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देवदीपावली पर दीपों की रोशनी से जगमगाएगी काशी

लखनऊ। साल भर उपेक्षा का दंश झेलने वाली उत्तर वाहिनी गंगा कार्तिक पूर्णिमा की शाम अपना दर्द भूल

By Edited By: Published: Wed, 05 Nov 2014 10:09 AM (IST)Updated: Wed, 05 Nov 2014 10:09 AM (IST)
देवदीपावली पर दीपों की रोशनी से जगमगाएगी काशी

लखनऊ। साल भर उपेक्षा का दंश झेलने वाली उत्तर वाहिनी गंगा कार्तिक पूर्णिमा की शाम अपना दर्द भूल जाएंगी जब दीपों की माला उसके गले में चंद्रहार की तरह जगमगाएगी। आतिशबाजी की रंगत मानों आसमान छू जाएगी। 33 करोड़ देवों की अगवानी में 84 से अधिक घाटों पर दीपों की कालीन बिछ जाएगी। अपनी चटखीली रंगत से उत्सव प्रिय बनारस के दिल में उतर जाने वाला देव दीपावली महोत्सव अब होली-दीपावली की तरह छाने वाला है। पर्व में महज एक दिन शेष और इसकी गहरी व शोख रंगत हर एक को रिझाने लगी है।

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गंगा के आचल में अनगिनत सितारे टांक देने की तैयारी तो दैदीप्यमान हो उठेंगे इतिहास समेटे दीपों के हजारे। इस नजारे को देखने के लिए समूची काशी तो घाटों की ओर होगी ही, देश-विदेश से उमड़ेगा जिज्ञासु और ज्ञान पिपासु पर्यटकों का रेला। खास होगा प्राचीन धर्म नगरी में आध्यात्मिकता के साथ ही सजने वाला राष्ट्रभक्ति का अनूठा मेला। एक ओर देवों की अगवानी और गंगा की आरती विभोर कर जाएगी तो पलकें सहज ही गीली हो जाएंगी, तब आंखों में अमर शहीदों के बलिदान की कहानी तैर जाएगी।

दशाश्वमेध घाट पर गर्व से तने जवानों की टुकड़ी सलामी देगी और अमर जवान ज्योति पर पुष्प अर्पित करेंगे। कार्तिक मास पर्यत पुरखों-देवों के साथ ही शहीदों की राह आलोकित करने के लिए जलाए जाने वाले आकाशदीप एक साल के लिए विराम पाएंगे। शहीदों के परिवारीजनों को सम्मानित कर आध्यात्म से जुड़े पर्व पर जन जन में राष्ट्रवाद का भाव भी जगाएंगे। गंगा के खास घाटों से शुरू हो श्रृंखला बन चुका जल ज्योति पर्व तटबंध तोड़ अब वरुणा-गोमती और नगर के घाट कुंडों की ओर बढ़ जाएगा।

एक पखवारे से इसकी तैयारियों में जुटे युवाओं की मेहनत का असर दिख जाएगा जो सोमवार को पूरे दिन और देर रात तक हाथ से हाथ जोड़े खड़ी थी। आयोजन से जुड़े नौजवान तो बस इतने से मगन हैं कि इसी बहाने लोगों ने पखवारे के भीतर दो बार दीपोत्सव मनाने का अवसर पाया। कुंडों-तालाबों पर कब्जे के दौर में लोगों को कम से कम अपनी इन धरोहरों का ध्यान तो आया। घरों की दहलीजों पर लपलपाते दीपों में भी यही उत्साह नजर आएगा, बनारसी मन ठीक एक पखवारे बाद फिर दीपावली मनाएगा।


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