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UP: फिलहाल नहीं लगेगा महंगी बिजली का झटका, रेगुलेटरी सरचार्ज पर संतुष्ट नहीं कर सकीं कंपनियां

विद्युत नियामक आयोग में बिजली की दरों पर सुनवाई के दौरान कंपनियों के अधिकारी सवालों का स्पष्ट जवाब देने के बजाय चुप्पी साधे रहे। ऐसे में कोविड-19 से परेशान प्रदेशवासियों को फिलहाल बिजली के महंगी होने का झटका लगने की उम्मीद नहीं है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 06:20 PM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 06:23 PM (IST)
UP: फिलहाल नहीं लगेगा महंगी बिजली का झटका, रेगुलेटरी सरचार्ज पर संतुष्ट नहीं कर सकीं कंपनियां
यूपी के उपभोक्ताओं को फिलहाल बिजली के महंगी होने का झटका लगने की उम्मीद नहीं है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। बिजली कंपनियों की रेगुलेटरी सरचार्ज और स्लैब परिवर्तन के जरिये बिजली महंगी करने की कोशिश कामयाब होती नहीं दिख रही है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली की दरों पर सुनवाई के दौरान कंपनियों के अधिकारी संबंधित प्रस्ताव पर आयोग और उपभोक्ता संगठनों के सवालों का स्पष्ट जवाब देने के बजाय चुप्पी साधे रहे। ऐसे में कोविड-19 से परेशान प्रदेशवासियों को फिलहाल बिजली के महंगी होने का झटका लगने की उम्मीद नहीं है। आयोग, बुधवार को शेष कंपनियों के प्रस्ताव पर भी सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाएगा।

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वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए तीन बिजली कंपनियों (पश्चिमांचल, दक्षिणांचल व केस्को) के एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता), स्लैब परिवर्तन व रेगुलेटरी सरचार्ज संबंधी दाखिल प्रस्ताव पर आयोग ने सोमवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सार्वजनिक सुनवाई की। आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह, सदस्य कौशल किशोर शर्मा व विनोद कुमार श्रीवास्तव के अलावा बिजली कंपनियों के अफसर, उपभोक्ता संगठनों के पदाधिकारी सुनवाई में शामिल हुए। तीनों कंपनियों के प्रबंध निदेशकों/निदेशकों व पावर कारपोरेशन के रेगुलेटरी विंग के अफसरों ने प्रस्ताव संबंधी प्रस्तुतीकरण किया।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कंपनियों के प्रस्तावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरचार्ज का प्रस्ताव नियम विरुद्ध है। स्लैब परिवर्तन का प्रस्ताव जब आयोग पहले ही खारिज कर चुका है तब फिर क्यों लाया गया? इसके लिए संबंधित के खिलाफ कार्रवाई हो। वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं के कंपनियों पर निकलने वाले 19,537 करोड़ के एवज में बिजली दर में 25 फीसद की कमी की जाए। नौ वर्षों में ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की बिजली दरों में 84 से 500 फीसद तक का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि फिजूलखर्ची व महंगी बिजली खरीदने से उसकी औसत लागत 6.89 रुपये से 8.57 रुपये प्रति यूनिट पहुंचने की जांच हो।

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 60 लाख उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी पर ब्याज शून्य करके के मामले में कंपनियों पर मुकदमा दर्ज हो। सुनवाई में सौरभ श्रीवास्तव, योगेश अग्रवाल ने क्रास सब्सिडी व सरचार्ज न बढ़ाने, धीरज खुल्लर ने इंडस्ट्री की तरफ से बुंदेलखंड को पैकेज देने, मनोज गुप्ता ने प्रीपेड मीटर की दरों को कम करने, प्रतीक अग्रवाल ने लाइफ लाइन उपभोक्ताओं पर ध्यान देने और दिल्ली मेट्रो की ओर से मेट्रो की दरें घटाने की मांग की गई। सौमीन्द्र अग्रवाल ने वेबसाइट पर समय से डाटा उपलब्ध कराने की मांग उठायी।

प्रस्ताव पर कंपनियों के अफसरों से आयोग के अध्यक्ष ने स्पष्ट तौर पर पूछा कि बिजली दर बढ़ोतरी और सरचार्ज पर आपकी राय क्या है? उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद द्वारा दर घटाने की बात पर आप सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव ले आए। क्या केंद्र सरकार की उदय संबंधी योजना की गाइडलाइन पढ़ी है? गौर करने की बात यह है कि आयोग व उपभोक्ता संगठन के सवालों पर कोई जवाब देने के बजाय अफसर चुप ही रहे। अब 19 मई को आयोग मध्यांचल व पूर्वांचल कंपनियों की सुनवाई करेगा। इसके बाद ही आयोग बिजली दर पर निर्णय करेगा।

जानकारों का कहना है कि सरचार्ज का प्रस्ताव खारिज हो सकता है। ऐसे में बिजली महंगी होने की उम्मीद नहीं है। विदित हो कि उदय व ट्रूअप का समायोजन करते हुए दो वर्ष पहले आयोग ने सरचार्ज खत्म कर दिया था जिसे सरकार द्वारा ठीक न मानते पर कंपनियां ने वर्ष 2000 से 2020-21 तक के ट्रूअप के आंकड़ों पर पुनर्विचार करते हुए ब्याज सहित उपभोक्ताओं पर 49,827 करोड़ रुपये अब निकले हैं। इसकी वसूली के लिए ही कंपनियों का सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव है।


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