मारपीट के मामले में वसीम रिजवी की जमानत अर्जी खारिज
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में किया था आत्मसमर्पण। सत्र अदालत ने सात जून तक दी अंतरिम जमानत।
लखनऊ, जेएनएन। मारपीट एवं जानलेवा हमले के आठ साल पुराने एक मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नित्या पांडेय की अदालत में समर्पण कर किया है। न्यायालय में सुनवाई के दौरान जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। इस पर वसीम रिजवी की ओर से सत्र अदालत में अर्जी प्रस्तुत की गई।
अर्जी को सुनवाई के बाद सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने बीस-बीस हजार रुपये की दो जमानतें एवं इतनी ही धनराशि का मुचलका दाखिल करने पर सात जून तक के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। इस प्रकरण की रिपोर्ट भोले नवाब ने 10 नवंबर 2011 को सआदतगंज थाने में दर्ज कराते हुए कहा था कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दरगाह हजरत अब्बास की नई कमेटी बनाई थी। इसमें वादी को भी सदस्य बनाया गया था।
कहा गया है कि 10 नवंबर को नई कमेटी चार्ज लेने के लिए दरगाह गई थी। चार्ज लेने की कार्यवाही के दौरान ही दरगाह के पूर्व मुतवल्ली हिदायत हुसैन, मीसम रिवजी, शानू अहमद जैदी, कमर चौधरी, हबीब हैदर शाने हैदर आले रजा, शबाब असगर अपने 20-25 साथियों के साथ हथियार लेकर आए तथा गाली-गलौच करते हुए गोलियां चलाने लगे तथा मारपीट कर भाग गए।
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