CoronaVirus In UP : निमोनिया के मरीज की भी अब होगी कोविड-19 जांच, ICMR ने बदली गाइडलाइन
CoronaVirus In UP आईसीएमआर की नई गाइडलाइन लोगों को डराने के लिए नहीं है बल्कि मौजूदा वक्त में चल रही वैश्विक विपत्ति के दौरान सजग करने के लिए है।
लखनऊ [संदीप पांडेय]। कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहे भारत में अब निमोनिया के मरीज की कोविड-19 जांच होगी। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर ) ने वायरस के कम्युनिटी ट्रांसिमशन की पड़ताल के लिए अब गाइड लाइन बदली है।
देश में कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन आइसीएमआर ने जांच की गाइड लाइन बदल दी है। इसके कारण अब निमोनिया के हर मरीज में भी कोरोना कोविड-19 की जांच होगी। विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं कि कोरोना का बढ़ता प्रकोप निमोनिया से होकर ही गुजरता है। खासतौर से कम उम्र के बच्चों में अगर निमोनिया हो जाए तो उनको कोरोना की जांच जरूर कराना चाहिए।
आईसीएमआर की नई गाइडलाइन लोगों को डराने के लिए नहीं है, बल्कि मौजूदा वक्त में चल रही वैश्विक विपत्ति के दौरान सजग करने के लिए है। अब तो किसी बुजुर्ग या बच्चे में अगर निमोनिया के लक्षण है तो वह घर पर इस बात को लेकर बेफिक्र न बैठे कि उनका मरीज ठीक हो जाएगा। फौरन कोरोना की जांच कराएं। यही नहीं नौजवान लोगों में भी अगर निमोनिया के लक्षण ज्यादा दिनों तक पाए जाते हैं तो चिकित्सक सलाह देते हैं कि उनकी जांच एक बार जरूर करा लें, क्योंकि अगर इस स्टेज पर कोरोना के संक्रमण की जानकारी मिल जाएगी तो इंसान बच जाएगा।
कुल मिलाकर अगर बुजुर्ग और बच्चों को निमोनिया हो जाए तो आईसीएमआर की नई गाइडलाइन के मुताबिक उन्हें कोरोना वायरस की जांच जरूर करानी चाहिए। चिकित्सक और वैज्ञानिक कोरोनावायरस के जो लक्षण बताते हैं वह निमोनिया से काफी मिलता-जुलता है। कई बार जिस बीमारी को आप निमोनिया समझ रहे हैं, वह कुछ दिनों के बाद आगे बढ़कर कोरोना वायरस साबित हो सकता है। राजधानी के अस्पतालों में नया प्रोटोकॉल लागू कर दिया गया है। ऐसे में केजीएमयू में भर्ती निमोनिया के मरीजों का स्वैब कलेक्शन कर सैंपल लैब भेजे गए हैं।
देशभर में कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। ऐसे में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का बड़ा खतरा बना हुआ है। लिहाजा, इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने कोरोना कोविड-19 की जांच की नई गाइड लाइन जारी कर दी है। केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी के मुताबिक, 20 मार्च को जारी नई गाइड लाइन प्राप्त हो गई है। अब इसमें एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस को भी जोड़ दिया गया है। मसलन, अस्पताल में भर्ती सांस रोगियों में निमोनिया या सीवियर लंग इंफेक्शन होने पर भी कोरोना कोविड-19 की जांच कराना अनिवार्य होगा। नए नियमों का पालन देश के सभी अस्पतालों व चिकित्सा संस्थानों को करना होगा, ताकि कम्युनिटी में कोरोना वायरस फैला है कि नहीं, इसकी पुष्टि हो सके।
बच्चों-बुजर्ग में निमोनिया का अधिक खतरा
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकांत का कहना है कि डॉ. सूर्यकांत के मुताबिक छोटे बच्चों-बुजुर्गों में निमोनिया अधिक होता है। वहीं कोरोना वायरस भी इन पर हमला जल्दी करता है। इसके अलावा डायबिटीज, फेफड़े की सीओपीडी, आइएलडी के रोगियों, आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीज में भी निमोनिया अधिक होता है।
अगर किसी बच्चे या बुजुर्ग में निमोनिया की शिकायत है तो सबसे पहले वह सतर्क हो जाएं। निमोनिया या सीनियर लंग इन्फेक्शन कई बार कोरोनावायरस के प्रकोप की वजह से हो सकता है। फेफड़े के रोग पर करीब तीन दशकों तक काम करने वाले डॉ सूर्यकांत मानते हैं कि कोरोना के शुरुआती लक्षण हालांकि सर्दी, जुकाम या गले में खराश या पूरे बदन में दर्द हो सकता है। आगे चलकर यही बीमारी फेफड़ों पर अटैक करती है। यह सर्वविदित है कि कोरोनावायरस सबसे ज्यादा फेफड़ों को ही डैमेज करता है। शायद इसी कारण लोगों को कोरोनावायरस की वजह से सांस लेने में काफी दिक्कत होने लगती है।
इनकी होगी जांच
1-पिछले 14 दिन में विदेश यात्रा से लौटे वे लोग जिनको बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
2- लैब से कोरोना मरीज पुष्टि के संपर्क में आए लोग। जिनको बुखार के सात खांसी, सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
3- ऐसे हेल्थ वर्कर जिनमें बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
4- ऐसे व्यक्ति जो कोरोना मरीज के परिवारजन हैं, उनमें दिक्कत हो रही है।
5- ऐसे हेल्थ वर्कर जो कोरोना पॉजिटिव मरीज का उपचार कर रहे हैं, उन्हें दिक्कत होने पर।