Coronavirus lockdown: यूपी में दवा कारोबार को हर महीने 451 करोड़ की चपत
सामान्य ओपीडी व निजी अस्पतालों के बंद होने से बिक्री में 30 फीसद की कमी। कम प्रदूषण और घर में खानपान का असर भी एक प्रमुख कारण।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना संकट से हर क्षेत्र के व्यवसाय को तो तगड़ा झटका लगा ही है, दवा व्यवसाय की भी कमर टूटी है। लॉकडाउन में हर माह इस व्यवसाय को 451 करोड़ रुपये का झटका लगा है। व्यवसायियों के अनुसार लगभग कारोबार में लगभग तीस प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। अब अनलॉक-1 की श्रृंखला शुरू होने के बाद उस व्यवसाय के भी मंदी से उबरने की उम्मीद है।
केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट फेडरेशन, उत्तर प्रदेश के महासचिव सुरेश गुप्ता के अनुसार देश में दवाओं की कुल खपत का 16.4 फीसद यूपी में है। यहां हर साल 18040 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। यानी हर महीने 1503 करोड़ का कारोबार होता है। इसमें तीस फीसद की गिरावट हुई है। एक महीने में 451 करोड़ के इस नुकसान के आधार पर दो माह में 902 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
आइएमए, लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता कहते हैं कि प्रदेश में करीब पांच हजार प्राइवेट अस्पताल, नॄसग होग, क्लीनिक व डायग्नोसिस सेंटर हैं। लॉकडाउन के दौरान अधिकांश में सामान्य रोगियों की आवाजाही बंद रही। इससे दवाओं की खपत में काफी कमी आई। चूंकि लोग घरों से कम निकले, इसलिए दुर्घटनाएं भी कम हुईं और प्रदूषण से होने वाले रोगों में भी काफी कमी आई। सर्जरी न के बराबर हुई। घर में खानपान दुरुस्त होने से बीमारी का ग्राफ गिरा।
सामान्य दिनों में सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही हर दिन चार लाख लोग ओपीडी में दिखाने आते थे लेकिन लॉकडाउन में सामान्य ओपीडी भी बंद रही। सिर्फ फीवर क्लीनिक ही अस्पतालों में चली। ऐसे में पहले के मुकाबले बमुश्किल 10 से 15 फीसद के बीच मरीज आए। प्राइवेट अस्पतालों का भी यही हाल रहा। ऐसे में डिमांड में काफी कमी आई। सिर्फ गंभीर रोगों की ही दवाएं बिक रही हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक रूकुम केश कुमार कहते हैं कि लोगों ने लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया और खुद अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दिया। यह लॉकडाउन का सकारात्मक असर है।