सोमवती अमावस्या के दिन जरूर करें ये छह काम, दूर होगी दरिद्रता; जानें- शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को है। यह पर्व पति की दीर्घायु की कामना के लिए मनाया जाता है। यह ऐसा पर्व है जिसकी तिथि पहले से निर्धारित नहीं होती। सोमवार के दिन दिवंगत पूर्वजों को याद करने से उनका आशीर्वाद भी मिलता है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। पति की दीर्घायु की कामना का पर्व सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को है। दोपहर 2:18 बजे से अमावस्या का मान शुरू हो जाएगा। यह ऐसा पर्व है जिसकी तिथि पहले से निर्धारित नहीं होती। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या ही सोमवती अमावस्या मानी जाती है। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या को सबसे बड़ा पुण्य काल माना गया है। चंद्रमा मनुष्य के मन और जल का कारक होने के कारण अमावस्या पर स्नान, ध्यान का विशेष फल मिलता है।
आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक माना गया है। इसके पीछे तर्क भी है। सोमवार को भगवान शिव और चंद्रमा का दिन माना गया है। चंद्रमा को जल और मन का कारक माना गया है, साथ ही सोमांश को प्राप्त करने का साधन भी जल ही है। इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करना श्रेयस्कर हाेता है। महिलाओं के लिए पुण्य का दिन सोमवती अमावस्या महिलाओं के लिए पुण्य का वरदान लेकर आएगी।
आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि इस दिन विधि विधान से गंगा में स्नान ध्यान कर जो महिला मन से पति को परमेश्वर का दर्जा देगी, उसका सुहाग हमेशा बना रहेगा। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि 31 जनवरी को दाेपहर 2:18 बजे से सोमवती अमावस्या का मान शुरू होगा और एक फरवरी कोसुबह 11:16 बजे तक रहेगा। इस बार माघ अमावस्या पड़ रही है जिससे इसे माघी व मौनी अमावस्या भी कहेंगे। मौनी अमावस्या को भी काफी पुण्यदायी माना गया है। उदया तिथि के मान की वजह से एक फरवरी को गंगा स्नान श्रेयस्कर होगा। सोमवार के दिन दिवंगत पूर्वजों को याद करने से उनका आशीर्वाद भी मिलता है। उनके नाम से दान करना उत्तम होगा। आचार्य विजय वर्मा ने बताया कि सोमवती अमावस्या ने दिन ग्रह नक्षत्रों का खास योग होने से लोगों को राहत मिलेगी। सूर्य व चंद्र देव के जल देने से उनकी कृपा मिलती है।
क्या करें इस दिन
- ऐसी मान्यता है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य प्राप्त होता है।
- सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का भी विधान बताया गया है। उसके बाद गरीबों को भोजन कराया जाता हैं।
- सोमवती अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है।
- महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व बताया गया है।
- सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। इसका विशेष फल मिलता है।
- सोमवती अमावस्या के दिन भगवान सूर्य जल देने से दरिद्रता दूर होती है और जीवन में खुशहाली आती है।