क्रेडिट कार्ड लखनऊ में और अमेरिका में हो गई लाखों की शॉपिंग
इन मामलों में विदेशों के पेमेंट गेट-वे से ट्रांजेक्शन होने की वजह से पुलिस के लिए उसका ब्योरा जुटाना ही बड़ी चुनौती साबित होता है।
लखनऊ (आलोक मिश्र)। एटीएम फ्राड की बढ़ती घटनाओं के बीच राजधानी में अब साइबर अपराधी फॉरेन ट्रांजेक्शन का हमला भी कर रहे हैं। ऐसे मामलों में साइबर अपराधी कोई कॉल नहीं करते। ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भी नहीं पूछते।
हैकर विभिन्न वेबसाइट से डेबिट/क्रेडिट का डाटा उड़ाकर सीधे विदेशों में दूसरों के खातों से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर रहे हैं। ऐसी घटनाओं में बैंकों से भी ग्राहकों का डाटा उड़ाए जाने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता, बल्कि पुलिस व सेल के लिए भी फॉरेन ट्रांजेक्शन की बढ़ती शिकायतें चुनौती बनती जा रही हैं।
एक निजी म्यूजिक कंपनी में ब्रांच मैनेजर प्रवीण के शाही की बुधवार सुबह जब नींद खुली तो उनके क्रेडिट कार्ड से एक लाख से अधिक रकम उड़ाई जा चुकी थी। सुबह 8:09 व 8:10 बजे के बीच ही चार ट्रांजेक्शन किए गए। मोबाइल पर आए संदेश को देखकर प्रवीण दंग रह गए। प्रवीण के मुताबिक यह ट्रांजेक्शन उनके क्रेडिट कार्ड से अमेरिका में अलग-अलग वेबसाइट के जरिए डॉलर में हुआ, जबकि उनका क्रेडिट कार्ड उनके पर्स में सुरक्षित रखा था।
उनके पास कोई कॉल नहीं आई और न ही किसी ने कोई झांसा देकर उनकी बैंक की गोपनीय डिटेल पूछी। प्रवीण ने साइबर क्राइम सेल में मामले की शिकायत की है। अब वह आशियाना थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। इसी प्रकार मंगलवार रात पीजीआइ के एक प्रोफेसर के क्रेडिट कार्ड से करीब 70 हजार रुपये उड़ा लिए गए।
उनके क्रेडिट कार्ड से डॉलर में पेमेंट कर एक वेबसाइट से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदा गया। दोनों ही मामलों में क्रेडिट कार्ड एक ही राष्ट्रीयकृत बैंक के हैं। गत दिनों एक निजी बैंक के अधिकारी के क्रेडिट कार्ड से भी इसी प्रकार करीब डेढ़ लाख रुपये उड़ाए जाने का मामला सामने आया था।
राजधानी में कई अन्य लोगों के डेबिट व क्रेडिट कार्ड से इसी प्रकार फॉरेन ट्रांजेक्शन किए गए हैं। इन मामलों में विदेशों के पेमेंट गेट-वे से ट्रांजेक्शन होने की वजह से पुलिस के लिए उसका ब्योरा जुटाना ही बड़ी चुनौती साबित होता है।
बैंक कराते हैं रकम वापस: सेल के प्रभारी इंस्पेक्टर अरुण कुमार सिंह के मुताबिक फॉरेन ट्रांजेक्शन के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों में रिपोर्ट दर्ज करो पर रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के अनुरूप संबंधित बैंक ग्राहक को रकम वापस कराते हैं। विदेशों के पेमेंट गेट-वे की डिटेल आसानी से नहीं मिल पाती। लिहाजा ऐसे मामलों की जांच में काफी मुश्किलें आती हैं।
सुरक्षा बढ़ाने की चल रही कवायद: एसटीएफ के एएसपी व साइबर एक्सपर्ट डॉ. अरविंद चतुर्वेदी के मुताबिक ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी बैंकों को जिम्मेदारी लेने का निर्देश दिया है। सरकार व सुरक्षा एजेंसियां सुरक्षा बढ़ाने की कवायद कर रही हैं। बैंकों से ग्राहकों का डेटा लीक होने की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता। असुरक्षित साइट से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भी खतरनाक है।
सावधानी से करें वेबसाइट का चयन: साइबर क्राइम विशेषज्ञ कहते हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग के लिए प्रतिष्ठित मानी जाने वाली वेबसाइट का ही चयन करें और सर्वाधिक सावधानी उनकी स्पेलिंग को टाइप करने में बरतें। मसलन, सही स्थान चुनें। क्योंकि प्रतिष्ठित कंपनियों के नाम से मिलती-जुलती सैकड़ों फर्जी वेबसाइट भी मौजूद हैं। हैकर फिशिंग के जरिए भी लोगों का बैंक डाटा उड़ाते हैं।
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इसका रखें ध्यान:
- ऑनलाइन शॉपिंग के लिए प्रतिष्ठित वेबसाइट के अलावा अनजान वेबसाइट को चुनने से बचें।
- वेबसाइट पर संबंधित कंपनी की नियम व शर्ते जरूर पढ़ें।
- वेबसाइट पर कंपनी का पता, नंबर, ईमेल एड्रेस जरूर देखें।
- वेबसाइट के एड्रेस में एचटीटीपी (हाइपर टेक्स ट्रांसफर प्रोटोकॉल) व हरे रंग का ताला बना जरूर देखें।
- कंपनी द्वारा भेजे गए एसएमएस व प्रोडक्ट की डिटेल को संभालकर रखें।
- ऑनलाइन शॉपिंग व बैंकिंग केवल सुरक्षित एवं एंटीवायरस वाले कंप्यूटर से ही करें।
- जब भी अपना रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर खाते से बदलें तो उसकी लिखित सूचना बैंक को जरूर दें।
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