Depression in Children: जरूरी है बच्चों से संवाद बनाए रखना, घातक है ये खामोशी
बच्चों में बढ़ रहा है अवसाद का मामले बच्चों के साथ-साथ उनके दोस्तों से भी हालचाल लेते रहना जरूरी।
लखनऊ, जेएनएन। एक बहुत भयावह स्थिति है जिसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है। वजह यह है कि इस बात की कोई जानकारी नहीं कि बच्ची को अवसाद था या वह किसी अन्य कारणों से परेशान थी। माता-पिता और भाई के साथ उसका कैसा संबंध था। करियर के बारे में उसके क्या प्लान थे। साथ ही पढ़ाई में वह कैसी थी। उसके दोस्त कैसे थे।
यह कहना है केजीएमयू के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ पीके दलाल का। डॉ. दलाल कहते हैं कि जब तक उस बच्ची से बात ना की जाए तब तक यह समझना बड़ा मुश्किल है कि वह कौन से कारण थे जो इतनी बड़ी घटना को उसने अंजाम दिया। उनका मानना है कि इसके पीछे कोई एक कारण नहीं हो सकता। कई कारण होते हैं जैसे कि घर का माहौल कैसा था। माता-पिता भाई के साथ उसके कैसे संबंध थे। आपस में संवाद था या नहीं था। दोस्तों के साथ उसका कैसा व्यवहार था। पढ़ाई में उसका मन लगता था कि नहीं। जहां तक शीशे पर डिसक्वालिफाइड ह्यूमन लिखे जाने की बात है, यह पता लगाना मुश्किल है कि उसने स्वयं के लिए लिखा या किसी दूसरे के लिए। कारण यह है कि उसकी तो अभी शुरुआत थी। उसके पास अपने करियर व पढ़ाई के लिए बहुत समय था । इसलिए उसका हताश होना संभव नहीं लगता। दूसरा हताश होने वाला व्यक्ति पहले खुद को नुकसान पहुंचाता है। करियर को लेकर उसकी क्या उम्मीदें थीं। कहीं कोई हताशा तो नहीं थी।
डॉक्टर दलाल कहते हैं कि बायोसाइकोसोशल मॉडल के तहत इन सब चीजों के बारे में पड़ताल करने के बाद ही कुछ कहना मुमकिन हो सकता है कि वह क्या वजह रही होंगी जिससे इतनी बड़ी घटना हो गई। वह कहते हैं कि यह उम्र बेहद संवेदनशील होती है। माता- पिता को बच्चों के साथ लगातार संवाद बनाए रखना बेहद जरूरी है ताकि वह बच्चे के मन की बात समझ सके और बच्चों को उचित सलाह दे सकें। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि माता-पिता इस बात की जानकारी रखें कि उनका बच्चे के दोस्त कौन से हैं वह क्या करते हैं। खाली वक्त में बच्चा क्या कर रहा है। उसके क्या इंटरेस्ट है। यह भी जानना जरूरी है कि क्या बच्चा गुमसुम तो नहीं रहने लगा है। कोई ऐसी बात तो नहीं जो उसे परेशान कर रही हो और वह उसे कह ना पा रहा हो। इसलिए जरूरी है कि घर में एक ऐसा माहौल हो इसमें बच्चे माता पिता के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें।माता-पिता को स्वयं इसके लिए पहल करनी चाहिए।
उनका कहना है कि यदि कोई बच्चा अवसाद में होता है तो वह सबसे पहले सुसाइड करने की ओर कदम बढ़ाता है। लेकिन इस मामले में उसने अपनी मां और भाई को शूट किया है।यह एक बेहद भयावह स्थिति है। देखना यह होगा कि ऐसे कौन सी परिस्थितियां बनी जिससे उसको यह कदम उठाना पड़ा। उनका सुझाव है कि बच्चों के साथ माता-पिता जितना अधिक संवाद बना सकें उतना अधिक बना के रखें । अगर घर में दूसरे भाई-बहन हैं तो वह भी आपस में दोस्ताना व्यवहार रखें और खुलकर बातचीत करें। चाहें वह नाराजगी हो या खुशी आपस में साझा करें ,तभी ऐसे घटनाओं को रोका जा सकता है।