प्री-मानसून की वजह से बदरंग हुआ मलिहाबादी आम, काले धब्बे ने बढ़ाई बागवानों की मुसीबत
केंद्रीय उपोष्ण एवं बागवानी संस्थान के निदेशक डा.शैलेंद्र राजन ने बताया कि बरसात की वजह से आम की फसल पर बहुत सी बीमारियों ने आक्रमण कर दिया जिससे वह बेचने लायक नहीं बचा है। कीड़ों के कारण फलों पर धब्बे पड़ गए और कालापन आ गया।
लखनऊ, [आशीष पांडेय]। कोरोना संक्रमण काल में आम के वाजिब दाम न मिलने से परेशान बागवानों की दिक्कत थमने का नाम नहीं ले रही है। रही सही कसर प्री-मानसून से आम पर लगे काले धब्बे ने पूरी कर दी। आम की खूबसूरती खत्म होने के साथ 30 से 40 फीसद आम खराब हो चुका है। एंथ्रेक्नोज डिप्लोडिया नामक इस रोग ने बगवानों की नींद उड़ा दी है। मलिहाबाद, माल व काकोरी के फलपट्टी क्षेत्र में आम की फसल प्रभावित हुई है।
बागवानों ने बताया कि आम की फसल में समस्याओं का सिलसिला वर्ष 2018 से शुरू हुआ था। आम में निपाह नामक वायरस होने की अफवाह ने शौकीनों को आम से दूर कर दिया था और देखते ही देखते नागालैंड, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल सहित कई प्रदेशों से आम की मांग कम हो गई थी। इसके बाद बागवानों को फसल से लागत निकालने के भी लाले पड़ गए थे। 2019 में बारिश तथा 2020 में कोरोना महामारी ने बागवानों को लंबे घाटे में पहुचा दिया। अब 2021 में जब बागवानों को कोरोना संक्रमण से राहत मिल चुकी है तो पिछले दिनों हुई प्री-मानसून बारिश से कई तरह के रोग उत्पन्न हो गए, जिससे आम बदरंग होने के साथ-साथ पेड़ पर ही सडऩे लगा है।
इस बारे में केंद्रीय उपोष्ण एवं बागवानी संस्थान के निदेशक डा.शैलेंद्र राजन ने बताया कि बरसात की वजह से आम की फसल पर बहुत सी बीमारियों ने आक्रमण कर दिया, जिससे वह बेचने लायक नहीं बचा है। कीड़ों के कारण फलों पर धब्बे पड़ गए और कालापन आ गया। इसके अलावा दूसरी बीमारियों की वजह से आम में सडऩ शुरू हो गई। उन्होंने बताया कि इस समय आम पर मुख्यत: तीन तरह की बीमारियां दिख रही है जो मानसून से पहले हुई बारिश की वजह से आ गई है और हमारी मुख्य आम की किस्मों को प्रभावित कर रही है। इस समय एंथ्रेक्नोज डिप्लोडिया नामक रोग तेजी से फैल रहा है। इस रोक की वजह से आम के बीच व डंठल के पास काले धब्बे पड़ रहे है, जिससे यह बदरंग हो रहा। यह समस्या मलिहाबाद के आसपास देखने को मिल रही है। तथा तराई इलाको में बैक्टीरियल केंकर नामक रोग का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। इसका मुख्य कारण मानसून से पहले होने वाली वर्षा की अधिकता है।
उन्होंने बताया कि नियमित रूप से हो रही वर्षा के कारण फलों के ऊपर पाई जाने वाली रोग अवरोधक परत धुल कर समाप्त हो गई है। यह प्रकृति द्वारा आम के फल को दिया गया सुरक्षा कवच है जो चार से पांच बार वर्षा होने के बाद कमजोर हो जाता है। इसके बाद बीमारी तथा फल मक्खी को आक्रमण करने का मौका मिल जाता है और तरह तरह की बीमारियां पैदा करती है। उन्होंने बताया कि अभी तो बागवानों के सामने एक ही उपाय है कि वह बारिश और अधिक होने से पहले ही अपनी फसल को तोड़ ले, डाल पर पकने का इंतजार न करें। बारिश और हुई तो समस्या और तेजी से बढ़ेगी। साथ ही फसल को काफी नुकसान होगा।