सुलतानपुर में सड़क किनारे पड़ा मिला पूर्व बीडीसी सदस्य का शव, राजनीति में तेजी से बढ़ा रहे थे कदम
पीआरवी पुलिस ने वाहन से कागजात व चेहरे से पहचान कर परिवारजन को जानकारी दी। देहात कोतवाल गौरीशंकर पाल ने बताया कि घटना को लेकर पुलिस जांच पड़ताल कर रही है। घटनास्थल से मिले साक्ष्यों के आधार पर किसी अज्ञात वाहन ने स्कूटी में टक्कर मार दी।
सुलतानपुर, संवादसूत्र। वाराणसी-सुलतानपुर फोरलेन हाईवे पर लोहरामऊ गांव के पास गुरुवार की भोर में पूर्व बीडीसी सदस्य का शव संदिग्ध दशा में पड़ा मिला। बगल में ही क्षतिग्रस्त स्कूटी भी बरामद हुई है। इससे दुर्घटना की आशंका व्यक्त की जा रही। फिलहाल पुलिस छानबीन में जुटी है। अभियाखुर्द गांव निवासी जीतेन्द्र तिवारी उर्फ जीतू बुधवार की देर रात स्कूटी लेकर सुलतानपुर शहर की ओर किसी आवश्यक काम से गए थे। परिवारजन के अनुसार वहां से वह गुरुवार की भोर में करीब साढ़े तीन बजे हाईवे के रास्ते से घर लौट रहे थे। कोल्ड स्टोर के पश्चिम थोड़ी दूर पर वाहन धुलाई सेंटर के चौकीदार ने सड़क किनारे शव पड़ा देखा तो डायल 112 पर सूचना दी।
पीआरवी पुलिस ने वाहन से कागजात व चेहरे से पहचान कर परिवारजन को जानकारी दी। देहात कोतवाल गौरीशंकर पाल ने बताया कि घटना को लेकर पुलिस जांच पड़ताल कर रही है। घटनास्थल से मिले साक्ष्यों के आधार पर किसी अज्ञात वाहन ने स्कूटी में टक्कर मार दी। गंभीर रूप से घायल होने के कारण मौत हुई है। फिलहाल अन्य बिंदुओं को भी देखा जा रहा है। अभी परिवारजन की ओर से कोई तहरीर नहीं मिली है।
राजनीति से भी है जीतू का नाता : जीतू को गांव में ही कोई जानता पहचानता नहीं था। वह मुंबई में ही जन्मे और वहीं पले बढ़े। प्रापर्टी का व्यवसाय करते थे। वर्ष 2012 में सपा से संतोष पांडेय विधायक बने तो जीतू मुंबई से गांव लौट आए। विधायक से नजदीकियां बनती गई तो जीतू बीडीसी का चुनाव जीतकर भदैंया प्रमुख की दावेदारी की, लेकिन पार्टी के दबाव में उनको प्रत्याशी नहीं बनाया गया। इसके बाद विधायक उन्हें अपना प्रतिनिधि बना दिया। इसके बाद जीतू की पहचान पूरे जिले में हो गई। सात साल के अंतराल में ही जीतू ने फलक पर चमक विखेर दी थी।
दो मासूमों के सिर से उठा पिता का हाथ : जीतू तिवारी के एक पुत्री जाह्नवी व पुत्र आदर्श है। दो मासूमों के सिर से पिता का हाथ उठ गया है तो पत्नी कुमुदिनी का रो रोकर बुरा हाल है। जीतू के माता-पिता गांव में ही है, जबकि बड़े भाई नरेन्द्र और छोटे भाई कौशलेन्द्र मुंबई में रहते है। घटना की जानकारी मिलने के बाद वहां से घर को रवाना हो चुके हैं।