लिखना जरूरी है: सड़क बन जाए तो हमें स्कूल जाने में दिक्कत न हो, साफ-सफाई तो हम सबकी है जिम्मेदारी
संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर समाज में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के इस प्रयास में दैनिक जागरण और यूनिसेफ की साझा पहल।
प्यारे शहरवासियों,
हमारा शहर इतना सुंदर है कि हमें इस पर गर्व होना चाहिए। सबको होगा भी, लेकिन अच्छाई के साथ-साथ कुछ कमियां भी हैं, जिनसे भागा नहीं जा सकता। शहर के कई इलाके इतना जगमगाते हैं कि वाकई अहसास होता है कि हम राजधानी में रहते हैं, वहीं कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां गंदगी की भरमार है। चलने लायक सड़कें भी नहीं हैं। गड्ढों से भरी हुई सड़क पर बेसहारा पशुओं का जमावड़ा रहता है। हैरत तो इस बात की है कि कुछ विकसित इलाकों में बदहाल सड़क और गंदगी की समस्या है। हाल ही में मैंने समाचार पढ़ा था कि एक इलाके की सड़क के गड्ढों को सम्मानित किया गया। यह उन जिम्मेदार लोगों को एक सबक है, जो अपना काम ठीक से नहीं करते। अगर उन्होंने समय रहते समस्या का समाधान किया होता तो लोग परेशानी से तंग आकर सड़क के गड्ढों को सम्मानित नहीं करते।
हमारे स्कूल जाने का रास्ता भी इसी समस्या से जूझ रहा है। सड़क में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हैं। हमें बहुत संभलकर चलना होता है, क्योंकि कभी भी दुर्घटना हो सकती है। बरसात के दिनों में इस गड्ढों में गंदा पानी जमा हो जाता है। इससे हम बच्चों की ड्रेस खराब होने का डर रहता है, क्योंकि कभी भी कोई गाड़ी उन गड्ढों से गुजरकर पानी और कीचड़ हमारी ओर फेंक सकती है। सड़क के आस-पास भी गंदगी और कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। किनारे बने गड्ढों में जमा पानी में मच्छर पनपते हैं। इन गड्ढों की वजह से कई लोग चोटिल भी होते हैं।मुङो एक बात जिम्मेदार लोगों के अलावा आम शहरियों से भी कहनी है। अगर हम अपने घर को साफ रख सकते हैं तो सड़क को साफ रखना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। हमारे क्षेत्र में फैल भी रही हैं। साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। इसलिए मेरा निवेदन जिम्मेदार और आम नागरिक से है। जिम्मेदार लोग प्लीज सड़क की मरम्मत करवा दीजिए ताकि हमें स्कूल जाने में दिक्कत न हो और आम लोगों से विनती है कि वे कूड़ा सड़क पर न फेंकें।
शुक्रिया
अद्वविता गौतम (कक्षा-7, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल, कानपुर रोड पंडित खेड़ा)
साफ-सफाई हम सबकी है जिम्मेदारी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भाग प्रचारक, बालभास्कर मिश्र ने बताया कि कल्पना कीजिए कि एक बच्चे को घर पर मां-बाप यह सीख देते हैं कि साफ-सफाई को व्यवहार में लाना चाहिए। खुद के साथ-साथ अपने परिवेश को भी साफ रखना चाहिए। फिर वह बच्चा जब घर से बाहर निकलकर देखता है कि लोगों ने अपना कचरा सड़क पर फेंक रखा है तो उसके मन में क्या विचार आएगा। वह सोचेगा कि मम्मी-पापा ने जो सिखाया शायद वह सही नहीं है, क्योंकि हर कोई इसका ठीक उल्टा कर रहा है। एक अच्छी सीख जो उसे घर से मिली थी, वह अपना महत्व खो देगी।
यह ठीक है कि बच्चे की परवरिश मां-बाप के जिम्मे होती है, लेकिन बच्चे का व्यक्तित्व बनाने में कई अवयव काम करते हैं। वह स्कूल में भी सीखता है, दोस्तों से सीखता है और समाज का भी प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रभाव उस पर पड़ता है। इसलिए समाज का भी दायित्व है कि उसका समग्र आचरण ऐसा हो कि बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा हो सकें। बच्चा घर में अच्छी बातें सीखेगा, लेकिन यदि समाज में उसे उस सीख का उल्टा चेहरा दिखेगा तो वह समाज के प्रति भी नकारात्मक दृष्टिकोण बना लेगा और घर पर से भी उसका विश्वास उठने लगेगा। उसे लगेगा कि उसे घर पर जो बातें सिखाई गई हैं वह समाज में दिखती नहीं। फिर वह चीजों को देखने का अपना नजरिया बनाने लगेगा जिसका आधार समाज की नकारात्मक छवि होगी। हम सबको इस पर विचार करना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि हमारा दूषित आचरण किसी और के बच्चे पर दुष्प्रभाव डाल रहा है तो किसी और का आचरण हमारे बच्चे पर भी वैसा ही प्रभाव आरोपित करेगा। इसलिए केवल एक-दो व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समाज को सही दिशा में जाना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ी संस्कारवान हो।
जागरण की इस पहल के बारे में अपनी राय और सुझाव निम्न मेल आइडी पर भेजें sadguru@lko.jagran.com