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मंडियों के अस्तित्व पर संकट, यूपी में सचल दस्तों और एक हजार इंस्पेक्टरों को ड्यूटी से हटाया गया

किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश की 251 मंडियों और 362 उप मंडी स्थलों को संचालित रखने पर संकट गहरा गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 01:37 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 01:37 AM (IST)
मंडियों के अस्तित्व पर संकट, यूपी में सचल दस्तों और एक हजार इंस्पेक्टरों को ड्यूटी से हटाया गया
मंडियों के अस्तित्व पर संकट, यूपी में सचल दस्तों और एक हजार इंस्पेक्टरों को ड्यूटी से हटाया गया

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। केंद्र सरकार की ओर से पांच जून को किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश लागू कर देने के बाद उत्तर प्रदेश की 251 मंडियों और 362 उप मंडी स्थलों को संचालित रखने पर संकट गहरा गया है। मंडी परिसर के बाहर मंडी शुल्क और लाइसेंस की अनिवार्यता समाप्त होने के बाद मंडियों की वार्षिक आय लगभग 2000 करोड़ रुपये से घटकर 800 करोड़ रुपये ही रहने की संभावना जताई जा रही है। मंडी शुल्क की वसूली और कर चोरी रोकने के लिए यूपी में कार्यरत सचल दस्तों व करीब एक हजार इंस्पेक्टरों को फील्ड की ड्यूटी से हटा दिया गया है। अब केवल मंडी परिसर के भीतर कारोबार करने वालों से यूजर चार्ज, विकास व मंडी शुल्क वसूल किया जाएगा। मंडियों की आय पर अंकुश लगने से तीन हजार से अधिक कर्मचारियों में बेचैनी है।

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राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालन मंडल की शनिवार को संपन्न 158वीं बैठक में मंडियों का अस्तित्व बचाने व उनकी उपयोगिता बनाए रखने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में विस्तार से चर्चा हुई। ठोस कार्ययोजना बनाए जाने पर सहमति भी बनी। किसानों व व्यापारियों को लुभाए रखने के लिए यूजर चार्ज व विकास शुल्क को घटाकर दो प्रतिशत किया गया। मंडी के भीतर व्यापार करने वाले आढ़तियों को मंडी शुल्क में कोई रियायत नहीं दी गई है। किसानों की खातिर सस्ती किचेन संचालित करने और जैविक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया गया।

पांच जून के बाद कोई वसूली नहीं होगी : केंद्र सरकार का अध्यादेश लागू होने के बाद मंडी परिसर के बाहर कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। केवल पांच जून से पूर्व के बकाया मंडी शुल्क व उपकर की वसूली होगी। मंडी परिसर के भीतर फल व सब्जियों की 45 जिंसों पर कोई शुल्क न लेने का निर्णय प्रदेश सरकार अभी कुछ दिन पहले कर चुकी है। मंडी के भीतर केवल आलू, प्याज, हरी मिर्च, अदरक व लहसुन और खाद्यान्नों की बिक्री पर ही शुल्क लिया जा सकेगा। मंडियों में प्रतिवर्ष 626 लाख मीट्रिक टन कृषि उपज का कारोबार होता है।

किसानों को राहत के साथ खतरे की आशंका : 'एक देश' एक बाजार की अवधारणा पर किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी होगी। कोई किसान समूह, सहकारी समिति व किसान उत्पादक संगठन केवल पैन कार्ड के आधार पर कारोबार भी कर सकेंगे। वहीं किसान नेता व विधायक संजय लाठर का कहना है कि मंडियां खत्म होने से किसानों का शोषण बढ़ेगा। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर किसान हित में हस्तक्षेप की मांग की है।


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