घर-घर महकेगी सेहत की बगिया, स्थापित की जाएंगी स्वास्थ्य एवं पोषण वाटिका
ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पांच वर्ष से कम आयु वाले लगभग 38 फीसद बच्चे कुपोषण के कारण बौनेपन और अपर्याप्त मस्तिष्क के समुचित विकास की समस्या से ग्रसित हैं।
लखनऊ, (जेएनएन)। ग्रामीण अंचल में रहने वाली महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और उससे होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियां दिनों-दिन गंभीर रूप लेती जा रहीं हैं। ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पांच वर्ष से कम आयु वाले लगभग 38 फीसद बच्चे कुपोषण के कारण बौनेपन और अपर्याप्त मस्तिष्क के समुचित विकास की समस्या से ग्रसित हैं। दूसरी ओर लगभग 51 फीसद महिलाएं एनीमिया (रक्त की कमी) से जूझ रही हैं, जो मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालती हैं।
कुपोषण से निपटने के लिए जहां एक ओर सरकारी स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं, वहीं स्थानीय स्तर पर भी कुछ प्रभावकारी उपाय कर इनसे कुछ हद तक निजात पाई जा सकती है। वैज्ञानिकों ने घर-घर में पोषण वाटिका की स्थापना की पहल की है। ऐसी वाटिका घरों के आसपास तथा खेतों अथवा बागों में स्थापित जा सकती हैं। इन वाटिकाओं में विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियां, फल, मसाले, जड़ी बूटी, आदि लगाकर आवश्यकतानुसार दैनिक खानपान में प्रयोग कर सकते हैं। घर और आसपास स्थापित पोषण वाटिका से शरीर के लिए जरूरी पोषण तत्वों की पूर्ति के साथ स्वास्थ्य लाभ भी उठाया जा सकता है।
फ्लोराफौना साइंस फाउंडेशन ने इसका बीड़ा उठाया है। फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं सीमैप के पूर्व निदेशक डॉ.सुमन प्रीत सिंह खनुजा ने बताया की शुरुआत में लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी तथा रायबरेली के चयनित एक-एक विद्यालयों में स्वत: उगने वाले पौधों की पहचान, उपयोग और संरक्षण संबंधी जानकारी देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। डॉ. खनुजा ने बताया कि वाटिका में मौसमी सब्जियों वाले पौधों के अतिरिक्त फलदार और औषधीय पौधे भी रोपित किए जाएंगे। लखनऊ मोहान रोड के नजदीक स्थित सरोसा भरोसा गांव में कुछ फलदार और औषधीय पौधों तथा मौसमी सब्जियों का रोपण किया गया है।
कुर्सी रोड के समीप स्थित फ्लोराफौना साइंस फाउंडेशन में फलदार पौधों के रोपण के अतिरिक्त जैव उर्वरक तथा कल्चर युक्त कम्पोस्ट खाद बनाने की तकनीक भी विकसित की गई है। सरोसा भरोसा गांव की कोओर्डीनेटर डॉ.अनीता यादव ने बताया कि तुलसी, नींबू घास, हल्दी, अश्वगंधा, कालमेघ, शतावर, घृतकुमारी (एलो वेरा) तथा फलदार पौधों जैसे कि आंवला, जामुन, अमरूद, कटहल, नींबू और कई मौसमी सब्जियों का रोपण किया गया है, जिसमें पोषक और स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं। परियोजना से जुड़े पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने बताया कि जगह-जगह जागरूकता शिविर आयोजित कर स्कूली बच्चों सहित लोगों को पोषण एवं स्वास्थ्य रक्षा के लिए उपयोगी पौधों से परिचित करवाया जाएगा।