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नव्य अयोध्या के साथ प्राचीन घाटों के भी बहुरेंगे दिन Ayodhya News

अयोध्या के इन्हीं घाटों से लगे सरयू के पुराने बेसिन में प्रस्तावित है सीता झील एवं इक्ष्वाकुपुरी जैसी महत्वाकांक्षी योजना।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 10:05 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 10:05 AM (IST)
नव्य अयोध्या के साथ प्राचीन घाटों के भी बहुरेंगे दिन Ayodhya News
नव्य अयोध्या के साथ प्राचीन घाटों के भी बहुरेंगे दिन Ayodhya News

अयोध्या [रघुवरशरण]। साढ़े छह दशक पूर्व आई भीषण बाढ़ से पहचान खो चुके सरयू के प्राचीन घाटों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। भव्य राममंदिर के साथ नव्य अयोध्या के निर्माण की योजना में इन घाटों का शामिल होना तय माना जा रहा है। यह घाट रामजन्मभूमि के पृष्ठ में बमुश्किल चार सौ मीटर से चार किलोमीटर के फासले पर हैं। दशकों बाद इन घाटों की संभावना महज अपनी विरासत के आधार पर नहीं बल्कि इनसे जुड़ी सैकड़ों एकड़ भूमि के चलते जगी है।

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बंधा बनने से सामने आई जमीन 

पुण्य सलिला का रुख मुडऩे के बाद से इन घाटों का वजूद खत्म हो गया था। डेढ़ दशक पूर्व बंधा बन जाने से घाटों से लगी सरयू की बेसिन सैकड़ों एकड़ जमीन में तब्दील हो उठी है। गत वर्ष इसी भूखंड पर एनजीटी ने सीता झील विकसित करने का आदेश दिया। उन लोगों को नोटिस जारी की गई है, जिन्होंने सरयू के बेसिन में स्थाई निर्माण कराने की हिमाकत की। 

प्रदेश सरकार भी गंभीर 

सोमवार को रामनगरी पहुंचे संघ के सह सरकार्यवाह कृष्णगोपाल ने सरयू के इस तट का निरीक्षण करने के साथ सीता झील के निर्माण की संभावनाओं को गंभीरता प्रदान की। ...तो प्रदेश सरकार इसी भूखंड पर वैश्विक स्तर की इको फ्रेंडली सिटी इक्ष्वाकुपुरी विकसित करने का ब्लू ङ्क्षप्रट तैयार कर चुकी है। 

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क्या कहते हैं विधायक ? 

विधायक वेदप्रकाश गुप्त के मुताबिक, सीता झील, इक्ष्वाकुपुरी और भव्य राममंदिर को भव्य मार्ग उपलब्ध कराने की संभावना के साथ इन प्राचीन घाटों को उनकी विरासत के आधार पर अक्षुण रखा जाएगा। 

कहीं ब्रह्मा ने तप किया, कहीं विष्णु प्रकटे

पुण्य सलिला सरयू के चमक खो चुके प्राचीन घाटों में ब्रह्मकुंड, चक्रतीर्थ, जमथरा, प्रहलादघाट, कौशल्याघाट, कैकेयीघाट, सुमित्राघाट, राजघाट शुमार हैं, जो कभी पुण्य सलिला में स्नान की सुविधा मुहैया कराने के साथ अपनी पौराणिकता के लिए जाने जाते थे। चक्रतीर्थ के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु यहां प्रकट हुए थे। ब्रह्मकुंड के बारे में मान्यता है कि ब्रह्मा ने यहां हजारों वर्ष तक तपस्या की थी। 


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