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OTS के पैसे से मिल रहा LDA कर्मियों को वेतन, आर्थिक संकट का कारण बन रहे डिफाल्टर आवंटी

लखनऊ68 करोड़ बकाए में अभी भी 121 करोड़ रुपये डिफाल्टर आवंटियों के पास ही है। 47 करोड़ रुपये ओटीएस से आया हर माह 10 करोड़ वेतन पर होते हैं खर्च। डिफाल्टर आवंटियों की वजह से आर्थिक संकट से गुजर रहा है एलडीए।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 10:27 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 10:27 AM (IST)
121 करोड़ रुपये अभी भी आवंटियों ने नहीं किए जमा।

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। पांच से सात माह का वेतन देने का पैसा ही विकास प्राधिकरण के पास हैं, अगर   डिफाल्टर आवंटियों ने पैसा नहीं दिया तो वेतन देने में परेशानी आ सकती है। एलडीए की अलग-अलग योजनाओं में डिफाल्टर आज तक चूना लगाते रहे हैं। 

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पहले संपत्ति खरीदेंगे और फिर दो से तीन किस्त जमा करने के बाद हर साल आने वाली ओटीएस यानी एक मुश्त समाधान का इंतजार करते हैं। ऐसे 2,432 डिफाल्टर आवंटी सामने आए, जिन्होंने ओटीएस का लाभ लेते हुए अपना बकाया बिना ब्याज का जमा किया। एलडीए का पैसा जो उसे कई साल पहले मिलना था, अब मिल रहा है। करीब 47 करोड़ रुपये आ चुका है। 168 करोड़ बकाए में अभी भी 121 करोड़ रुपये डिफाल्टर आवंटियों के पास ही है। 

लखनऊ विकास प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक राजीव कुमार सिंह ने बताया कि ओटीएस में जिस गति से पैसा आना चाहिए, नहीं आया है। वहीं, आंकड़े बताते हैं कि सात हजार से अधिक डिफाल्टर आवंटियों ने अपनी संपत्तियों का पैसा जमा नहीं किया। इससे एलडीए को न पैसा मिल रहा है और  न नई योजनाओं को शुरू करने के लिए पैसा। ऐसे में आर्थिक संकट से एलडीए गुजर रहा है।


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