बहन समेत आठ बच्चों को सांड से बचाने वाले बाराबंकी के दिव्यांश को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, PM मोदी की बातें कर गई प्रेरित
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त बाराबंकी के दिव्यांश को प्रधानमंत्री से बात करने के लिए किया गया था आमंत्रित। बात नहीं हुई पर प्रधानमंत्री के विचार सुनकर हुआ प्रेरित। दिव्यांश को प्रधानमंत्री से मिली आइडिया को एक्शन में बदलने की प्रेरणा ।
बाराबंकी, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में प्रतिभाओं का खजाना है। हर विधा में यूपी के छात्रों ने अपना दमखम दिखाया है। ऐसे में अपनी खूबियों की मदद से यूपी के पांच छात्रों ने केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार हासिल किए। सोमवार को प्रधानमंत्री ने विजेताओं से वर्चुअल संवाद किया। जिसमें से एक बाराबंकी का बेटा नवाबगंज तहसील के मखदूमपुर गांव निवासी कुंवर दिव्यांश भी है। इन्हें आइडिया को एक्शन में बदलने की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही मिली। प्रधानमंत्री की इन बातों से काफी प्रभावित हुए मात-पिता भी...
दिव्यांश ने बताया कि प्रधानमंत्री ने ‘उद्यमेन ही सिद्धम’ यानि कार्य मेहनत से ही सिद्ध होता है। कहकर भाग्य के भरोसे न रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आइडिया को एक्शन में बदलने की बात भी कही। इससे मुझे लगा कि जो भी सकारात्मक सोचा जाए उसे धरातल पर लाने के लिए कार्य करना चाहिए। हालांकि, दिव्यांश को प्रधानमंत्री से बात करने मौका तो नहीं मिला लेकिन प्रधानमंत्री की बाते उसे प्रेरित कर गई। दिव्यांश की माता डॉ. विनीता व पिता डीबी सिंह भी प्रधानमंत्री की बातों से काफी प्रभावित हुए। इस दौरान डीएम डॉ. आदर्श सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। इससे पहले भी दिव्यांश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व राज्यपाल राम नाईक व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सम्मानित कर चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के कुंवर दिव्यांश सिंह का अदम्य साहस हर किसी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने अपनी बहन और दूसरे कई बच्चों की रक्षा के लिए जान दांव पर लगा दी। इस वीरता के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से नवाजे जाने पर उन्हें अनेक शुभकामनाएं। pic.twitter.com/plm1HRGA5E— Narendra Modi (@narendramodi) January 25, 2021
बहन के लिए सांड से भिड़ा था दिव्यांश, हाथ हुआ फ्रैक्चर फिर भी डटा रहा: वर्ष 2018 में स्कूल से लौटते समय एक सांड ने उनकी पांच साल की बहन पर हमला कर दिया था। बहन की जान का खतरा देख दिव्यांश ने बहादुरी दिखाते हुए अपने स्कूली बैग से ही हमलावर सांड से भिड़ गए थे। दिव्यांग के दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। आखिरकार में सांड को भगाकर बहन की जान बचा ली। तब उसकी उम्र महज 13 साल की थी। दिव्यांशु को राष्ट्रीय और राज्य स्तर सहित करीब 24 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।