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CoronaVirus alert in UP : क्वारंटाइन ट्रैक एप पर होगा विदेश से लौटे लोगों का पंजीकरण UP News

CoronaVirus alert in UP एप में विदेश यात्रा से लौटे लोगों से एक ऑनलाइन फॉर्म भराया जाएगा। यह फॉर्म भरने के साथ ही संबंधित लोग 28 दिनों तक होम क्वारंटाइन में रहेंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 06:50 AM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2020 08:46 AM (IST)
CoronaVirus alert in UP : क्वारंटाइन ट्रैक एप पर होगा विदेश से लौटे लोगों का पंजीकरण UP News
CoronaVirus alert in UP : क्वारंटाइन ट्रैक एप पर होगा विदेश से लौटे लोगों का पंजीकरण UP News

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण के बचने के लिए विदेश से यात्रा कर उत्तर प्रदेश लौट रहे लोगों को चिन्हित करने का काम तेज कर दिया गया है। रैपिड रिस्पांस टीम की मदद से अब तक चीन व कोरोना प्रभावित अन्य देशों की यात्रा से लौटे 37,748 लोगों को चिन्हित किया जा चुका है। संक्रामक रोग विभाग ने ऐसे और लोगों को चिन्हित करने के लिए क्वारंटाइन ट्रैक एप विकसित किया है।

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इस एप में विदेश यात्रा से लौटे लोगों से एक ऑनलाइन फॉर्म भराया जाएगा। यह फॉर्म भरने के साथ ही संबंधित लोग 28 दिनों तक होम क्वारंटाइन में रहेंगे। संक्रामक रोग विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. विकासेंदु अग्रवाल ने बताया कि इस एप में रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों पर रैपिड रिस्पांस टीम भी पूरी निगाह रखेगी। ऐसे लोगों को यदि कोरोना की आशंका होगी तो वे तत्काल कंट्रोल रूम में फोन करेंगे और मेडिकल टीम उन्हें सुरक्षित ढंग से भर्ती कराने और उनका नमूना लेने की व्यवस्था करेगी। विदेशों से लौटे लोग ऑनलाइन एप्लीकेशन इस लिंक https://bit.ly/3dtc1Jd से डाउनलोड कर सकते हैं। इसका मकसद विदेश से आए अधिक से अधिक लोगों को चिन्हित करना है।

विदेश से लौटे 29 हजार लोग चिह्न्ति

उत्तर प्रदेश में चीन सहित कोरोना प्रभावित देशों की यात्र कर लौटे लोगों को चिह्नित करने का काम जिला स्तर पर बनी रैपिड रिस्पांस टीमों ने तेज कर दिया है। चार दिन में 28798 ऐसे लोग चिह्न्ति किए गए हैं, जो कोरोना प्रभावित देशों की यात्र कर लौटे हैं। अभी तक कुल 37748 लोगों को चिह्न्ति किया जा चुका है। इनमें से तमाम को होम क्वारंटाइन और कुछ को अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है। रैपिड रिस्पांस टीम की निगरानी में इन्हें 14 दिनों के लिए होम क्वारंटाइन में रखा गया है और कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर इन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। हर दिन 50 से लेकर 100 के बीच ऐसे मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। इन संदिग्ध मरीजों की जांच करवाई जाती है। अभी तक प्रदेश में कुल 1937 लोगों की जांच कराई गई। इसमें से 43 में कोरोना वायरस पाया गया।

दुकानों पर कराएं सोशल डिस्टेंसिंग मार्किंग

लॉकडाउन के दौरान किसी भी स्थान पर भीड़ एकत्र न हो पाए, इस पर खास जोर दिया जा रहा है। जनता को आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता के साथ ही मुख्य सचिव आरके तिवारी ने निर्देश दिए हैं कि किराना और मेडिकल स्टोर पर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पूरी तरह कराया जाए। इसके लिए वहां चार-पांच फीट की दूरी पर मार्कर से गोले बना दें।

गांव में बाहरी व्यक्ति के प्रवेश की देनी होगी सूचना

ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए बाहरी लोगों की आवाजाही पर निगरानी की जा रही है। खासकर विदेश व दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों की सूचना जिला प्रशासन को देने के निर्देश दिए गए है। ग्राम प्रधानों व पंचायत सचिवों को कहा गया है कि इसमें कोई ढिलाई न बरतें।

एमपीडब्ल्यू बिना मानदेय सेवा देने को तैयार

मल्टी परपज वर्कर(एमपीडब्लू) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बिना मानदेय के काम करने की पेशकश की है। वह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किए जा रहे कार्य में मदद करेंगे। यूपी में 3551 एमपीडब्लू 40 जिलों में संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधीन कार्य करते थे। बाद में इनसे सेवाएं लेना बंद कर दिया गया था।

एमपीडब्लू संगठन के विनीत मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया है कि 3351 कर्मियों को संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण में विभागीय कार्य का अनुभव है। राष्ट्रीय विपदा की इस घड़ी में बीमारी के निदान तक वे किसी भी तरह के मानदेय के बिना कार्य करने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के आदेश से संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रदेश के 40 जिलों में वर्ष 2012-13 में संविदा के आधार पर तीन साल के लिए एमपीडब्लू का चयन किया गया था। इन कर्मियों की निरंतरा बनाए रखने के लिए रिक्त पदों अथवा पदों का सृजन करके आगे की तैनाती का प्रावधान भी किया गया था। लेकिन, विभागीय उपेक्षा से ऐसा हो नहीं सका। इसी उपेक्षा के चलते मल्टीपरपज वर्कर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाद दाखिल किया जिस पर 25 मार्च 2014 को अंतरिम और 26 मार्च 2014 को हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश दे दिया था।

अंतरिम आदेश के बाद से बीते 6 वर्षों से वह बिना मानदेय काम कर रहे हैं। सभी को एक निर्धारित मानदेय मिल सके, इसके लिए एक अवमानना याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में अभी विचाराधीन है। विनीत ने बताया कि मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए अनुभवी कार्यकर्ताओं से कार्य लिए जाने के लिए प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को आदेश दें। यह समय की मांग है।  


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