DR Sugestions: वैक्सीन लगवाने में न करें देरी, प्रसूता और गर्भस्थ शिशु को किसी तरह का खतरा नहींं
गर्भावस्था के दौरान अगर कोविड हो चुका है तो डिलीवरी के तुरंत बाद ही वैक्सीन लगवाएं। कोविड होने के 12 हफ्ते बाद वैक्सीन लगवा सकती हैं या ठीक होने के चार से आठ सप्ताह बाद वैक्सीन लगवाएं। अगर प्रसूता रिस्क ग्रुप में नहीं है।
लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। सामान्य महिलाओं की अपेक्षा प्रसूताओं में संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। इसी खतरे को भांपते हुए कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले गर्भवतियों के टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा। गर्भावस्था के दौरान वैक्सीन से प्रसूता और गर्भस्थ शिशु को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है, पर फिर भी सतर्कता जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान संक्रमण होने पर डिलीवरी के तुरंत बाद ही टीकाकरण करवाएं। क्वीन मेरी अस्पताल की प्रोफेसर और आइसीयू इंचार्ज डा रेखा सचान बताती हैं, डब्ल्यूएचओ के अनुसार जो हाई रिस्क प्रेगनेंसी के केस हैं, उनको वैक्सीन बेहद जरूरी है। अन्य मामलों में थोड़ी छूट दी जा सकती है।
डायबिटीज, अस्थमा, अंग प्रत्यारोपण, डायलिसिस या किडनी रोग आदि से ग्रसित प्रसूता को अगर कोविड होता है तो प्रेगनेंसी के साथ यह बहुत खतरनाक होगा। उनका वैक्सीनेशन जरूर होना चाहिए। वहीं, गर्भावस्था के दौरान अगर कोविड हो चुका है तो डिलीवरी के तुरंत बाद ही वैक्सीन लगवाएं। कोविड होने के 12 हफ्ते बाद वैक्सीन लगवा सकती हैं या ठीक होने के चार से आठ सप्ताह बाद वैक्सीन लगवाएं। अगर प्रसूता रिस्क ग्रुप में नहीं है, तो डिलीवरी के तुरंत बाद भी वैक्सीन लगवा सकती हैं। वहीं, जो प्रसूताएं एलर्जिक हैं। किसी ने मोनो क्लोनल एंटी बॉडी लगवाई है या प्लाज्मा थेरेपी से इलाज करवाया है, तो वैक्सीन नहीं लगवाएं।
लखनऊ ऑब्स एवं गाइनोकोलॉजी सोसाइटी की अध्यक्ष डा यशोधरा प्रदीप बताती हैं, ऐसी प्रसूताएं जिन्हें कोई परेशानी नहीं है, वह कभी भी वैक्सीनेशन करवा सकती हैं। वहीं, जिन्हें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, खून या दिल की बीमारी, झटके आना आदि समस्याओं से ग्रसित प्रसूताएं ऐसे अस्पताल में ही वैक्सीन लगवाएं जहां सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। गर्भावस्था में एंजाइटी ज्यादा होती है, कोई हादसा न हो इसलिए भी यह जरूरी है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाले मामलों में जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में ही वैक्सीन ठीक है।
अस्पतालों में हो रही काउंसिलिंग : गर्भवतियों को टीकाकरण पर जोर तो दिया जा रहा, पर वैक्सीनेशन के लिए प्रसूताएं अभी आगे नहीं आ रहीं। इसे देखते हुए महिला अस्पतालों में प्रसूताओं की काउंसिलिंग की जा रही। झलकारी बाई अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डा रंजना खरे कहती हैं, हम गर्भवतियों के टीकाकरण के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, पर अभी प्रसूताएं वैक्सीनेशन के लिए नहीं आ रहीं। वहीं, डफरिन अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका डा सीमा श्रीवास्तव के अनुसार ओपीडी में प्रसूताओं को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करने को लेकर ओपीडी में उनकी काउंसिलिंग की जा रही।