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गोवर्धन पूजा पर डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने लखनऊ में उड़ाई पतंग

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि गोवर्धन पूजा के दिन लखनऊ में जमघट पर्व मनाया जाता है इस दिन लोग छतों पर चढ़कर पतंगबाजी का विशेष आनंद लेते हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 01:05 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 01:05 PM (IST)
गोवर्धन पूजा पर डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने लखनऊ में उड़ाई पतंग
गोवर्धन पूजा पर डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने लखनऊ में उड़ाई पतंग

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉक्टर दिनेश शर्मा हर त्यौहार को मस्ती के साथ मनाते हैं। आज गोवर्धन पूजा पर उन्होंने लखनऊ में अपने पैतृक आवास ऐशबाग में आज गोवर्धन पूजा जमघट पर अपने घर पर पतंगबाजी का लुत्फ उठाया। उनके साथ उनकी पत्नी भी इस अवसर पर मौजूद थी।

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इस अवसर पर डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि भाई-बहन के परस्पर स्नेह के पर्व भाई-दूज पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर आप सभी के मनोरथ पूर्ण करें, हर बहन के घर-संसार में खुशियाँ बढती रहें एवं भाई को सुदीर्घ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा के दिन लखनऊ में जमघट पर्व मनाया जाता है इस दिन लोग छतों पर चढ़कर पतंगबाजी का विशेष आनंद लेते हैं।

इस मौके पर आज परिवार के साथ पतंग उड़ाने का अवसर प्राप्त हुआ। उप मुख्यमंत्री ने बच्चों के साथ पतंग उड़ाई। परिवार के साथ पर्व मनाकर दिनेश शर्मा काफी खुश दिखाई दिए। दिनेश शर्मा ने परिवार संग मनाए गए जमघट पर्व की कुछ फोटोज ट्वीट कर अपनी खुशी जाहिर की।

जमघट पर आसमान में छा गई पतंगें

दीपावली के बाद लखनऊ का आसमान अलग-अलग रंगों और डिजाइन की पतंगों से सजा नजर आया। पारम्परिक जमघट उत्सव के मौके पर लोगों ने पतंग उड़ाई। अगले दिन पतंगबाजी का सिलसिला सुबह सूरज उगने के साथ शुरू हो जाता है और शाम सूरज ढलने के बाद ही बंद होता है। शौक के तौर पर शुरू हुए इस पर्व को लखनऊ के नवाबों ने रफ्तार दी और अब यह एक परंपरा बन गई है। यह अनोखा पर्व है, जो लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शाता है। इस उत्सव में सभी धर्म और समुदाय के लोग भाग लेते हैं और पतंग उड़ाते हैं। लखनऊ के सभी उत्सवों में जमघट को सबसे बड़े त्योहार के रूप में जाना जाता है।

दीपावली के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन और गौ पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गाय की पूजा करने के बाद गाय पालक को उपहार एवं अन्न वस्त्र देना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। वृंदावन और मथुरा सहित देश के कई हिस्सों में इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता गोवर्धन पर्व

दीपावली की अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है।

शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती है, उसी तरह गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की। 


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