यूपी में बिजली दरें बढ़ाने की उलटी गिनती शुरू, नियामक आयोग ने कंपनियों का ARR प्रस्ताव स्वीकारा
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल किए गए वार्षिक राजस्व आवश्यकता के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ाने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल किए गए वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। एआरआर स्वीकारने से 120 दिनों में आयोग को बिजली की नई दरें घोषित करनी होती हैं। हालांकि, कंपनियों ने अभी विभिन्न श्रेणियों की बिजली की दर में बढ़ोतरी संबंधी कोई प्रस्ताव आयोग को नहीं सौंपा है। ऐसे में आयोग को ही एआरआर में 4500 करोड़ रुपये के गैप के मद्देनजर दरों में बढ़ोतरी पर निर्णय करना है। दरों में निर्णय करने से पहले आयोग एआरआर के आंकड़ों पर 10 और 13 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जनसुनवाई करेगा।
बिजली कंपनियों ने वर्ष 2020-21 के लिए बीते दिनों विद्युत नियामक आयोग के समक्ष 70,792 करोड़ रुपये का एआरआर दाखिल किया था, जिसमें मौजूदा बिजली दरों व खर्चों को देखते हुए 4500 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया था। पहली बार बिजली कंपनियों ने विद्युत दरें बढ़ाने का कोई प्रस्ताव तो विद्युत नियामक आयोग के समक्ष दाखिल नहीं किया है, लेकिन उन्होंने आयोग से इस घाटे की भरपाई करने के लिए कहा है।
विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह और सदस्य कौशल किशोर शर्मा व विनोद कुमार श्रीवास्तव ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 70792 करोड़ रुपये का एआरआर मंगलवार को स्वीकार करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि बिजली कंपनियों ने इसमें दर्शाये गए 4500 करोड़ रुपये के घाटे की भरपाई के लिए टैरिफ बढ़ोतरी का कोई भी प्रस्ताव दाखिल नही किया है। आयोग ने बिजली कंपनियों को एआरआर के आंकड़े तीन दिन में प्रकाशित कराने का निर्देश दिया है ताकि विद्युत उपभोक्ता उस पर आपत्तियां व सुझाव दाखिल कर सकें।
इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को नियामक आयोग के चेयरमैन से मिलकर मांग की है कि चूंकि बिजली कंपनियों ने एआरआर में घाटे की भरपाई के लिए बिजली दरें बढ़ाने का कोई प्रस्ताव दाखिल नहीं किया है, इसलिए ऑर्डर में इस तथ्य को भी दर्ज किया जाए। वर्मा का कहना है कि दरें बढ़नी नहीं बल्कि उसमें कमी होनी चाहिए क्योंकि एआरआर मनगढ़ंत है।
किस दिन किसकी जनसुनवाई : विद्युत नियामक आयोग 10 अगस्त को दक्षिणांचल व पश्चिमांचल डिस्कॉम और केस्को तथा 13 अगस्त को मध्यांचल व पूर्वांचल डिस्कॉम के आंकड़ों पर जनसुनवाई करेगा। दोनों दिन सुनवाई सुबह 11 बजे शुरू होगी।