CoronaVirus in UP : जज्बे को सलाम: कोरोना के कहर में जिंदगियां बचाने के लिए 42 दिन से नहीं गए घर UP News
CoronaVirus in UP किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के बीएसएल थ्री-लैब रिसर्च साइंटिस्ट और टेक्नीशियन एक-दो दिन से नहीं बल्कि 42 दिनों से घर ही नहीं गए।
लखनऊ, जेएनएन। चीन की उपज कोरोना वायरस से पूरी दुनिया भयभीत है। दुनिया की बात करें तो इस बड़ी महामारी की वजह से अब तक 24 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 724 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में भी इस डर बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी हथेली पर लेकर अपना धर्म निभा रहे हैं। इन्हीं में से कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने महीना भर से अधिक समय से अपना घर नहीं देखा, अपने माता-पिता और पत्नी व बच्चों से भी नहीं मिले। सेवा भाव से भरे ऐसे लोगों को सैल्यूट है।
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के बीएसएल थ्री-लैब रिसर्च साइंटिस्ट और टेक्नीशियन एक-दो दिन से नहीं बल्कि 42 दिनों से घर ही नहीं गए। कोरोना से जंग में यह ही हैं असली हीरो। आइए आपको इन सभी का परिचय करवाते हैं। यह हैं डॉ. शांतनू प्रकाश, डॉ. बृजनाथ तिवारी, डॉ. अनिल कुमार, रिचा मिश्र, दानिश खान, ओम प्रकाश, अजय पांडेय और कमलेश कुमार। इनमें से कोई भी 42 दिनों से अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों से नहीं मिला। इस दौरान संडे-होली की बात करना यहां बेमानी है। यह सब तो अब तक उसी दिन अबीर-गुलाल उड़ाएंगे और ईद मनाएंगे, जब कोरोना से जंग जीत जाएंगे। डॉक्टर्स के साथ ही इन सभी ने लोगों की जिंदगियां बचाने का बीड़ा उठा रखा है।
केजीएमयू में फरवरी के पहले सप्ताह से बीएसएल थ्री लैब शुरू हुई थी। खास तरीके की इस लैब में हवा से लेकर पानी तक साफ होकर ही जाता है। कारण, जरा भी लापरवाही शहर में वायरस फैला सकती है। लिहाजा, कोरोना वायरस की जांच काफी बारीकी व सावधानी से करनी होती है। संस्थान में 24 घंटे लैब का संचालन हो रहा है। यह सभी रिसर्च साइंटिस्ट और लैब टेक्नीशियन बारी-बारी से असली ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं। यहां अब तक 1250 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। यह टेस्ट मरीजों के इलाज की दिशा तय करते हैं, क्योंकि कोरोना कंफर्म होने के पहले तक उसे एक फ्लू के तौर पर आंका जाता है। वहीं, इस खतरनाक वायरस की कई चरणों में जांच करने वाले रिसर्च साइंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट 42 दिनों से घर नहीं गए, क्योंकि जरा सी लापरवाही घर वालों समेत अन्य लोगों को संक्रमित कर सकती है।
अब तो लैब ही इनका घर
डॉ. शांतनू प्रकाश वायरोलॉजी सेक्शन में कार्यरत हैं। स्वाइन फ्लू समेत कई वायरस आउट ब्रेक में काम कर चुके हैं। शांतनू के मुताबिक इस मुश्किल घड़ी में ड्यूटी के निर्वहन के लिए परिवारजनों ने उत्साह बढ़ाया है। रिसर्च साइंटिस्ट दानिश खान मरीजों की टेस्टिंग में लगे हैं। वह तो कहते है कि मुझे अपने कार्य और अपनी टीम पर गर्व है कि इस मुश्किल वक्त में देश सेवा का मौका मिला है। मेरा परिवार मेरी ड्यूटी पर गर्व महसूस कर रहा है। वायरोलॉजी के रिसर्च एसोसिएट ओम प्रकाश कोरोना टेस्ट में लगे हैं। लैब में काम कर रहे डॉ. बृजनाथ तिवारी और डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि सभी को इस संकट से उबारने में हम जी-जान से मदद करेंगे। पीएचडी स्कॉलर रिचा मिश्र जांच के साथ-साथ वायरस से बचाव के लिए वैक्सीनेशन पर काम करना चाहती हैं। वहीं लैब टेक्नीशियन जय पांडेय, लैब अटेंडेंट कमलेश कुमार ने कहा कि पहले परिवार को चिंता हुई, लेकिन अब वो भी समझ रहे हैं कि हम मानवता को बचाने की मुहिम में लगे हैं। परिवार को पूरी टीम पर गर्व है।
डॉक्टर्स भी अभियान में लगे
लखनऊ में कई ऐसे चिकित्सक हैं, जो अपनी निजी जिंदगी को त्याग कर लगातार मानव सेवा और राष्ट्र सेवा में लगे हुए हैं। लखनऊ में कोरोना के कुल आठ केस मिले हैं। बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर में कोरोना वायरस पॉजिटिव केस मिलने के बाद सैकड़ों लोग स्कैनर पर चल रहे हैं। कई ऐसे चिकित्सक हैं, जो अपनी निजी जिंदगी को त्याग कर लगातार मानव सेवा और राष्ट्र सेवा में लगे हुए हैं।
24 घंटे में सिर्फ तीन घंटे की नींद
उत्तराखंड में नैनीताल के मूल निवासी डॉ देवेंद्र सिंह नेगी उत्तर प्रदेश में चिकित्सा सेवा संवर्ग में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में दो दशक से ज्यादा समय से अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने सेना में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वह लोकबंधु अस्पताल के निदेशक हैं, साथ ही डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में भी निदेशक पद को संभाल रहे हैं। उनकी पत्नी भी जानी मानी चिकित्सक हैं। डॉक्टर नेगी लगातार कोरोना से जंग लड़ रहे लोगों की मदद कर रहे हैं। वह लोकबंधु अस्पताल में बनाए गए 300 बेड के क्वॉरेंटाइन सेंटर के इंचार्ज भी हैं। अब विदेश से आने वाले जितने भी लोग हैं वह लोकबंधु अस्पताल में ही रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि हम चिकित्सकों के लिए मानव जीवन को बचाना ही सर्वोपरि है और शायद ही वह 24 घंटे में 3 से 4 घंटे की नींद ही ले पाते हैं। बच्चों से भी इस दौरान बातचीत नहीं हो पाती है। यहां तक की अपनी चिकित्सक पत्नी से भी कम ही मुलाकात कर पा रहे हैं।
अभी तो सब समाज का
लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ नरेंद्र अग्रवाल उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संवर्ग के अधिकारी हैं और मौजूदा वक्त में लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) का पद संभाल रहे हैं। कोरोना वायरस के प्रकोप की शुरुआत के साथ ही लखनऊ के सीएमओ के ऊपर सबसे ज्यादा जिम्मेदारियां हैं। काम के बीच मे दिन और रात कब बीत जाता है डॉ नरेंद्र अग्रवाल को पता ही नहीं चलता है। दिन और तारीख इतने तेजी से बढ़ रहे हैं कि कुछ पता ही नहीं चलता है। उन्होंने कहा कि ऐसी ही परिस्थितियों के लिए हमें तैयार किया जाता है। उन्हें खुशी है कि इस जंग में मैं अपना कुछ सहयोग दे पा रहा हूं। जबसे कोरोना का प्रकोप आया है, तब से दोनों फोन दिन-रात बजते हैं। वह लगातार लोगों से संपर्क में हैं। इसी दौरान ही शासन की प्राथमिकताओं को भी जमीन पर लागू करवाना उनके सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। देर रात में सोना और सुबह 4 बजे से ही काम पर लग जाना उनकी पिछले कुछ हफ्तों से दिनचर्या बन गई है।
इस इम्तिहान में हक हर हाल में कामयाब होंगे
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशुतोष कुमार दुबे पर सरकारी डॉक्टरों के संगठन पीएमएस संघ की भी जिम्मेदारी है। डॉ आशुतोष दुबे स्वभाव से सरल और मृदुल हैं। इसी बीच कोरोना वायरस का प्रकोप की खबर के बीच सिविल हॉस्पिटल में सबसे पहले 25 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया था। डॉ आशुतोष कुमार दुबे की पत्नी भी पेशे से चिकित्सक हैं। डॉ आशुतोष दुबे इन दिनों 24 घंटे में से 20 घंटे का समय अस्पताल को दे रहे हैं। लगातार फोन पर लोगों की परेशानियों को हल करना, देर रात में सोना और सुबह 4 बजे से उठकर फिर से इस महामारी से लडऩे की रणनीति और जद्दोजहद तैयार करना इन दिनों उनका काम है। सरकार के दिशानिर्देशों को जमीन पर उतारने से लेकर नया रोडमैप तैयार करना और सरकारी अधिकारियों को इस बारे में सूचित करने का भी काम आशुतोष करते हैं। डॉ आशुतोष ने कहा कि कोरोना वायरस का संक्रमण तो सच्चे वक्त इम्तिहान का है और इसमें हम मिलकर हर हाल में कामयाब होंगे।