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यूपी के अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन देने में फूल रही सांसें, महीने भर में चार गुना बढ़ी खपत

कोविड-19 के मरीज बढ़े तो यूपी के स्वास्थ्य विभाग ने लेवल टू व थ्री के अस्पतालों में बेड बढ़ाए लेकिन ऑक्सीजन की बढ़ती मांग का मुकम्मल इंतजाम नहीं किया गया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 04:16 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 03:53 PM (IST)
यूपी के अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन देने में फूल रही सांसें, महीने भर में चार गुना बढ़ी खपत
यूपी के अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन देने में फूल रही सांसें, महीने भर में चार गुना बढ़ी खपत

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है। अचानक से इनकी कीमतों का बढ़ना, मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर की शार्टेज तो यही बताता है। वास्तविक स्थिति तो यह है कि कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन दिलाने में शासन-प्रशासन के अधिकारियों की सांसें फूल रही हैं। महीने भर में ही मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में करीब चार गुना की बढ़ोतरी हुई है। पहले जहां प्रतिदिन 40 टन ऑक्सीजन की खपत थी वही अब 160 टन तक पहुंच गई है। मरीज बढ़े तो स्वास्थ्य विभाग ने कोविड-19 के लेवल टू व थ्री के अस्पतालों में बेड भी बढ़ाए, लेकिन ऑक्सीजन की बढ़ती मांग का मुकम्मल इंतजाम नहीं किया।

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इस बीच ऑक्सीजन प्लांट को कच्चा माल देने वाली कंपनियों ने लिक्विड ऑक्सीजन की प्रति क्यूबिक मीटर कीमत में ढाई गुने की बढ़ोतरी कर दी, जिससे सिलेंडर के दाम में भी जबरदस्त इजाफा हो गया है। छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर 160 रुपये व बड़ा 450 रुपये तक में मिल रहा है। ऑक्सीजन के लिए निजी अस्पतालों ने मरीजों से मोटा पैसा वसूलना भी शुरू कर दिया है। हालांकि, सिलेंडर की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए अब बड़े पैमाने पर छापामारी हो रही है। ऑक्सीजन की बढ़ती किल्लत दूर करने के लिए सरकार ने पांच नए ऑक्सीजन प्लांट को भी मंजूरी दी है। 

सितंबर में अब तक एक लाख नए कोरोना रोगी

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज 31 जुलाई को 85,916 थे और अगस्त में 1,44,777 रोगी बढ़े। 31 अगस्त को मरीजों की संख्या 2,30,693 पहुंच गई। सितंबर के 17 दिनों में ही करीब एक लाख नए रोगी मिले, जिससे अब कुल मरीज 3,36,794 हो गए हैं। रिकवरी रेट अच्छा होने से एक्टिव केस 68,235 ही हैं। बढ़ते मरीजों से कोविड-19 के अस्पतालों में बेड बढ़ाकर 1.75 लाख के करीब किए गए हैं। महीनेभर में आइसीयू के एक हजार बेड बढ़कर 3300 हो गए हैं। ऐसे में अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग भी अचानक चार गुना बढ़ गई है। योगी सरकार ने 48 घंटे का बैकअप रखने के निर्देश दिए हैं लेकिन मरीजों को ऑक्सीजन मिलना आसान नहीं है। सरकार ने प्रदेशभर में ड्रग इंस्पेक्टरों को ऑक्सीजन प्लांट में सिलेंडर की गणना करने और पहले अस्पतालों को आक्सीजन सप्लाई कराने के कड़े निर्देश दिए हैं।

आक्सीजन प्लांट को कच्चा माल ढाई गुना महंगा मिल रहा

ऑक्सीजन प्लांट के मालिक अजय मिश्रा कहते हैं कि कच्चे माल के रूप में खरीदे जाने वाली लिक्विड ऑक्सीजन जो कि अभी तक सात रुपये प्रति क्यूबिक मीटर थी, अब कंपनियों ने बढ़ाकर 18 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर कर दिया है। वहीं, किराया अलग से देना पड़ रहा है। जमशेदपुर, काशीपुर, बोकारो और भिलाई इत्यादि जगहों से कच्चा माल भी कठिनाई से मिल रहा है। उन्होंने बताया कि उनके प्लांट से हर दिन 700 सिलेंडर तैयार होते हैं। यह अब हास्पिटल ही भेजे जा रहे हैं।

160 का छोटा और 450 रुपये का बड़ा सिलेंडर

महीने भर पहले तक 1.5 क्यूबिक मीटर का ऑक्सीजन का छोटा सिलेंडर 80 रुपये में मिलता था, अब यह 150 रुपये से 160 रुपये तक मिल रहा है। वहीं सात क्यूबिक मीटर का बड़ा ऑक्सीजन सिलेंडर जो 200 रुपये तक था अब 450 रुपये तक मिल रहा है। होम आइसोलेशन में इलाज करवा रहे कोरोना रोगियों को छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए छह हजार रुपये तक सुरक्षा राशि देनी पड़ रही है। वहीं बड़े सिलेंडर की सुरक्षा राशि 10 हजार रुपये है।

निजी अस्पतालों ने भी दोगुनी बढ़ाई फीस

निजी अस्पतालों में अभी तक सामान्य वार्ड में भर्ती मरीज से 24 घंटे ऑक्सीजन सपोर्ट का 1600 रुपये लिया जा रहा था, अब इसे बढ़ाकर 3200 रुपये तक कर दिया गया है। वहीं आइसीयू में 24 घंटे ऑक्सीजन सपोर्ट का 2400 रुपये से बढ़ाकर 4800 रुपये तक वसूला जा रहा है।

अधिक मरीजों वाले 10 जिलों में ज्यादा मुसीबत

उत्तर प्रदेश में इस समय कोरोना वायरस के 68,235 एक्टिव केस हैं। वर्तमान में सबसे ज्यादा 9775 रोगी लखनऊ में हैं, कानपुर में 4693, प्रयागराज में 3774, गोरखपुर में 2561, मेरठ में 2270, वाराणसी में 2144, नोएडा में 2004, गाजियाबाद में 2025, बरेली में 1890 और अलीगढ़ में 1819 रोगी हैं। जिन जिलों में ज्यादा रोगी हैं, वहां ऑक्सीजन को लेकर ज्यादा मुसीबत हो रही है।

ऑक्सीजन की मांग बढ़ी लेकिन किल्लत नहीं

उत्तर प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर एके जैन का कहना है कि ऑक्सीजन की पहले सप्लाई अस्पतालों में हो रही है, फिर इंडस्ट्री को दी जा रही है। ऑक्सीजन प्लांट में सिलेंडर की प्रतिदिन गणना हो रही है। छापामार अभियान चलाया जा रहा है। पांच नए ऑक्सीजन प्लांट को लाइसेंस दिया गया है। ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है लेकिन किल्लत नहीं होने दी जा रही। वहीं, यूपी स्टेट ब्रांच इंडियन मेडिकल एसोसिशन (आइएमए) के सचिव ने डॉ. जयंत शर्मा बताया कि हम स्वास्थ्य विभाग का पूरा सहयोग कर रहे हैं। ऑक्सीजन की सप्लाई में बढ़ी दिक्कत को जैसे-तैसे पूरा किया जा रहा है। मरीज को ऑक्सीजन मिले इसके लिए हम पूरा प्रयास कर रहे हैं। अचानक काफी मांग बढ़ने से यह मुसीबत सामने आई है।

पांच नए आक्सीजन प्लांट दूर करेंगे किल्लत

कोरोना महामारी के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत के चलते हुई मुसीबत से सबक लेकर राज्य सरकार प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने पर जोर दे रही है। सूबे में जल्द पांच नए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं  ऑक्सीजन प्लांट खोलने के लिए आ रहे अन्य प्रस्तावों को भी जल्द से जल्द हरी झंडी देने पर जोर दिया जा रहा है।

यूपी में अभी तक प्रतिदिन 40 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी मगर बीते करीब एक महीने में इसकी मांग में चार गुना बढ़ोतरी हुई है। अब 160 मीट्रिक टन प्रतिदिन जरूरत पड़ रही है। ऐसे में ऑक्सीजन प्लांट जैसे-तैसे मांग को पूरा कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में 28 ऑक्सीजन प्लांट

यूपी के ड्रग कंट्रोलर एके जैन ने बताया कि मोदी नगर में 138 मीट्रिक टन की क्षमता वाला लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट तैयार किया जा रहा है। यह जल्द बनकर तैयार हो जाएगा। वहीं गोरखपुर, बरेली, आगरा और में भी ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए निजी कंपनियों को लाइसेंस दे दिए गए हैं। इन्हें जल्द से जल्द प्लांट स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। उम्मीद है कि लगभग डेढ़ से दो महीने में यह तैयार हो जाएं। इसके बाद करीब सवा दो सौ मीट्रिक टन उत्पादन बढ़ेगा। अभी प्रदेश में 28 ऑक्सीजन प्लांट हैं। पांच नए खुलने के बाद इनकी संख्या 33 हो जाएगी। 


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