प्रभारियों की ड्यूटी थी।

ये थी सुरक्षा व्यवस्था

19 एएसपी, 57 सीओ, 27 एसओ, इंस्पेक्टर, 15 अतरिक्त इंस्पेक्टर अपराध, 435 दारोगा, 200 हेड कांस्टेबल, 2446 कांस्टेबल, 50 महिला कांस्टेबल, 07 फायर सर्विस, 03 बर्ज वाहन, 15 टियर गैस, 15 कंपनी पीएसी और 6 कंपनी आरएएफ थी। मोबाइल वैन व जूलूस के दौरान विशेष वाहन (चार पहिया) और बाइकों पर दंगा निरोधी उपकरणों से लैस पुलिस बल लगातार गस्त पर थी। इसके अतिरिक्त घुड़सवार पुलिस फायर सर्विस भी थी।


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