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Swatantrata Ke Sarthi: नि:शुल्क लीगल क्लीनिक से बुलंद हुई गरीबों की आवाज

Swatantrata Ke Sarthi डॉ.राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विवि के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.केए पांडेय पढ़ाने के साथ समाज को कर रहे जागरूक।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 09:09 AM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 09:09 AM (IST)
Swatantrata Ke Sarthi:  नि:शुल्क लीगल क्लीनिक से बुलंद हुई गरीबों की आवाज
Swatantrata Ke Sarthi: नि:शुल्क लीगल क्लीनिक से बुलंद हुई गरीबों की आवाज

लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। Swatantrata Ke Sarthi: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ने वालों की संख्या बहुत कम है, लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो विचारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। इनमें राजधानी के डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केए पांडेय भी हैं। वह न केवल प्रोफेसर के रूप विद्यार्थियों को कानून की बारीकियों से रूबरू कराते हैं बल्कि अवकाश के दिनों में समाजसेवा के माध्यम से भी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लड़ाई लड़ते हैं। वह लोगों के बीच जाकर उनके अधिकारों की जानकारी देते हैं। इनके इन प्रयासों के कारण ही आज बहुत से लोग अपना हक पाने के लिए संघर्ष करने का हौसला जुटा पाए हैं। 2015 में डॉ.राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय में अधिकारों को दिलाने के लिए खुली निश्शुल्क क्लीनिक के प्रभारी के तौर पर भी व गरीबों के हक की लड़ाई को बुलंद करते रहे हैं। पिछले वर्ष तक एक हजार से अधिक गरीबों की आवाज को बुलंद कर चुके हैं।

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कई सामाजिक संगठनों के माध्यम से लीगल एडवाइज देने के साथ ही विवि में खुली लीगल क्लिनिक में बैठ कर सलाह देना उनकी दिनचार्य का हिस्सा बन गया है। वह कहते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वर्तमान समय में सबसे अहम अधिकारों में से एक है। इनका मानना है कि जिस समाज में अभिव्यक्ति और संचार माध्यमों की स्वतंत्रता न हो वह तानाशाह समाज होता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी बात कह नहीं सकता तो वह स्वतंत्र नहीं है। हालांकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ किसी का अपमान करना, उपहास करना और अराजकता नहीं है। बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ एक दायरे में रहकर अपनी बात को कहना है।

डॉ.केए पांडेय का कहना है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी न केवल मूलभूत आज़ादियों में शामिल है बल्कि मानवाधिकार भी है । अभिव्यक्ति की आज़ादी को किसी राज्य में लोकतांत्रिक मूल्यों का पैमाना माना जा सकता है। भारतीय संविधान अपने प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आज़ादी प्रदान करता है ।अभिव्यक्ति की आज़ादी में न केवल विचार की स्वतंत्रता है, बल्कि यह भी सम्मिलित है कि उन विचारों को व्यक्त करने का अधिकार हो । विश्व भर में स्वस्थ लोकतंत्र विरोध एवं सहमति के स्वरों को न केवल मान्यता देते हैं, बल्कि इन स्वरों का आदर भी करते हैं । निश्चित तौर पर अन्य स्वतंत्रताओं की तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी संविधान सम्मत युक्तियुक्त निर्बंधन लगाए जा सकते हैं , परन्तु इन निर्बंधनों का विस्तार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंट देने तक नहीं हो सकता।

इनको मिली अभिव्यक्ति की आजादी

आशियाना राम सेवक जेल में बंद थे। उनके दादा के नाम की प्रापर्टी को नाम बदलकर हड़प लिया गया। उनकी आवाज कोई सुन नहीं रहा था। लीगल क्लीनिक पहुंचे ताे डॉ.केए पांडेय ने मामले को लेकर लीगल नोटिस के माध्यम से उनकी आवाज को बुलंद की। आर्थिक रूप से परेशान राम सेवक की आवाज को डॉ.पांडेय ने न केवल बुलंद की बल्कि उन्हें उनका हक भी दिलाया। अकेले राम सेवक ही नहीं परसादी खेड़ा के राम कुमार, शत्रोहन व राम नरेश समेत कई लोगों की दबी आवाज को बुलंद कर उन्हें हक दिलवाया। 


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