छत से घिरा बच्चा, आंख-नाक में घुसा खपडै़ल; पांच घंटे ऑपरेशन के बाद मिली नई जिंदगी
ऑप्टिक नर्व कटी डॉक्टरों ने पांच घंटे ऑपरेशन कर दी जिंदगी। एक आंख पूरी तरह हुई डैमेज दूसरी आंख बचाने में मिली कामयाबी।
लखनऊ, जेएनएन। आठ वर्षीय बच्चा छत पर खेल रहा था। अचानक वह नीचे गिर गया। इस दरम्यान जमीन पर पड़ा सीमेंट का खपड़ैल (टायल्स नुमा) उसके चेहर में घुस गया। इसमें एक आंख की कॉर्निया, ऑप्टिक नर्व पूरी तरह डैमेज हो गई। वहीं तीन हिस्सों में प्रवेश कर चुका खपड़ैल डॉक्टरों ने पांच घंटे ऑपरेशन कर निकाल दिया। इससे उसकी दूसरी आंख के साथ-साथ ब्रेन में नुकसान होने से बचा लिया गया।
जौनपुर निवासी अभिषेक(8) शनिवार को छत पर खेल रहा था। अचानक वह नीचे आ गिरा। इस दौरान जमीन पर पड़ा सीमेंट का खपड़ैल उसकी बाईं आंख, नाक में घुस गया। ऐसे में शाम को परिवारजन अभिषेक को खून से लथपथ लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां कोरोना की जांच की गई। ट्रॉमा सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, नेत्र रोग विभाग की टीम ने देखा। एक्स-रे, सीटी स्कैन, ब्लड के टेस्ट कराए गए। इसके बाद रविवार को अभिषेक को प्लास्टिक सर्जरी विभाग रेफर कर दिया गया। यहां डॉक्टरों ने रिपोर्ट देखकर मंगलवार को ऑपरेशन किया।
नर्व समेत कई हड्डी कटीं
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. दिव्य नारायण के मुताबिक, अभिषेक का चेहरा काफी जख्मी हो गया था। उसकी बाईं आंख के शॉकेट की हडि्डयां कट गईं। कार्निया पूरी तरह डमैज हो गई। आंख से ब्रेन जाने वाली ऑप्टिक नर्स कट गई। नाक की नेजल सेप्टम, साइनस की हड्डी भी कटी मिलीं। वहीं, खपड़ैल ब्रेन स्कल के बेस के पास जा घुसा था। दायीं आंख के शॉकेट को भी टच कर रहा था। लिहाजा, ब्रेन व दायीं आंख को बचाना चुनौती था। ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी, नेत्र रोग विभाग, न्यूरो सर्जरी, एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने मिलकर पांच घंटे में ऑपरेशन कर खपड़ैल निकाला । इस दौरान बाईं आंख पूरी तरह खराब हो गई। दाईं आंख से अभिषेक देख सकेगा। अन्य नर्व व हडि्डयों को रिपेयर कर जोड़ दिया गया। ऑपरेशन टीम में डॉ. अभिजात, डॉ. सतीश, डॉ. अपजित कौर, डॉ. शैलजा, डॉ. क्षितिज समेत आदि शामिल रहे।