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बुलंदशहर से ठगी कर फरार दंपती लंदन में गिरफ्तार, EOW करा रहा प्रत्यर्पण की तैयारी

आढ़ती के 1.76 करोड़ रुपये हड़पने का मामला। ईओडब्ल्यू के इतिहास में पहली बार किन्हीं आरोपितों के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया की जा रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 08:27 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 08:21 AM (IST)
बुलंदशहर से ठगी कर फरार दंपती लंदन में गिरफ्तार, EOW करा रहा प्रत्यर्पण की तैयारी
बुलंदशहर से ठगी कर फरार दंपती लंदन में गिरफ्तार, EOW करा रहा प्रत्यर्पण की तैयारी

लखनऊ, जेएनएन। कोई व्यक्ति गुनाह करके भले ही कितनी सरहदें लांघ जाए, लेकिन कानून के हाथ उस तक पहुंच ही जाते हैं। आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बुलंदशहर में हुए 1.76 करोड़ की ठगी के मामले में इसे चरितार्थ कर दिखाया है। इलाज के बहाने सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेकर लंदन भाग निकले दिल्ली निवासी दंपती पर सीबीआइ और इंटरपोल की मदद से आखिरकार शिकंजा कसा जा सका। ईओडब्ल्यू की प्रभावी पैरवी का नतीजा है कि आरोपित दंपती को इंग्लैंड पुलिस ने लंदन में गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित दंपती को यहां लाने के बाद गौतमबुद्धनगर जेल में रखे जाने का निर्णय किया गया है।

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दिल्ली निवासी वीर करन अवस्थी (51) व उनकी पत्नी रीतिका (49) के ठगी कर विदेश भाग निकलने की कहानी बेहद दिलचस्प है। आरोपित वीर करन ने वर्ष 2013 से 2015 के बीच बुलंदशहर में धान खरीदकर उसके एक्सपोर्ट का काम किया था। डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने बताया कि वीर करन साकेत, दिल्ली स्थित बुश फूड ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के एमडी व उनकी पत्नी रीतिका डायरेक्टर हैं।

बुश फूड ने बुलंदशहर स्थित सौरभ एंड कंपनी से धान खरीदकर उसके एक्सपोर्ट का कारोबार शुरू किया था। शुरुआत में कुछ रकम देने के बाद धान खरीद के 1.76 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया। सौरभ एंड कंपनी के मालिक लोकेंद्र सिंह ने रकम वापस न मिलने पर 11 सितंबर 2015 को बुलंदशहर में दंपती के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। शासन ने 22 मार्च 2016 को इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी।

डीजी ने बताया कि ईओडब्ल्यू को जांच ट्रांसफर होने से पहले आरोपित दंपती ने 20 अक्टूबर 2015 को अपनी गिरफ्तारी के विरुद्ध स्टे हासिल कर लिया था। हाई कोर्ट ने शर्त लगाई थी कि दंपती बिना अनुमति के देश नहीं छोड़ेगा। रीतिका ने 11 दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर पति व अपने इलाज के लिए लंदन जाने की अनुमति मांगी थी, जिस पर कोर्ट ने 86 लाख रुपये की निजी जमानत पर दंपती को 31 जनवरी 2016 से दो माह तक के लिए लंदन जाने की अनुमति दे दी। मार्च में समय पूरा होने पर दंपती ने सुप्रीम कोर्ट से दो माह का और समय मांगा, लेकिन उसके बाद कभी लौटकर नहीं आए।

पासपोर्ट कैंसिल कर हुई आगे की कार्रवाई

दंपती के निर्धारित समय में दंपती के वापस न आने पर सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2016 को जमानत राशि जब्त करने का आदेश देने के साथ ही पासपोर्ट कैंसिल करने व गिरफ्तार कर वापस बुलाये जाने का निर्देश दिया था। ईओडब्ल्यू मेरठ सेक्टर के एसपी राम सुरेश व इंस्पेक्टर केपी शर्मा ने विवेचना पूरी कर पांच अक्टूबर 2017 को आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कराया। सीजेएम बुलंदशहर की कोर्ट से दंपती के खिलाफ गैरजमानती वारंट हासिल करने के बाद सीबीआइ की मदद से रेड कार्नर नोटिस जारी कराई और ब्रिटिश दूतावास से संपर्क कर गिरफ्तारी व प्रत्यपर्ण की प्रकिया शुरू की गई।  


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