चुनाव से पहले पार्षदों को मिल सकता है वेतन का तोहफा !
15 से बीस हजार हर माह देने पर मंथन कर रही सरकार। प्रदेश वित्तीय संसाधन बोर्ड से मांगी गई राय।
लखनऊ, अजय श्रीवास्तव। अगर सरकार की मुहर लगी तो लोकसभा चुनाव की अधिसूचना से पहले प्रदेश के पार्षदों को तोहफा मिल सकता है। पार्षदों को हर माह वेतन दिए जाने पर मंथन शुरू हो गया है। जानकार बताते हैं कि पंद्रह से बीस हजार रुपये तक यह वेतन हो सकता है। सरकार ने उत्तर प्रदेश वित्तीय संसाधन बोर्ड से राय मांगी गई है। अगर सरकार वेतन देने का निर्णय लेती है तो उसे उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 में संशोधन करना पड़ेगा। कई शहरों के पार्षदों ने भी पिछले दिनों विधान भवन के सामने एकत्र होकर प्रदर्शन किया था और वेतन की मांग रखी थी।
बारह दिसंबर को मेयर संयुक्ता भाटिया के एक वर्ष के कार्यकाल पर आयोजित समारोह में नगर निगम मुख्यालय के सभागार में आए राज्यपाल रामनाईक ने भी पार्षदों को वेतन दिए जाने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में पार्षदों को हर माह 26700 रुपये मिलता है। इसी तरह से हरियाणा सरकार मेयर को हर माह 20500 रुपये और पार्षदों को हर माह 10500 रुपये मानदेय देती है। नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि चुनाव आचार संहिता से पहले इस पर निर्णय हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में है अभी भत्ता
वर्ष 2004 में सरकार ने सदन में भाग लेने पर पार्षदों को तीन सौ रुपये भत्ता देने का निर्णय लिया था। यह खर्च नगर निगम को वहन करना था। हालांकि अधिकांश पार्षदों ने भत्ता नहीं लिया था। सात जनवरी 2015 को नियमावली बनाते हुए नगर निगम के पार्षदों को सदन में भाग लेने के लिए 15 सौ रुपये और नगर पंचायत में एक हजार रुपये हर माह भत्ता देने का निर्णय लिया गया था।