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योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों को कई वर्ष से निशुल्क दे रही पराली से खाद बनाने की तकनीक

Parali Decomposition पराली के निस्तारण को लेकर जिस तकनीक को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है वह सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में कई वर्ष से हो रहा है। यहां पर किसानों को निशुल्क वेस्ट डिकंपोजर दिया जा रहा है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 06:16 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 06:04 AM (IST)
योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों को कई वर्ष से निशुल्क दे रही पराली से खाद बनाने की तकनीक
पराली प्रबंधन को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल का असर कई जिलों में देखने को मिल रहा

लखनऊ, जेएनएन। प्रदूषण नियंत्रण के प्रति बेहद गंभीर योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के उपाय पर लम्बे समय से काम कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किसानों को पराली के निस्तारण की प्रक्रिया के निश्शुल्क अवगत कराने के साथ ही प्रदेश सरकार उनको तकनीकी रूप से भी दक्ष कर रही है। सब काम बिना किसी शुल्क के किया जा रहा है।

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पराली के निस्तारण को लेकर जिस तकनीक को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है, वह सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में कई वर्ष से हो रहा है। यहां पर किसानों को निशुल्क वेस्ट डिकंपोजर दिया जा रहा है। 50 एमएल की बोतल दो सौ लीटर पानी में डालने पर दो सौ लीटर कल्चर बनता है और एक एकड़ खेत में छिड़काव करने से दो सप्ताह में पराली खाद बन जाती है। उसे प्रदेश सरकार की ओर से सिर्फ इस साल दो लाख 20 हजार बोतल प्रदूषण से प्रभावित 31 जिलों में किसानों को निशुल्क बांटे गए हैं। कृषि विभाग ने अन्य जिलों में भी आवश्यकतानुसार स्थानीय स्तर पर वेस्ट डिकंपोजर खरीदकर निशुल्क किसानों को बांटे हैं।

ट्रेनिंग से लेकर गोष्ठियों से किया जागरूक

पराली को लेकर प्रदेश स्तर पर 1666 किसानों की ट्रेनिंग, जिले स्तर पर किसानों को जागरूक करने के लिए 75 गोठयिां, सभी न्याय पंचायत और ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यक्रम किए गए हैं। इसके अलावा पब्लिक एड्रेस सिस्टम के माध्यम से सभी ग्राम पंचायत स्तर पर प्रचार-प्रसार कराया गया। प्रदेश में पराली को लेकर 805 होॄडग, 15,500 वाल राइटिंग, आठ लाख 74 हजार पंफलेट और लीफलेट बांटे गए।

सीएम की पहल का कई जिलों में असर

पराली प्रबंधन को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल का असर कई जिलों में देखने को मिल रहा है। इसमें उन्नाव जिले में दो ट्राली पराली के बदले एक ट्राली जैविक खाद दी जा रही है। इसके अलावा लखीमपुर में किसानों को पराली के बदले जीवा मृत, बीजा मृत और घना मृत दिए गए। कानपुर देहात में भी पराली के बदले किसानों को सम्मान से लेकर शॉल और कंबल आदि दिए जा रहे हैं।

छह हजार किसानों ने खरीदे यंत्र

पराली प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से 1524 फार्म मशीनरी बैंक को 80 फीसदी अनुदान दिया गया है। इसमें ट्रैक्टर, मल्चर, रीवर सीवर प्लाऊ, जीरो टिल सीड ड्रिल, फ्लैशर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, सुपर एक्स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम और क्राप रीपर आदि की खरीद खुद छह हजार किसानों ने किया है। उन्हेंं 50 फीसदी अनुदान भी दिया गया है। फार्म मशीनरी बैंक से किसान किराए पर भी यंत्र ले सकते हैं। किसान इन यंत्रों के माध्यम से भी पराली का निस्तारण कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार छुपा रही नाकामी

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए किसानों पर पराली जलाने का आरोप मढ रहे हैं। हकीकत यह है कि हर साल दिल्ली में अक्तूबर और नवंबर में वायु प्रदूषण बढ़ता है और साल भर दिल्ली सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठे रहती है, लेकिन जब समस्या गहरा जाती है, तो वह इसका स्थायी समाधान निकालने के बजाय किसानों पर दोषारोपण कर खुद को पाक- साफ बताती है।

देश में शुद्ध कृषि क्षेत्रफल 1410 लाख हेक्टेयर है। उत्तर प्रदेश में देश का 11.80 फीसदी (166 लाख हेक्टेयर) कृषि भूमि है। इसकी तुलना में अगर देखा जाए, तो दिल्ली में कृषि भूमि करीब सात हजार हेक्टेयर है। ऐसे में दिल्ली सरकार की ओर से पराली को लेकर जो दावा किया जा रहा है, वह विवादास्पद है।  


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