उत्तर प्रदेश में अब गठित होगी डॉल्फिन टास्क फोर्स, रेस्क्यू के लिए एंबुलेंस की भी व्यवस्था
उत्तर प्रदेश सरकार टाइगर टास्क फोर्स की तर्ज पर डॉल्फिन बचाने के लिए अब डॉल्फिन टास्क फोर्स गठित करने जा रही है। यह फोर्स डॉल्फिन वाले क्षेत्रों में नजर रखने के लिए नियमित पेट्रोलिंग करेगी। साथ ही सरकार डॉल्फिन बहुल क्षेत्रों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को डॉल्फिन मित्र बनाएगी।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सरकार टाइगर टास्क फोर्स की तर्ज पर डॉल्फिन बचाने के लिए अब डॉल्फिन टास्क फोर्स गठित करने जा रही है। यह फोर्स डॉल्फिन वाले क्षेत्रों में नजर रखने के लिए नियमित पेट्रोलिंग करेगी। साथ ही सरकार डॉल्फिन बहुल क्षेत्रों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को डॉल्फिन मित्र बनाएगी। इन्हें डॉल्फिन संरक्षण के बारे में जागरूक किया जाएगा। डॉल्फिन को रेस्क्यू कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए डॉल्फिन एंबुलेंस की भी व्यवस्था की जा रही है।
उत्तर प्रदेश में डॉल्फिन खास तौर से बिजनौर से नरौरा बैराज तक गंगा नदी में पाई जाती हैं। इसके अलावा बहराइच, बाराबंकी, श्रावस्ती आदि क्षेत्रों में भी यह मिलती हैं। यहां पर अक्सर नदी से कैनाल में आ जाती हैं। विलुप्त प्राय इस जीव की संख्या कम हो रही है, जिसका मुख्य कारण गंगा का बढ़ता प्रदूषण, बांधों का निर्माण एवं शिकार है। इसका शिकार तेल के लिए किया जाता है। इसे अन्य मछलियों को पकड़ने के लिए चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा मछली पकड़ते समय बिछाये जाने वाले जाल में भी यह अक्सर फंस जाती हैं।
डॉल्फिन को बचाने के लिए वन विभाग टास्क फोर्स का गठन करने जा रहा है। यह फोर्स उन स्थानों पर नदियों की पेट्रोलिंग करेगी, जहां डॉल्फिन की संख्या अधिक है। इसके लिए फोर्स को बोट व अन्य जरूरी उपकरण मुहैया कराए जाएंगे। साथ ही आसपास के लोगों को डॉल्फिन के संरक्षण के बारे में जागरूक किया जाएगा। अभी बड़ी समस्या डॉल्फिन के रेस्क्यू की है। यदि यह कैनाल में पहुंच जाती हैं और ग्रामीण पकड़ लेते हैं तो उन्हें सुरक्षित नदी तक पहुंचाने के लिए विभाग के पास कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में अब डॉल्फिन एंबुलेंस की भी व्यवस्था सरकार करने जा रही है। इसके लिए डब्लूडब्लूएफ का सहयोग लिया जाएगा।
पूरे प्रदेश में होगी गिनती : वन विभाग डॉल्फिन की गिनती पूरे प्रदेश में कराने जा रहा है। अभी प्रदेश में इनकी संख्या के बारे में जानकारी नहीं है। केवल बिजनौर से नरौरा बैराज तक डॉल्फिन की हाल ही में हुई गिनती में इनकी संख्या 41 मिली है। वर्ष 2015 में यहां केवल 22 डॉल्फिन ही थीं। पूरे प्रदेश में गिनती होने के बाद इनकी सही संख्या पता चल पाएगी।