षटतिला एकादशी पर जरूर करें ये छह उपाय, पूरी होंगी मनोकामनाएं; जानें- शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
Shattila Ekadashi 2022 षटतिला एकादशी का व्रत कठिन माना जाता है क्योंकि इस दिन न तो जल ग्रहण करना होता है और न अन्न का दाना। मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी का व्रत कथा सुनना श्रेयस्कर होता है। माघ मास के कृष्ण की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहते हैं।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। भगवान विष्णु के पूजन का षटतिला एकादशी 28 जनवरी को है। इस दिन तिल का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्त होती है। हर माह आने वाली एकादशी का एक विशिष्ट नाम और महत्व होता है, माघ मास के कृष्ण की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहते हैं।
आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि षटतिला एकादशी का व्रत कठिनतम व्रत माना जाता है, क्योंकि इस दिन न तो जल ग्रहण करना होता है और न ही अन्न का दाना। मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी का व्रत कथा सुनना श्रेयस्कर होता है। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि षटतिला एकादशी का संबंध तिल से हैं। छह प्रकार से तिलों के उपयोग किया जाता है। इस दिन तिल का सेवन और उसका दान करता है, उसे नर्क के संकटों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष मिलता है। इस दिन तिल का उपयोग दान, स्नान, सेवन, तर्पण, उबटन और आहुति के लिए करना चाहिए।
आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि एकादशी का मान 27 जनवरी रात्रि 2.16 बजे से शुरू होकर 28 जनवरी रात 11:35 बजे तक रहेगा। 29 जनवरी सुबह 9:30 बजे तक व्रत का पारण करना चाहि। ऐसा करने से श्री हरि की कृपा से दुख-दारिद्रय का नाश होता है तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस दिन दान पुण्य करने का विशेष योग भी है। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि इस दिन तिल का उबटन लगाना चाहिए जिससे शरीर के विकार दूर होते हैं। हरि कृपा के लिए ऐसे करने से आपके जीवन में खुशहाली के साथ ही समृद्धि का विकास होता है। मां लक्ष्मी भी हरि पूजन करने वालों के घर वास करती हैं। कठिन व्रत जरूर होता है, लेकिन पुण्य की प्राप्ति होने से महिलाएं व पुरुष दोनों ही व्रत रखते हैं। संतान सुख के साथ घर में समृद्धि होती है।