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उपभोक्‍ता फोरम का ऐतिहासिक फैसला : सफाई न होने पर नगर आयुक्त के एक वर्ष का वेतन काटा

मेट्रो सिटी निवासी वैज्ञानिक डॉ अखिला की याचिका पर जिला उपभोक्ता फोरम का ऐतिहासिक फैसला। नगर आयुक्त का एक साल का वेतन काटकर याचिकाकर्ता डॉ अखिला को दिया जाए।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 09:18 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 02:36 PM (IST)
उपभोक्‍ता फोरम का ऐतिहासिक फैसला : सफाई न होने पर नगर आयुक्त के एक वर्ष का वेतन काटा
उपभोक्‍ता फोरम का ऐतिहासिक फैसला : सफाई न होने पर नगर आयुक्त के एक वर्ष का वेतन काटा

लखनऊ, जेएनएन। जगह-जगह गंदगी, आवारा पशुओं की सड़कों पर चहलकदमी और सड़कों की खराब हालत पर नगर निगम की कार्यशैली से नाराज जिला उपभोक्ता फोरम के न्यायिक सदस्य राजर्षि शुक्ला और अध्यक्ष अरविंद कुमार ने एक याचिका पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए नगर आयुक्त का एक वर्ष का वेतन काटने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह रकम शिकायतकर्ता डा. अखिला को देने और 15 दिन के भीतर पेपर मिल कॉलोनी के समीप स्थित मेट्रो सिटी और इसके आसपास सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने का आदेश दिया। 

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मेट्रो सिटी निवासी डॉ अखिला ने गंदगी से परेशान होकर कॉलोनी के आसपास सफाई के लिए कई बार नगर निगम के चक्कर लगाए, लेकिन नगर निगम अधिकारियों ने नहीं सुनी। परेशान होकर उन्होंने मई, 2017 में जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम में शिकायत की। शुक्रवार को फोरम ने नगर आयुक्त का एक वर्ष का वेतन काटकर शिकायकर्ता डॉ. अखिला को देने तथा उनकी कॉलोनी के आसपास की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश दिए। 

सिर्फ वीआइपी इलाकों में होती है सफाई

डॉ. अखिला का कहना था कि चूंकि नगर निगम को वे हाउस टैक्स और वॉटर टैक्स देते हैं। इसलिए उनका अधिकार है कि नगर निगम घर के आसपास सफाई रखे। सुनवाई होती रही और नगर निगम अपनी सफाई देता रहा। निगम का दावा था कि वह पूरे शहर में सफाई की समान व्यवस्था करता है। जबकि, शिकायतकर्ता का कहना था कि वीआइपी इलाकों को छोड़कर कहीं भी सफाई के प्रबंध नहीं हैं। कहीं भी फॉगिंग नहीं की जाती, जबकि मच्छर मलेरिया, डेंगू, इंसेफ्लाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियां बांटते हैं। मच्छरों के प्रकोप के चलते बच्चों का पार्क में खेलना और लोगों का टहलना मुश्किल है। बजबजाते नाले-नालियां शहर की हवा दूषित कर रही हैं। नगर निगम ने कहा कि आरआर विभाग की गाडिय़ां न केवल कूड़ा उठाती हैं, बल्कि चूना भी डालती हैं। 

मेट्रो सिटी की हो साफ-सफाई

दोनों पक्षों को सुनने के बाद फोरम के न्यायिक सदस्य राजर्षि शुक्ला और अध्यक्ष अरविंद कुमार ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए आदेश दिया कि शिकायकर्ता डॉ. अखिला को नगर आयुक्त का एक वर्ष का वेतन काटकर दिया जाए। इसके अलावा आदेश में कहा गया है कि 15 दिन के भीतर मेट्रो सिटी, जहां डॉ. अखिला रहते हैं, उसके आसपास सफाई व्यवस्था दुरुस्त की जाए। 

राष्ट्रीय आयोग के फैसले का दिया हवाला

फोरम ने इस मामले में राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया, जिसमें दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को दोषी माना गया था। कोर्ट ने कहा कि यदि 15 दिन में अनुपालन न किया गया तो डॉ. अखिला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 27 के तहत कानूनी प्रक्रिया के लिए अधिकृत होंगे।          

महत्वपूर्ण बातें

  • अदालत ने नगर आयुक्त का एक वर्ष का वेतन शिकायतकर्ता को दिए जाने का आदेश दिया 
  • शिकायतकर्ता पंद्रह दिन बाद सीधे अदालत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 27ए के तहत दंडात्मक कार्रवाई के लिए अर्जी दे सकेगा
  • नगर निगम के काम से असंतुष्ट कोई भी व्यक्ति साफ-सफाई, खुले मेनहोल अथवा आवारा पशुओं की समस्या आदि के लिए उपभोक्ता अदालत में वाद दाखिल कर सकेगा

हो सकती है कार्रवाई

उपभोक्ता अदालत के आदेशों का अनुपालन न करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 27ए के तहत दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। अर्थ दंड के अलावा पांच साल के कारावास की सजा भी सुनाई जा सकती है।   


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