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यूपी की जेलों में उपद्रव पर अंकुश लगाने के लिए अब डीजी जेल खुद छापा मारकर चलाएंगे चाबुक

डीजी जेल आनन्द कुमार ने अब जेलों में अचानक छापा मारने की रणनीति बनाई है। यानी जेल के भीतर क्या चल रहा है और वहां की सुरक्षा-व्यवस्था में कितने छेद हैं। इसकी खबर डीजी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी खुद किसी जेल में अचानक पहुंचकर लेंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 05:04 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 05:05 PM (IST)
यूपी की जेलों में उपद्रव पर अंकुश लगाने के लिए अब डीजी जेल खुद छापा मारकर चलाएंगे चाबुक
यूपी की जेलों में उपद्रव पर अंकुश लगाने के लिए डीजी जेल समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी औचक निरीक्षण करेंगे।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। मशहूर फिल्म कालिया में जेलर रघुवीर सिंह के किरदार ने भले ही सलाखों के पीछे कुख्यातों पर सख्ती की नई मिसाल पेश की थी, लेकिन उत्तर प्रदेश की जेलों की वास्तविक कहानी बिल्कुल अलग है। यहां कारागारों की ऊंची दीवारें न भागने वालों के कदम रोक पाती हैं और न ही भीतर किसी गहरी साजिश के हाथ। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए शासन ने नई रणनीति बनाई है। तय किया गया है कि डीजी जेल समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी खुद किसी जेल में अचानक पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेंगे।

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चित्रकूट जेल में 14 मई को दो अपराधियों की हत्या के बाद आरोपित कुख्यात अंशू दीक्षित पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। इस घटना की अभी पूरी परतें भी नहीं खुल सकी थीं कि इसी बीच जौनपुर जेल में बीते शुक्रवार को जिस तरह बंदियों ने उपद्रव किया, उसने एक बार फिर कारागारों की भीतरी सुरक्षा प्रणाली को सवालों में ला खड़ा किया है। आखिर किस तरह बंदियों की अराजकता इस हद तक पहुंच गई कि उन पर काबू पाने के लिए जेल प्रशासन से लेकर पुलिस को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा।

इन हालात को देखते हुए डीजी जेल आनन्द कुमार ने अब जेलों में अचानक छापा मारने की रणनीति बनाई है। यानी जेल के भीतर क्या चल रहा है और वहां की सुरक्षा-व्यवस्था में कितने छेद हैं। इसकी खबर डीजी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी खुद किसी जेल में अचानक पहुंचकर लेंगे। जल्द ही यह सिलसिला शुरू होगा।

जौनपुर जेल में शुक्रवार को हुए उपद्रव के पीछे पांच बंदियों का दूसरी जेल में स्थानान्तरण किए जाने के लिए डीएम को पत्र लिखे जाने की कहानी भी सामने आ रही है। सूत्रों का कहना है कि इन बंदियों को उनकी जेल बदले जाने की तैयारी की भनक लग गई थी और उन्होंने सिद्धदोष बंदी बागेश मिश्र की मृत्यु के बाद जेल में उपद्रव को हवा देने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि अब ऐसे कई तथ्य जांच के दायरे में हैं। साथ ही यह सवाल भी खड़े हैं कि आखिर बंदी बैरकों से बाहर निकलकर किस तरह एकजुट हुए और भीतरी सुरक्षा के हर दरवाजे को ध्वस्त कर दिया।

बागपत जेल में नौ जुलाई 2018 को उच्च सुरक्षा बैरक में माफिया मुन्ना बजरंगी उर्फ ओम प्रकाश सिंह की गोली मारकर हत्या की घटना के बाद जेलों की सुरक्षा को लेकर बड़े कदम उठाए गए थे, लेकिन लापरवाही ने फिर हालात बदतर कर दिए हैं। जेलों में घटनाओं का सिलसिला जारी है। माफिया अतीक अहमद ने तो देवरिया जेल में निरुद्ध रहने के दौरान लखनऊ के एक रियर एस्टेट कारोबारी को अगवा कर जेल में पीटा तक था। मई 2020 में बागपत जेल में बंदियों के दो गुटों में खूनी संघर्ष भी हुआ था।


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