Maulana Kalbe Sadiq Tribute: डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने किए मौलाना डॉ. कल्बे सादिक के अंतिम दर्शन, बताया- सादगी पसंद शख्सियत
Maulana Kalbe Sadiq Death News दिवंगत मौलाना डॉ. कल्बे सादिक के अंतिम दर्शन को उमड़ा सैलाब। डॉ. कल्बे सादिक ने शिक्षा को बढ़ावा देने में लगा दी पूरी जिंदगी। श्रद्धांजलि देने गणमान्य लोगों के आने का सिलसिला जारी रहा। बता दें बीते दिन 24 नवंबर को हुआ निधन।
लखनऊ, जेएनएन। Maulana Kalbe Sadiq Death News: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक के अंतिम दर्शन के लिए बुधवार सुबह से ही गणमान्य लोगों के आने का सिलसिला जारी रहा। चौक के यूनिटी कॉलेज परिसर में उनका पार्थिव शरीर दर्शन के लिए रखा गया। सादगी पसंद मौलाना की एक झलक पाने की बेकरारी उनके चाहने वालों में दिखाई पड़ी। नम आंखों और गम के माहौल में हर ओर सिर्फ मौलाना की इंसानियत को लेकर चर्चा की जा रही थी।
कॉलेज में ही नमाज-ए-जनाजा के साथ दोपहर बाद उनका पार्थिव शरीर इमामबाड़ा गुफरान माब में दफनाया गया। ईरान कल्चर हाउस के मौलाना महदी महदवीपुर ने नमाज-ए-जनाजा पढ़ाई और सभी धर्मों के धर्म गुरुओं ने हिस्सा लिया।
उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि सादगी पसंद शख्सियत हरदम सबके जेहन में रहेगा। धर्म संप्रदाय से ऊपर उठकर इंसानियत का पाठ पढ़ाने वाले मौलाना ने समाज को जोड़ने का काम किया है। महंत देव्या गिरि ने कहा कि सर्वधर्म समभाव की मिसाल रहे मौलाना के विचार समाज को हमेशा आगे बढ़ाने का काम करते रहेंगे। इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उनके जाने से एक नेक इंसान का चला गया है। गमगीन माहौल में यूनिटी कॉलेज से चौक के इमामबाड़ा गुफरान माब में आए पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए सड़क के किनारे लोगों का हुजूम लगा था। सभी में उनके दर्शन की बेकरारी नजर आ रही थी।
चाहने वालों के सामने धरे रह गए शारीरिक दूरी बनाए रखने के नियम
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए बनाए गए नियम भी मौलाना के चाहने वालों के सामने धरे रहे गए। उनके अंतिम दर्शन के लिए सड़क के किनारे से लेकर इमामबाड़ा गुफरान माब में तिल रखने की जगह नहीं बची। कंधा देने वालों की कतार भी लगी रही।
हर कोई मौलाना को अपने कंधे पर रखसकर विदाई करना चाहता था। यूनिटी कॉलेज से करीब डेढ़ किमी क दूरी तक लोगों की कतार लगी रही। छोटा इमामबाड़े में कुछ देर के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा रहा। वहां से चला सैलाब इमामबाड़ा गुफरान माब तक पहुंचा।