LDA Property Scam: एलडीए की संपत्तियों में हेरफेर करने वाले बन गए करोड़पति, क्राइम ब्रांच के हाथ लगे कर्मचारियों के खाते की डिटेल
लखनऊ विकास प्राधिकरण की संपत्ति में घोटाले को लेकर दावा किया जा रहा है जांच एजेंसी क्राइम ब्रांच के हाथ कुछ ऐसे भी तथ्य लगे हैं जिसमें निजी एजेंसी लविप्रा कर्मचारी व अफसरों के बैंक डिटेल से पैसों का लेनदेन सामने आया है।
लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) की संपत्तियों में घोटाले करने वाले आज भी चैन की नींद सो रहे हैं। क्योंकि जिस गति से कार्रवाई होनी चाहिए, वह नहीं हो रही है। दावा किया जा रहा है जांच एजेंसी क्राइम ब्रांच के हाथ कुछ ऐसे भी तथ्य लगे हैं, जिसमें निजी एजेंसी, लविप्रा कर्मचारी व अफसरों के बैंक डिटेल से पैसों का लेनदेन सामने आया है। यही नहीं कॉल डिटेल जैसे अहम तथ्य, 489 संपत्तियों में हुए खेल को सामने लगा सकता है।
12 फरवरी को तहसीलदार राजेश शुक्ला ने गोमती नगर थाने में लविप्रा में काम करने वाली एजेंसी डीजी टेक प्रा. लि. के सीईओ अजीत कुमार व इंजीनियर दीपक मिश्रा के खिलाफ मिलीभगत से कर्मचारियों की आइडी का गलत इस्तेमाल करने से संबंधित मामला दर्ज कराया था। इसके बाद से पुलिस इन दोनों को पकड़ना तो दूर पूछताछ करने के लिए बुला तक नहीं सकी।
लविप्रा की गोमती नगर के वास्तु खंड की छह संपत्तियों में हुए हेरफेर के बाद पचास संपत्तियों का घोटाला सामने आया था। सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार ने जांच कराई तो 489 की नई संपत्तियों की सूची सामने आई। यह संपत्तियां प्राधिकरण की अलग अलग योजनाओं की थी। अभी तक जांच एजेंसी तह तक नहीं पहुंच सकी है। नौ नवंबर को शुरू हुई जांच 12 फरवरी को मुकदमा दर्ज कराने तक सीमित है। सवाल खंडा होता है कि जब क्राइम ब्रांच को कुछ तथ्य हाथ लग गए हैं तो आगे कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है।
कम्पूयटर एक्जीक्यूटिव के जवाब नहीं मिला
डीएम व लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने पूरे घोटाले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश सचिव लविप्रा को दिए थे। सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार ने कंप्यूटर सेल के प्रभारी व एक्जीक्यूटिव कम्प्यूटर एसबी भटनागर मामले की जांच स्वयं कर रहे हैं। इस मामले में सचिव ने भटनागर को चार्जशीट देते हुए पंद्रह दिन में जवाब मांगा था। सचिव के मुताबिक अभी तक जवाब नहीं आया है। जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।