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लिखना जरूरी है : 'मां-पापा' टूर पर जाने का बहुत मन करता है Lucknow News

संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर समाज में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के इस प्रयास में दैनिक जागरण और यूनिसेफ की साझा पहल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 07:57 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 02:44 PM (IST)
लिखना जरूरी है : 'मां-पापा' टूर पर जाने का बहुत मन करता है Lucknow News

 प्रिय मां और पापा,

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मैं ईश्वर को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुङो आप जैसे माता-पिता दिए। मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं कि आप लोग मुङो स्कूल की तरफ से टूर में नहीं जाने देते हैं, क्योंकि मम्मी बहुत डरती हैं कि कहीं मुङो कोई दिक्कत न हो जाए। मम्मी मेरी सुरक्षा को लेकर भी बहुत परेशान रहती हैं। मैं आप दोनों से यह बात कहना चाहती हूं कि मैं अपनी सहेलियों के साथ स्कूल टूर पर जाना चाहती हूं। मुङो अपने दोस्तों के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है और वहां पर मुङो बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा।

मैं जानती हूं कि आप लोगों ने मुङो कई बार डांटा है, लेकिन आपकी डांट के ही कारण मैं आज सशक्त हूं। आपने मुङो धैर्य, ईमानदारी, शक्ति, सम्मान, दया के साथ कड़ी मेहनत का पाठ पढ़ाया। आपके प्रति मेरे आभार को किसी भी रूप में प्रकट नहीं किया जा सकता। केवल प्रेम के रूप में ही मैं अपने आभार को प्रकट कर सकती हूं। मैं खुशनसीब हूं कि मुङो ऐसे माता-पिता मिले, जिन्होंने जन्म से ही मुङो अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया, सही मार्ग पर चलना सिखाया, कठिनाइयों एवं विपदाओं का सामना करना सिखाया। आज मैं जो कुछ भी हूं उसका पूरा श्रेय आपके द्वारा की गई परवरिश को जाता है।

पापा मर्चेट नेवी मैं होने के बावजूद आपने मुङो समय की कभी कमी नहीं होने दी। मुङो पूरा समय दिया। सेटेलाइट कॉल से दिन में केवल एक ही बार आपसे बात हो पाती थी, लेकिन ऐसा कभी लगा ही नहीं कि आप मुझसे दूर हैं। जहाज पर होने के दौरान भी आपने मुङो कभी अकेलेपन का अहसास नहीं होने दिया। मां, आपने अपनी नौकरी से अधिक मेरे और मेरे भाई की परवरिश को अहमियत दी और आपने नौकरी छोड़ दी। जब मैं देर रात तक पढ़ती हूं तो आप दोनों बारी-बारी से आकर मुझसे पूछते रहते हैं कि बेटा कोई दिक्कत तो नहीं है। खुशकिस्मत हूं मैं। इस बात की मैं अत्यधिक आभारी हूं। आप दोनों को देखकर ही इस बात का अहसास होता है कि दुनिया में स्वार्थहीन भाव से प्रेम केवल माता-पिता ही दे सकते हैं। बच्चे अपने माता पिता की डांट का बुरा माने तो यह उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा। हमें माता पिता की डांट को भी उसी प्रकार से गले लगाना चाहिए जैसे हम उनके प्यार को गले लगाते हैं।

आपकी प्यारी बेटी,

सुहानी [लॉमार्टीनियर गल्र्स कॉलेज, कक्षा 9]

हताश करने के बजाय बच्चों में रुचि बढ़ाएं

केजीएमयू की मनोरोग काउंसलर डॉ स्मृति चौधरी ने बताया कि बच्चों के फेल होने पर अभिभावक अतिरिक्त दबाव बनाने लगते हैं। उन्हें खरीखोटी सुनाते हैं। ऐसे में बच्चे हताशा का शिकार हो जाते हैं। उनमें नकारात्मकता हावी हो जाती है। संबंधित विषय से वह मुंह फेर लेते हैं। ऐसे में मां-पिता बच्चों की हिम्मत न तोड़ें, उनमें रुचि पैदा करें। जिन विषयों से बच्चों का मन भाग रहा है, उनके प्रति लगाव बढ़ाने के लिए नए तरीके अपनाएं। खेल-खेल में पढ़ाना सिखाएं। धीरे-धीरे बच्चों की एकाग्रता बढ़ने लगेगी। इस प्रक्रिया से अभिभावकों और बच्चों में कम्युनिकेशन गैप काफी खत्म होगा।

अधिकतर बच्चों में तनाव का कारण पढ़ाई की टेंशन व अभिभावकों का कम्युनिकेशन गैप होना ही है। यह बच्चों की जिंदगी में रूखापन ला रहा है।वह तन्हा जिंदगी जीने को मजबूर हैं। ऐसे में माता-पिता बच्चों के करीब आएं। उनसे दोस्ताना व्यवहार करें, ताकि हर बात बच्चे शेयर कर सकें। मम्मी-पापा उनके मन को पढ़ने की कोशिश करें। यह समङों कि बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है। इस दरम्यान बच्चों की गलत बात पर निगेटिव कमेंट न करें। उसकी समस्या को समङों, साथ में हल कराने का प्रयास करें। बच्चों का तनाव कम करने के लिए उनका टाइम मैनेजमेंट शेड्यूल तय कराने में मदद करें। घर, स्कूल व ट्यूशन समेत पूरी एक्टीविटी का चार्ट बनवाएं। उसके स्कूल की कॉपी चेक करें। बच्चे ने क्या लिखा, टीचर का उस पर क्या कमेंट हैं, यह अवश्य देखें। बच्चों के साथ बात करते समय उनके दोस्तों के बारे में भी पूछें ताकि बाहर की गतिविधियों की जानकारी भी माता-पिता को मिल सके और वे बच्चे का मन टटोल सकें।

लाएं बदलाव

  • बच्चों पर स्क्रीन फोबिया हावी न होने दें
  • आउटडोर गेम को बढ़ावा दें, पार्क में खेलने की छूट दें
  • फास्ट फूड की बजाय पौष्टिक आहार का सेवन कराएं
  • बच्चों की रुचि के अनुसार फील्ड चुनने का अवसर दें

जागरण की इस पहल के बारे में अपनी राय और सुझाव निम्न मेल आइडी पर भेजें। sadguru@lko.jagran.com


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